दो माह में एक कदम नहीं बढ़ी फर्जीवाड़े की जांच, अब चुनाव में व्यस्तता की दलील Aligarh news
कृषि यंत्रों के आवंटन में हुई धांधली की जांच अागे नहीं बढ़ सकी है। विभागीय अधिकारी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त होने की दलीलें दे रहे हैं। हालांकि प्रकरण दो माह पुराना है और जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी।
अलीगढ़, जेएनएन : कृषि यंत्रों के आवंटन में हुई धांधली की जांच आगे नहीं बढ़ सकी है। विभागीय अधिकारी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त होने की दलीलें दे रहे हैं। हालांकि, प्रकरण दो माह पुराना है और जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी। फर्जी किसानों के नाम पर कृषि आवंटन का मामला सामने आया था। इन यंत्रों पर सरकार द्वारा 80 फीसद तक अनुदान दिया जाता है। ये यंत्र किसके पास पहुंचे, अधिकारी ये तक नहीं पता लगा सके हैं।
कस्टम हायरिंग सेंटर व फार्म मशीनरी बैंक योजना में फर्जीवाड़ा
किसानों को समृद्ध बनाने के लिए चलाई गई कस्टम हायरिंग सेंटर व फार्म मशीनरी बैंक योजना में यह फर्जीवाड़ा सामने आया था। कोल तहसील क्षेत्र के गांव भदेसी के एक व्यक्ति को किसान दर्शाकर योजना के तहत ट्रैक्टर रोटावेटर व कंप्यूटर मांझे लिए गए। जांच के लिए टीम गांव पहुंची तो मौके पर उपकरण नहीं मिले, न ही वह व्यक्ति मिला। ग्रामीणों ने बताया कि एक व्यक्ति किसानों के फर्जी नाम पर कृषि यंत्र लेकर बेच देता है। अन्य गांवों में भी ऐसा फर्जीवाड़ा चल रहा है। अनुदान पाने के लिए जो बिल लगाए गए थे, वह गांव भदेसी निवासी प्रेम सिंह के नाम पर थे। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अनुदान राशि राेककर जांच बैठा दी गई। लेकिन, अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। उप कृषि निदेशक अनिल कुमार इतना ही बता रहे हैं कि प्रकरण की जांच चल रही है, जल्द ही पटाक्षेप किया जाएगा।
80 फीसद तक अनुदान
इन यंत्रों पर सरकार 80 फीसद तक अनुदान देती है। 15 लाख रुपये तक के कृषि यंत्र किसान समिति व एपीओ को दिए जाते हैं। इन पर 80 फीसद तक अनुदान मिलता है। वहीं, कस्टम हायरिंग सेंटर के तहत किसानों को सीधे लाभ मिलता है, इसमें 40 फीसद तक अनुदान है। इसमें भी 12 लाख तक के कृषि यंत्र खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए आनलाइन पंजीकरण करना होता है। फिर ओपन टोकन मिलने के बाद यंत्रों की खरीदारी की जाती है। एजेंसी से मिलने वाले बिल व चालान बैंक में दिए जाते हैं। कृषि विभाग में भी ये कागज जमा होते हैं। इसके बाद ही अनुदान का लाभ मिलता है।