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JNMC Online Seminar : आयुर्वेदिक में भी है मोटापे का कारगर इलाज, पश्‍चिमी देशों में बढ़ा आयुर्वेद का क्रेज Aligarh News

‘आयुर्वेद में मोटापे की रोकथाम और उपचार’ विषय पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो. जोनाह एस ने जीवनशैली में बदलाव के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि आहार में स्वस्थ परिवर्तन करके अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 09:53 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 09:53 AM (IST)
JNMC Online Seminar : आयुर्वेदिक में भी है मोटापे का कारगर इलाज, पश्‍चिमी देशों में बढ़ा आयुर्वेद का क्रेज Aligarh News
वजन कम करने के लिए बहुत से लोग आयुर्वेदिक आहार का पालन करते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मेडिसिन संकाय की ओर से ‘मोटापा और इसकी रोकथाम, एलर्जी संबंधी बीमारियां’ विषय पर एक आनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें आयुर्वेद, यूनानी और आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने एहतियाती उपायों, दवाओं और मोटापे और एलर्जी को नियंत्रित करने के उपचार के बारे में बताया। 
पश्चिमी देशों में अपना रहे आयुर्वेद 
‘आयुर्वेद में मोटापे की रोकथाम और उपचार’ विषय पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो. जोनाह एस  ने जीवनशैली में बदलाव के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि आहार में स्वस्थ परिवर्तन करके अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने मोटापे को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक पौधों और जड़ी बूटियों का उल्लेख किया। कहा, वजन कम करने के लिए बहुत से लोग आयुर्वेदिक आहार का पालन करते हैं। कई पश्चिमी देशों में लोग अपने समग्र स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद को अपना रहे हैं। एएमयू के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम में पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि ‘आधुनिक चिकित्सा में दवाओं के नकारात्मक प्रभावों के कारण, एक सुरक्षित, जोखिम रहित उपचार खोजने में समय लगता है। पारंपरिक चिकित्सा द्वारा प्रस्तावित वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली लोकप्रियता प्राप्त कर रही है हालांकि यह सभी बीमारियों में प्रयोग नहीं की जा सकती। परंतु पुरानी बीमारियों में इनके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कोविड-19 महामारी के बाद से चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में बहु-विषयी अनुसंधान पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा के संयोजन का लाभ मिलेगा। प्रो. मंसूर ने पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा में संयुक्त अनुसंधान की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एएमयू एक बहु-विषयक विश्वविद्यालय है और हम संयुक्त शोध के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।
माेटापे को मानते हैं कई बीमारियां
डा. पारस वानी (प्रभारी, जीटीबी, और आइएचबीएएस ग्रीक यूनिट, आयुष, जीएनसीटी, नई दिल्ली) ने कहा कि मोटापे को यूनानी चिकित्सा पद्धति में बलगम की बीमारी माना जाता है। परंतु इसे सात आवश्यक कारकों से नियंत्रित किया जा सकता है। जिसमें संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण हैं। डा. ओवैस अशरफ (फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, जेएन मेडिकल कालेज) ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा में मोटापे को कई बीमारियों का कारण माना जाता है, जिसमें हृदय और यकृत रोग और उच्च रक्तचाप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मोटापे की जड़ आनुवंशिक और जैव रासायनिक कारणों में भी निहित है और  इसे आधुनिक उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। प्रो. रूबी अंजुम (अध्यक्ष, हिफजाने सेहत व समाजी तिब विभाग, एएमयू) ने मोटापे के उपचार के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि अदरक, खट्टे फल, हल्दी, मछली और प्याज एलर्जी को रोकने में सहायक हैं। डा. डोया कजारिया (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली) ने एलर्जी के उपचार के आयुर्वेद में असंतुलित ‘दोष’ को संतुलित करने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एलर्जी प्रतिक्रिया के रूप में आती है, खुजली, फोड़े, बुखार, अस्थमा, खाद्य एलर्जी और आयुर्वेद में एलर्जी का इलाज प्रत्येक रोगी की व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार किया जाता है।
डा. नफीस ए खान (क्षय एवं श्वसन रोग विभाग, जेएन मेडिकल कालेज) ने एलर्जी संबंधी बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने का आह्वान किया। उन्होंने टाइप वन अतिसंवेदनशीलता के लक्षणों और कारणों पर प्रकाश डाला।
मोटापे से होते हैं मधुमेह और हृदय रोग
प्रो. राकेश भार्गव (डीन, फैकल्टी आफ मेडिसिन) ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सार्वजनिक जागरूकता के लिए असंतुलित जीवन शैली से होने वाली बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम आवश्यक हैं।आभार व्यक्त करते हुए प्रो. शादाब ए खान (अध्यक्ष मेडिसिन विभाग एवं कार्यक्रम संयोजक) ने कहा कि मोटापे से मधुमेह और हृदय और यकृत के रोग होते हैं इसलिए इसे नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। डाक्टर ओवैस अशरफ और डाक्टर काशिफ किरमानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
 

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