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ज्‍योति ने साबित कर दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, जानिए पूरा सच Aligarh news

मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यह बात स्वर्ण जयंती नगर की 56 वर्षीय ज्योति शर्मा ने साबित कर दिखाई है। जिस उम्र में पुरानी चीजें ही स्मृतियों का हिस्सा रहती हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 10:03 AM (IST)
ज्‍योति ने साबित कर दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, जानिए पूरा सच Aligarh news
ज्‍योति दूसरे स्कूलों में पढ़ रहे गरीब व जरूरतमंद बच्चों को कोर्स की किताबें देकर मदद करती हैं।

विनोद भारती, अलीगढ़ : 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।' यह बात स्वर्ण जयंती नगर की 56 वर्षीय ज्योति शर्मा ने साबित कर दिखाई है। जिस उम्र में पुरानी चीजें ही स्मृतियों का हिस्सा रहती हैं, उस उम्र में नई शुरुआत की। पहले गरीब बच्चों की पढ़ाई का बीड़ा उठाया और घर को ही पाठशाला बना दिया। गरीब बस्तियों में जाकर जरूरतमंद बच्चों को कोर्स की किताबें व आर्थिक मदद पहुंचाई। कोरोना काल में भी गरीब परिवारों की  मदद की। गरीबों की मदद के लिए वे सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने में भी पीछे नहीं रहती हैं।  कई परिवारों के अंधियारे जीवन में वे उम्मीद की ज्योति बनकर आईं। 55 साल की उम्र में रैैंप पर कैटवाक कर अपना सपना भी पूरा किया। पिछले साल उन्होंने इंडिया (गोल्डन पर्सनैलिटी ली डिवाइन) के कंप्टीशन में क्लासिक कैटेगरी-2020 का ताज पहना।

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बचपन में छिना पिता का साया 

पुष्पांजलि निवासी ज्योति शर्मा के पिता की प्राइवेट नौकरी थी। जब वे आठ साल की थीं तो वे चल बसे। ज्योति को पढऩे, माडलिंग व मेकअप आर्टिस्ट बनना था। पिता के जाने से  सपने बिखर गए। जीवन में दुश्वारियां बढ़ गईं, मां ने किसी तरह संभाला। 10वीं में पढ़ाई के दौरान शादी हो गई,  मगर ज्योति ने पढ़ाई जारी रखी। करीब 10 साल प्राइवेट नौकरी की। बाद में पति चंद्रपाल शर्मा एसएसपी आफिस में क्लर्क हो गए। 

पूरे किए अधूरे सपने

ज्योति ने नौकरी छोड़कर ब्यूटीशियन का कोर्स किया। धीरे-धीरे पहचान बनी। आज शहर की फ्रीलांसर मेकअप आर्टिस्ट हैं। एक बेटा बैंक में मैनेजर व दूसरा इंजीनियर हो गया है। ज्योति ने बताया कि चार-पांच साल पहले सोचा था कि अपने जैसे लोगों के सपने पूरे करने में मदद की जाए। इसके लिए गरीब बच्चों को तलाशना शुरू किया, जो कभी स्कूल नहीं गए या पैसे के अभाव में पढ़ाई छूट गई। घर ही स्कूल बन गया। दूसरे स्कूलों में पढ़ रहे गरीब व जरूरतमंद बच्चों को कोर्स की किताबें देकर मदद करती हैं। 

लिंग भेद का विरोध

ज्योति शहर की तमाम सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हैं। महिला सशक्तिकरण व ङ्क्षलगभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करती रही हैं। जहां भी महिलाओं से जुड़े कार्यक्रम होते हैं, उनमें हिस्सा लेती हैं। गरीब महिलाएं उनके घर पहुंच जाती हैं, उन्हें उम्मीद होती है कि दीदी जरूर मदद करेंगी। ज्योति भी उन्हें निराश नहीं करतीं। उनकी मदद के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर तक काटती हैैं। तीज-त्योहार पर गरीब बच्चों को मिठाई व अन्य सामग्री बांटती हैं। 

जीता मिसेज इंडिया का ताज  

ज्योति ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए पिछले साल बिहार में मिसेज इंडिया गोल्डन पर्सनैलिटी ली डिवाइन की स्पर्धा में हिस्सा लिया और क्लासिक कैटेगरी 2020 का ताज अपने नाम किया। आगरा में इसी कंपनी ने फिर सम्मानित किया। कहती हैं, अब जिंदगी से कोई शिकवा नहीं है।


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