बीड़ी कारोबारी से राजनीति के फलक तक पहुंचे ठा इंद्रपाल ने जातीय सामंजस्य के लिए लौटा दिया था टिकट
ठा. इंद्रपाल सिंह मूल रूप से अहमदाबाद के थे। इनके पिता शंकरदास पटेल व्यापार के लिए मध्यप्रदेश के जबलपुर में बस गए। 22 साल की उम्र में ठा. इंद्रपाल ने बीड़ी कारोबार शुरू किया और इसी के चलते वर्ष 1942 में अलीगढ़ आ गए। तब शादी नहीं हुई थी।
मनोज जादौन, अलीगढ़ । सियासत में पद और कुर्सी भला किसे नहीं चाहिए। पर, ठा. इंद्रपाल सिंह ने एक अलग मिसाल कायम की थी। पार्टी की जीत के लिए जातीय संतुलन कहते हुए उन्होंने अपने स्थान पर डा. मोजिज अली बेग को प्रत्याशी बनवा दिया था, जो कि विधायक बने।
सात विधानसभा सीट पर था जनता पार्टी का कब्जा
भारतीय जन संघ से ठा. इंद्रपाल सिंह वर्ष 1967 व 1974 में शहर विधायक बने थे। नसबंदी को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का देशभर में विरोध हुआ तो सभी दलों के नेताओं ने मिलकर जनता पार्टी का गठन किया और वर्ष 1977 का चुनाव लड़ा। शहर विधायक के लिए ठा. इंद्रपाल सिंह का ही नाम तय था। इसके पीछे उनका दो बार विधायक बनना था। सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए नाम तय हो चुके थे। तब जातीय सामंजस्य पर विचार किया गया। पार्टी के दिग्गज नेता कुछ निर्णय ले पाते, उससे पहले ही ठा. इद्रपाल ने डा. मोजिज अली को शहर प्रत्याशी बनाने का फैसला सुना डाला। साथ ही चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली। डा. मोजिज अली जीते। उन्होंने कांग्र्रेस के ख्वाजा हलीम को 2703 वोटों से हराया था। उस चुनाव में जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों में जनता पार्टी के प्रत्याशी जीते थे। जीत की खुशी डा. बेग से ज्यादा ठा. इंद्रपाल को थी। बेग ने जीत का मिला प्रमाणपत्र इंद्रपाल ङ्क्षसह की गोदी में रख दिया था। डा. मोजिज अली बेग अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में प्रोफेसर थे। इन्हें भारतीय जनसंघ की सदस्यता वर्ष 1974 ठा. इंद्रपाल सिंह ने दिलाई थी।
गुजरात के थे इंद्रपाल
ठा. इंद्रपाल सिंह मूल रूप से अहमदाबाद के थे। इनके पिता शंकरदास पटेल व्यापार के लिए मध्यप्रदेश के जबलपुर में बस गए। 22 साल की उम्र में ठा. इंद्रपाल ने बीड़ी कारोबार शुरू किया और इसी के चलते वर्ष 1942 में अलीगढ़ आ गए। तब शादी नहीं हुई थी।
ऐसे आए राजनीति में
कारोबार के साथ उनका राजनीतिक क्षेत्र भी बढ़ता चला गया। वे सबसे पहले सोशल लिस्ट पार्टी से जुड़े। लाल मलूक चंद, शहर के सबसे पहले एमबीबीएस डा. आरके माहेश्वरी, देवेंद्र दत्त कलंकी के सुझाव पर वर्ष 1957 में नगर पालिका परिषद बोर्ड का चुनाव लड़े और जीते। वर्ष 1964 में यह भारतीय मजदूर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष बने। वर्ष 1980 में भाजपा के पहले जिलाध्यक्ष बने। वर्ष 1984 तक किराए के मकान में रहे।