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स्याही के सुर : कनिका तू न गई मेरे मन से Aligarh News

बेबी डॉल मैं सोने दी। गोल्डन डॉल तुलसी बाबा कह गए थे कि ममता तू न गई मेरे मन तें। तन थाकें कर कंपन लागे ज्योति गई नैनन तें। ओ कनिका तू भी न गई मेरे मन से।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 22 Mar 2020 07:47 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 12:46 PM (IST)
स्याही के सुर : कनिका तू न गई मेरे मन से Aligarh News
स्याही के सुर : कनिका तू न गई मेरे मन से Aligarh News

अवधेश माहेश्वरी, अलीगढ़ : बेबी डॉल मैं सोने दी। गोल्डन डॉल, तुलसी बाबा कह गए थे कि ममता तू न गई मेरे मन तें। तन थाकें कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें। ओ कनिका तू भी न गई मेरे मन से। बेबी तूने क्या नहीं किया मेरे लिए। बड़े-बड़े लोगोंं के तन मेरे नाम से कंपन करने लगते हैैं, परंतु मेरा स्वागत नहीं करते। ये चीनी तो निरे मतलबी हैैं। मैैं सबसे पहले उनके घर गया पर ग्यारह दिन तक तो सोचा भी नहीं कि नया मेहमान आया है। परंतु कनिका तुम महान हो, तुम्हारी अतिथि देवो की परंपरा महान है। तुम अपने देश में रोक के  बावजूद मुझे साथ ले आईं। मुझे छिपाकर बचा लिया और वीआइपी से मिलवा दिया। ये सौभाग्य मुझ जैसे वायरस को कहां मिल पाता है? स्वास्थ्य मंत्री तो हर कहींं मुझे दुश्मन की तरह देखते हैैं, लेकिन यहां तो तुमने उनको भी बुला लिया। वाह, कनिका आभार।

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झाड़े से कोरोना गो

कोरोना हंस रहा। हिंदुस्‍तान भी किन-किन बातोंं में फंस रहा। यहां के तांत्रिक-ओझा भी क्या गजब ढाते। दस रुपये के झाड़े से मुझे भगाते। ग्यारह रुपये के ताबीज से सबको सुरक्षित बनाते। एक जनप्रतिनिधि तो और भी गजब ढा गए। कोरोना गो, कोरोना गो गाकर सोशल मीडिया में छा गए। अब दुनिया उनके कोरोना गो को देख रही। खूब हंस रही कि क्या कोरोना ऐसे चला जाएगा। कोरोना को भी समझ नहीं आ रहा ये उपाय उन्हें किसने सुझा दिया। ये कोरोना गो गीत किसने बनाया। एक बार उससे मिलने का मन कोरोना का भी होगा। यदि ये लाइन वाले सीधे ना मिल सकें तो भैय्ये क ो फुनुआ कर देना। तुरंत जाएगा और पूरा इंटरव्यू ले आएगा। वैसे अपुन का कहना कि ऐसे उपाय और ना करना, नहीं तो दुनिया में मजाक को मिलेगा कोई दूजा घर ना। कहेगी क्या खूब दिखाया गीत कोरोना।

तेरा कोरोना, मैैंने क्या बिगाड़ा

भैय्ये बेचैन हैं। ऐ कोरोना, तू निखट़टू क्यों आ गया। कब तक जमा रहेगा। हमारे घर में अड़ा रहेगा। तूने सब बिगाड़ दिया। घर की कार्य संस्कृति का नजारा कबाड़ किया। डैडी, बाहर निकलते नहींं। बीवी मेरे कमरे से ढलती नहीं। वाट्सएप पर भी ठीक से चैटिंग नहीं हो पा रही। बीवी अलग से शोर मचा रही, जरा सफाई करा दो। बर्तन रैक में जमवा दो। अपने हाथ का खाना खिला दो। अपुन ने खाने में हाथ भी दिखाया, बच्चों से वाह-वाह का शोर कराया। पंरतु बीवी खफा हो गई। बोली कि अब रोज इन्हीं से बनवाओ। मेरे हाथ के खाने को हाथ भी ना लगाओ। उसने कल शाम तो खाना न बनाया, तो भैय्ये ने रोटियों में हाथ आजमाया। अरे, कोरोना तू ऐसी दुश्मनी क्यों निभा रहा। क्यों नहीं यहां से जा रहा। अब तू यहां से चला जा, हमको बचा जा।

चीन भी गजब

भैय्ये मानता है कि ये कोरोना कनिका से भले ही थैैंक्यू कहे, परंतु चीन को बिना बात कोस रहा। चीन लाजवाब है। सब बातों का सरताज है। ट्रंप सच आरोप लगाएं या झूठ पर हरेक के पास तीखा जवाब है। दुनिया को व्यापार में भी क्या नहीं दिया। कोरोना को लेकर भी गजब कर दिया। कोरोना पसंद न आया इसलिए उसेे अपने घर में न टिकाया। दुनिया के हर देश में पहुंचाया। जिसे पसंद आए, वह उसे अपने यहां टिकाए। इटली भले ही कहे हम समझदार लेकिन देरीकर खूब कराहे। ईरान की कुछ समझ न आए। कोई कनिका कहीं भी ले जाए। ट्रंप चाचा, देखते रह जाएंगे। ये ब्रिटेन वाले देर से जागे हैैं, इसलिए बहुत घबराएंगे। ये चीन तो व्यापारी है। अरे, कोरोना पर पेटेंट की झड़ी लगा दी। दुनिया ने नजर उसकी ओर टिका दी। अब बस कोरोना का व्यापार करेगा। सबको नचाया पर अपनी जेब भरेगा। अपने देश में आह कोरोना, व्यापार के लिए वाह कोरोना।


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