अलीगढ़ में चंद रुपयों के लालच में शहर की सेहत से खेल रहे अधिकारी व बिल्डर,ये हैं शहर की समस्याएं
अलीगढ़ में किसानों से कम दाम पर जमीन पर खरीदकर बिना डेवलपमेंट किए बिल्डर वहां कालोनियां विकसित कर रहे हैं जिसके चलते शहर में जलजमाव की स्थिति पैदा हो रही है। नगर निगम के अधिकारी भी इन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। हर साल शहर के किसी न किसी इलाके में नई कालोनी की नींव रख दी जाती है। नियम तो यह है कि कालोनियों में सड़क, सीवर लाइन, ड्रेनेज, लाइट, पार्क समेत अन्य सभी सुविधाएं विकसित करने के बाद ही प्लाट किसी और को बेचे जाएं। लेकिन, यहां ऐसा नहीं हो रहा। किसानों से सीधे जमीन खरीदकर बिल्डर अपने हिसाब से उसे विकसित कर लेते हैं। कर्मचारियों की जेब गर्म कर दो तो नक्शे पर मुहर भी लग जाती है। नगर निगम अधिकारी भी यहां कभी चेक करने नहीं जाते। जबकि, कालोनियों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी होने चाहिए। इसके विपरीत कालोनियाें से सीवर सीधा नालों में बहा दिया जाता है। जिससे नाले चोक होते हैं और जलभराव की समस्या पैदा हो जाती है।
जलभराव की समस्या से नहीं मिल रहा निजात
शहर में जलभराव की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। यह मुद्दा नगर निगम की बोर्ड बैठक, कार्यकारिणी बैठक में अक्सर उठता रहता है। नगर निगम अफसरों ने इस समस्या से निजात दिलाने के लिए दावे तो खूब किए, मगर कुछ ठोस उपाए नहीं किए। जबकि, हर साल नालों की सफाई में करोड़ा रुपये फूंक दिए जाते हैं। नालों के चोक होने की वजह कालोनियाें से निकला मल भी है। कालोनियों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट न होने से मल सीधा नालों में बहाया जाता है। बारिश के दिनों में नालों के जरिए ये मल सड़कों पर बहता है। निकासी न होने से नाले गली-मोहल्लों को जलमग्न कर देते हैं। पिछले साल अभियान चलाकर इस समस्या के समाधान की योजना बनी थी। लेकिन, योजना फाइलों से बाहर न निकल सकी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम पर काम चल रहा है। सीवर लाइन भी बिछाई जा रही है। शायद इससे कोई फर्क पड़े।