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महंगाई की मार : दो वक्त में ऐसे आधी हो गई रोटी!

निरंतर हो रही पेट्रोल-डीजल की वृद्धि का असर हर आम लोगों की थाली तक पहुंच गया है। दो वक्त की रोटी भी अब महंगाई की मार के आगे आधी-सी हो गई है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Thu, 04 Oct 2018 05:03 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2018 05:03 PM (IST)
महंगाई की मार : दो वक्त में ऐसे आधी हो गई रोटी!
महंगाई की मार : दो वक्त में ऐसे आधी हो गई रोटी!

अलीगढ़ (मनोज जादौन)। निरंतर हो रही पेट्रोल-डीजल की वृद्धि का असर हर आम लोगों की थाली तक पहुंच गया है। दो वक्त की रोटी भी अब महंगाई की मार के आगे आधी-सी हो गई है। अधिकांश होटल-ढाबा संचालकों ने आटा महंगा होने का यही तोड़ निकाला है। वे पहले से काफी छोटी व हल्की रोटी दे रहे हैैं। और करें भी क्या? तीन महीने में ब्रांडेड आटा एक रुपये और सामान्य आटा डेढ़ रुपये प्रति किलो महंगा हो चुका है। ब्रांडेड आटे का 10 किलो का पैकेट सितंबर में 280 से 290 रुपये तक था। अब 10 से 15 रुपये बढ़ चुका है। चक्की का आटा सितंबर में 22 रुपये प्रति किलो था, अब 23.50 रुपये पहुंच चुका है।

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ट्रांसपोर्ट के दाम बढऩे से बढ़े रुपये

उत्पादन लागत का कहर फ्लोर मिल मालिक नहीं मानते कि उन्होंने आटे का मूल्य बढ़ाया है। वे इसे उत्पादन लागत बढऩा बताते हैैं। दलील देते हैैं कि गेहूं तो महंगा हुआ है, लेकिन इससे ज्यादा मार पड़ी है बिजली, मजदूरी और ट्रांसपोर्ट का खर्च बढऩे से। ये लोग यह तर्क भी देते हैैं कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) ने फ्लोर मिल के लिए गेहूं का न्यूनतम रेट 1900 रुपये प्रति कुंतल रखा है। इसके लिए हर महीने टेंडर पड़ते हैैं। इसमें भी 25-50 रुपये प्रति कुंतल बढ़ोत्तरी हो जाती है।

रेट बढ़ाना मजबूरी

एक अक्टूबर से केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाकर 1925 कर दिया है। इसमें भी हर तिमाही 25 रुपये की बढ़ोत्तरी होगी। इससे महंगाई और बढ़ सकती है। वहीं, मंडी से मिलने वाला 1750 रुपये प्रति कुंतल वाला गेहूं मिलों तक पहुंचते-पहुंचते 2050 रुपये के भाव हो जा रहा है। इससे रेट बढ़ाना मजबूरी हो गया है। वहीं, कुछ लोग इसे डीलर का खेल मानते हैैं।

आटे के दाम बढऩे से हुआ ऐसा

रेलवे स्टेशन रोड पर ढाबा संचालक सोनू कहते हैैं कि आटा इतना महंगा हो गया है कि रोटी हल्की करने के सिवाय और कोई चारा भी तो नहीं बचा। थाली बहुत महंगी कर नहीं सकते। फिर, हमारे पास पैसे वाले ग्राहक तो आते नहीं। लिहाजा, थाली में परोसी जाने वाली चीजें जब महंगी होंगी तो उन्हें घटाना मजबूरी हो ही जाएगा।

बिजली के दाम ने बढ़ाई मुसीबत

उप्र रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप सिंघल बताते हैं कि गेहूं महंगा होने की वजह से आटे के दाम नहीं बढ़ाए। यह बढ़ोत्तरी बिजली, मजदूरी, ट्रांसपोर्ट चार्ज आदि बढऩे के कारण हुई है। बाजार में पहले से ही प्राइस वार छिड़ा हुआ है।

ब्रांडेड आटे के दाम बढ़े

फुटकर दुकानदार  सुमित शर्मा का कहना है कि बीते कुछ हफ्तों में आटा महंगा हो चुका है। ब्रांडेड व चक्की का आटा दोनों ही एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो उछाल मार चुका है।

गेहूं-आटा का मंडी भाव

महीना,गेहूं,आटा

जुलाई,1750,220  

अगस्त,1820,225

सितंबर,1850,230

अक्टूबर,1890,235

(गेहूं प्रति कुंतल व आटा 10 किलो के पैकेट के भाव।


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