अलीगढ़ में तेज होगी मिठास की धार, खेतों में लहलहाएगा उन्नत प्रजाति का गन्ना Aligarh news
गन्ना किसानों की कड़वाहट दूर कर मिठास घोलने के प्रयास हो रहे हैं। उम्दा किस्म के गन्ने की प्रजातियां किसानों का भविष्य संवारेंगी। ज्यादातर किसान इन्हीं प्रजातियों को पसंद कर रहे हैं। कम ङ्क्षसचाई में ये बेहतर उपज देंगी। कीटनाशक दवाओं पर भी खर्च कम होगा।
लोकेश शर्मा, अलीगढ़ : गन्ना किसानों की कड़वाहट दूर कर मिठास घोलने के प्रयास हो रहे हैं। उम्दा किस्म के गन्ने की प्रजातियां किसानों का भविष्य संवारेंगी। ज्यादातर किसान इन्हीं प्रजातियों को पसंद कर रहे हैं। कम सिंचाई में ये बेहतर उपज देंगी। कीटनाशक दवाओं पर भी खर्च कम होगा। सामान्य के मुकाबले तीन से चार फीसद अधिक रिकवरी होगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ये प्रजातियां किसानों की आय बढ़ाने में कारगर होंगी। विभाग तीन प्रजातियां उपलब्ध करा रहा है। गन्ने का रकबा बढ़ाने पर भी जोर है।
रकबा बढ़ाने का प्रयास
अलीगढ़ की भूमि गन्ना उत्पादन के लिए मुफीद मानी जाती है। यही वजह है कि धान, गेहूं के बाद किसान गन्ने की खेती को महत्व देते थे। यहां साथा और लधौआ चीनी मिल में पेराई की सुविधा थी। 2015-16 में गन्ने का रकबा 10,735 हेक्टेयर था और उत्पादन 66,17,483 कुंतल हुआ था। अच्छी पैदावार के चलते 2016-17 में रकबा बढ़कर 10941 हेक्टेयर हो गया। उत्पादन 74,15,153.34 कुंतल हुआ। 2017-18 में रकबा और बढ़ा। 11,920 हेक्टेयर में 89,40,000 कुंतल उत्पादन हुआ। धीरे-धीरे सुविधाएं दूर होती गईं और किसानों का गन्ने से मोहभंग होने लगा। लधौआ चीनी मिल बंद हो गई। साथा मिल रुक-रुककर चली, जो अब बंद है। समय पर भुगतान न होना भी किसानों के रूठने की बड़ी वजह बनी। हालात ये हो गए कि गन्ने का रकबा घटकर छह हजार हेक्टेयर ही रह गया। अब फिर रकबा बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। इसलिए किसानों को गन्ने की अच्छी प्रजातियां उपलब्ध कराई जा रही हैं, मिल को भी दुरुस्त करने की कोशिश हो रही है।
इंदिरा गांधी ने रखी थी नींव
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अलीगढ़-कासिमपुर रोड पर दि किसान सहकारी चीनी मिल साथा की नींव रखी थी। चीनी मिल की पेराई क्षमता स्थापना काल से ही 12 हजार 500 कुंतल गन्ना प्रतिदिन की है। वर्तमान में पेराई क्षमता 25 हजार कुंतल प्रतिदिन की होनी चाहिए। इसके लिए 300 करोड़ रुपये की दरकार है।
उम्दा प्रजातियांं
कोशा : 08272: प्रति हेक्टेयर 1300 कुंतल तक पैदावार। 15 फुट लंबाई, मोटाई तीन इंच, रिकवरी 13 फीसद।
को-98014 : प्रति हेक्टयर 1200 कुंतल तक पैदावार। 20 फुट लंबाई, जड़ें गहरी होने से गिरकर नुकसान नहीं। 13.2 फीसद तक रिकवरी।
को-0118 : प्रति हेक्टेयर 1100 कुंतल उपज, रिकवरी 12.9 फीसद। कम सिंचाई में पैदावार।
इनका कहना है
किसानों को गन्ने की उम्दा प्रजातियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। सामान्य प्रजातियों के मुकाबले इनका रिकवरी फीसद अधिक है। उत्पादन भी बेहतर है। रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। मिल भी दुरुस्त होगी।
- डा. सुभाष यादव, जिला गन्ना अधिकारी