नगर निगम : ये दबंगई है या मजबूरी... सुविधा दिए बगैर वसूला जा रहा शुल्क Aligarh News
नगर निगम इन दिनों यही कर रहा है। यूजर चार्ज के एवज में घर-घर वसूली हो रही है। बीते साल ही आनन-फानन में संपत्ति कर में यूजर चार्ज शामिल करने का फरमान जारी किया गया था। कोई तैयारी भी नहीं की गई।
अलीगढ़, जेएनएन। सेवाएं देने के बदले तय शुल्क लेने में कोई हर्ज नहीं हैं। लेकिन, सुविधाएं दिए बगैर शुल्क वसूलना तो दबंगई है। नगर निगम इन दिनों यही कर रहा है। यूजर चार्ज के एवज में घर-घर वसूली हो रही है। बीते साल ही आनन-फानन में संपत्ति कर में यूजर चार्ज शामिल करने का फरमान जारी किया गया था। कोई तैयारी भी नहीं की गई। अगर की गई होती तो इतने सवाल नहीं उठते। संपत्ति कर के बिल में यूजर चार्ज लगकर आया तो लोग चकित रह गए। जिस मद में यूजर चार्ज लिया जा रहा है, वो सुविधा तो उन्हीं मिली ही नहीं। शुक्रवार को सासनीगेट के मोहल्ला कृष्णा विहार में लोगों ने विरोध कर दिया। संपत्ति कर विभाग से आए कर्मचारी को उन्होंने यूजर चार्ज देने से साफ इनकार कर दिया। कहा कि जब कूड़ा उठाने निगम का कोई वाहन आता ही नहीं तो यूजर चार्ज क्यों दें। यूजर चार्ज की राशि घटाकर बाकी बिल जमा कर दिया और रसीद ले ली।
माननीय भी कर चुके विरोध
यूजर चार्ज वसूली की इस नई व्यवस्था से नगर निगम को भले ही लाभ हाे, लेकिन ये आम आदमी के साथ धोखा है। ये आरोप शहरवासियों के अलावा विधायक, व्यापारी भी नगर निगम पर लगा चुके हैं। पार्षदों ने तो बोर्ड अधिवेशन में हंगामा काट दिया था। सभी का यही कहना था कि सुविधा नहीं तो शुल्क क्यों? अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था। यूजर चार्ज हटाने के प्रस्ताव पर मेयर की मुहर लगने के बाद भी निगम अधिकारी इसे मंजूर न सके है और मजबूरी दिखाने लगे। हालांकि, बाद में यह कहते हुए सभी को शांत कर दिया कि प्रकरण के संबंध में शासन को पत्र लिख दिया गया है, शासन स्तर से निर्णय होगा। बीच-बीच में विरोध हुआ तो नगर आयुक्त प्रेम रंजन सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि जिन लोगों को डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की सुविधा नहीं मिल रही, वे यूजर चार्ज जमा नहीं करें। इसके बाद भी यूजर चार्ज वसूला जाने लगा। बिल में यूजर चार्ज अंकित है, जब तक ये जमा नहीं होता को संपत्ति कर जमा नहीं माना जाएगा। लोग असमंजस में है कि यूजर चार्ज जमा करें या नहीं।
ये है मजबूरी
यूजर चार्ज वसूली के पीछे नगर निगम की मजबूरी भी है। 2010 में निगम का एटूजेड कंपनी से करार हुआ। करार ये था कि कंपनी डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करेगी, इस एवज में 30 रुपये प्रतिमाह के हिसाब यूजर चार्ज वसूल करेगी। इसके अलावा कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट से कूड़ा उठाएगी, इसके लिए निगम द्वारा प्रति मीट्रिक टन कूडे़ के हिसाब से टिपिंग फीस दी जाएगी, जो अब बढ़कर 814 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गई है। शुरुआत में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था ठीक-ठाक रही, बाद में यूजर चार्ज मिलना बंद हो गया। कंपनी की लापरवाही भी रही। वाहन घरों तक नहीं जाते, मुख्य मार्गों से ही निकल जाते थे। जबकि, घर-घर से कूड़ा उठाना था। वहीं, प्राइवेट सफाई कर्मचारियों की दबंगई से भी कंपनी के वाहनों ने मोहल्लों में आना बंद कर दिया। क्योंकि, कंपनी के सुविधा देने से प्राइवेट कर्मचारियों को लगाना लोगों ने बंद कर दिया। यूजर चार्ज न मिलने पर कंपनी घाटे में जाने लगी। तब संपत्ति कर में इसे शामिल करने की रणनीति बनाई गई। जिसे 2020 में अमलीजामा पहनाया गया। शहर के कई इलाकों में सुविधाएं अब भी नहीं मिल रहीं।