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कृषि उपकरण के फर्जीवाड़े में जिले भर में बैठी जांच, लाभार्थियों के घर जाकर होगा सत्यापन Aligarh news

किसानों को समृद्ध व सक्षम बनाने के लिए चल रही कस्टम हायरिंग सेंटर व फार्म मशीनरी बैंक योजना में एक मामले के फर्जीवाड़े के पर्दाफाश के बाद अब पूरे जिले में जांच के आदेश हो गए हैं।डीएम के निर्देश पर सीडीओ अंकित खंडेलवाल की तरफ से यह आदेश हुआ है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 10:20 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 10:20 AM (IST)
कृषि उपकरण के फर्जीवाड़े में जिले भर में बैठी जांच, लाभार्थियों के घर जाकर होगा सत्यापन Aligarh news
सत्यापन के बाद बड़े फर्जीवाड़े के पर्दाफाश के आसार हैं।

अलीगढ़, जेएनएन : किसानों को समृद्ध व सक्षम बनाने के लिए चल रही कस्टम हायरिंग सेंटर व फार्म मशीनरी बैंक योजना में एक मामले के फर्जीवाड़े के पर्दाफाश के बाद अब पूरे जिले में जांच के आदेश हो गए हैं। डीएम के निर्देश पर सीडीओ अंकित खंडेलवाल की तरफ से यह आदेश हुआ है। इसमें अब टीमें लाभार्थियों के घर-घर जाकर सत्यापन करेंगी। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। ऐसे में अब सत्यापन के बाद बड़े फर्जीवाड़े के पर्दाफाश के आसार हैं।  

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80 फीसद तक सब्सिडी

केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तमाम योजनाएं चला रखी हैं। इनमें फार्म मशीनरी बैंक व कस्टम हायरिंग सेंटर भी है। इनके तहत किसानों को कृषि उपकरण दिए जाते हैं। फार्म मशीनरी बैंक के तहत 15 लाख रुपये तक के कृषि उपकरण किसान समिति व एसपीओ को दिए जाते हैं। इन पर 80 फीसद तक सब्सिडी मिलती है। कस्टम हायरिंग ग सेंटर के तहत किसानों को सीधे लाभ मिलता है। इसमें 40 फीसद तक सब्सिडी है। इसमें भी 12 लाख तक के उपकरण खरीदे जा सकते हैं। 

यह है नियम

इन योजनाओं में लाभ के लिए किसान को आनलाइन पंजीकरण कराना होता है। फिर उसे ओपन टोकन मिलता है। उसके बाद यंत्रों की खरीदारी की जाती है। एजेंसी से मिलने वाले बिल व चालान बैंक में दिए जाते हैं। कृषि विभाग में भी ये कागज जमा होते हैं। इसके बाद सब्सिडी का लाभ मिलता है। दोनों योजनाओं में तीन साल में एक किसान को एक बार ही लाभ मिलता है। 

फर्जीवाड़े का पर्दाफाश 

पिछले दिनों कोल तहसील के भदेसी निवासी प्रेम सिंह के नाम से कृषि विभाग से ट्रैक्टर, रोटावेटर व कंप्यूटर मांजे की सब्सिडी के लिए बिल लगाए गए। विभाग की टीम जांच के लिए आवेदक के घर पहुंची तो कोई कृषि यंत्र नहीं मिला। उसके नाम से फर्जी बिल लगाए गए थे। विभाग ने इस आवेदन को निरस्त कर दिया। दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद अब प्रशासनिक अफसर भी हरकत में आ गए हैं।  

जांच के दिए गए आदेश

अब डीएम के निर्देश पर जिले भर में जांच के आदेश हो गए हैं। इसमें इस वित्तीय वर्ष 2020-21 के तहत सभी लाभार्थियों की जांच होगी। किसानों के घर पर टीमें भेजकर सत्यापन कराया जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि कुछ माफिया फर्जी नामों से अनुदानित कृषि उपकरण ले लेते हैं। ऐसे में इस जांच के बाद कई की मिलीभगत का खेल भी उजागर हो सकता है।


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