Move to Jagran APP

धन के लालच में निजी चिकित्‍सकों ने बरती लापरवाही, दर्द झेल रहे मरीजों पेट से निकला सर्जिकल स्‍पंज, जानिए पूरा मामला

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के सर्जनों ने तीन मरीजों के पेट में रह गए सर्जिकल स्पंज को समय पर शल्य चिकित्सा करके बाहर निकाला। सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अफजाल अनीस के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने गासिपिबोमा के तीन रोगियों को इलाज प्रदान किया।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 07:39 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 07:44 AM (IST)
धन के लालच में निजी चिकित्‍सकों ने बरती लापरवाही, दर्द झेल रहे मरीजों पेट से निकला सर्जिकल स्‍पंज, जानिए पूरा मामला
जेएन मेडिकल कालेज के सर्जनों ने तीन मरीजों के पेट से सर्जिकल स्पंज को शल्य चिकित्सा करके बाहर निकाला।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के सर्जनों ने तीन मरीजों के पेट में रह गए सर्जिकल स्पंज को समय पर शल्य चिकित्सा करके बाहर निकाला। सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अफजाल अनीस के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने गासिपिबोमा के तीन रोगियों को इलाज प्रदान किया।

loksabha election banner

निजी चिकित्‍सकों की लापवाही आई सामने

प्रो. अनीस ने बताया कि दो रोगियों के शरीर में निजी चिकित्सकों द्वारा कोलेसिस्टेक्टोमी रिसेक्शन के बाद कई दिनों के लिए स्पंज छोड़ दिया गया था, जबकि चिकित्सा केंद्र में मरीज की हिस्टेरेक्टामी प्रक्रिया के बाद कपास स्पंज छोड़ दिया गया था, जो कई महीनों से उस के पेट में था। उन्होंने कहा कि पेट में कई दिनों से स्पंज लिए ये मरीज बुखार, उल्टी और दर्द से पीड़ित थे। जब उनका सीटी स्कैन किया गया तो गासिपिबोमा का पता चला। इसे आपरेशन के बाद सफलतापूर्वक हटा दिया गया। लेकिन, रोगी के पेट की दीवार को गंभीर क्षति पहुंच चुकी थी। हालांकि, मेडिकल के सर्जन बिलरोथ-2 सर्जिकल प्रक्रिया द्वारा क्षतिग्रस्त और गैंग्रीनस भागों को निकालने में कामयाब रहे। उन्होंने बताया कि तीसरे रोगी को कपास स्पंज और शौच में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। सीईसीटी स्कैन के बाद रेक्टोसिग्मोइडेक्टोमी प्रक्रिया की गई और स्टेपलिंग डिवाइस के साथ खोखले बिसरा की निरंतरता को बहाल किया गया। मरीज को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है।

मरीजों को सरकारी अस्‍पताल जाने की सलाह

प्रो. अनीस ने कहा कि यह बात चौंकाने वाली है कि प्रतिकूल घटनाओं को कम करने के लिए व्यापक परामर्श के बाद विकसित डब्ल्यूएचओ सर्जिकल सेफ्टी चेकलिस्ट के बावजूद अस्पतालों में इस तरह की गंभीर त्रुटियां अभी भी होती हैं। रोगी के शरीर में किसी सर्जिकल सामान के छूट जाने से दर्द, संक्रमण या अंग क्षति का सामना करना पड़ सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए मरीजों को जेएनएमसी जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं वाले डाक्टरों और सरकारी अस्पतालों से संपर्क करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.