जागरण यूथ पार्लियामेंट में : संविधान में बजट नहीं, फाइनेंशियल स्टेटमेंट का जिक्र
जागरण यूथ पार्लियामेंट के सदस्यों ने जाना कि संविधान में बजट शब्द का जिक्र नहीं किया गया है। बजट की जगह फाइनेंशियल स्टेटमेंट शब्द का प्रयोग किया गया है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। जागरण यूथ पार्लियामेंट के सदस्यों ने जाना कि संविधान में बजट शब्द का जिक्र नहीं किया गया है। बजट की जगह फाइनेंशियल स्टेटमेंट शब्द का प्रयोग किया गया है। यह जानकारी ऑर्गनन क्लासेज में बजट पर हुई सेमिनार में एएमयू की फैकेल्टी ऑफ कामर्स की प्रो.आसिया चौधरी ने दी। 21 से 23 अप्रैल तक एएमयू के स्ट्रेची हॉल में बजट सत्र की शुरुआत होगी। इससे पहले सेमिनार में जागरण यूथ पार्लियामेंट के सदस्यों को बजट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
बजट पेश कर पास करने की दी जानकारी
प्रो. चौधरी ने सदस्यों को बजट तैयार होने, उसको पेश करने, बजट के प्रकार व उसको पास कराने तक की पूरी प्रक्रिया बारीकी से समझाई। बताया कि, बजट एडवांस शीट है, यह तय किया जाता है कि ये किस-किस सेगमेंट में धन खर्च होगा। बजट को इकोनॉमिक डेवलपमेंट व इकोनॉमी पर ही खर्च होना चाहिए। एलोकेशन, डिस्ट्रीब्यूशन व स्टेबलाइजेशन ये बजट के तीन प्रमुख फंक्शन होते हैं। चार चरण में बजट पूरा किया जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस बजट डिविजन से काम कराती है। सितंबर व अक्टूबर में काम शुरू हो जाता है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स अफेयर्स जो बजट डिविजन होता है वो सारे खर्चे की डिटेल मंत्रालयों व विभागों से एकत्र होता है। उसको एनालिसिस करते हुए फार्मेट बनते हैं कि क्या-क्या खर्चे हैं? फिर फाइनेंस मिनिस्टर उसे पेश करते हैं।
राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद लागू होता है बिल
प्रो.आसिया ने बताया कि राज्यसभा, लोकसभा व फिर राष्ट्रपति से होता हुआ बिल लागू होता है। कैग इसका ऑडिट करती है। बिल का डिटेल इवैल्यूएशन होता है। प्रो. चौधरी ने बताया कि, रेलवे बजट पहले अलग से होता था लेकिन अब यूनियन बजट के साथ इसको मर्ज कर दिया गया है। अहम बात यह है कि प्रो चौधरी द्वारा दी गई जानकारी को सदस्यों ने बेहद गंभीरता से लिया। इस दौरान सदस्यों ने सवाल भी पूछे, जिसके प्रोफेसर चौधरी ने संतोषजनक जवाब दिए। इस दौरान आर्गनन क्लासेज के निदेशक जावेद सिद्दीकी, प्रमोद कुमार व नवेद सिद्दीकी, इरशाद अली व टफ होप टीम से सिटी मैनेजर अभय जादौन आदि मौजूद रहे।