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अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में सिर्फ तीन डॉक्टर, ओपीडी चलाएं या डिलीवरी-सर्जरी?

एक तरफ तो सरकार मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दे रही है, वहीं जिला स्तरीय महिला अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं। इस समय सीएमओ के अलावा मात्र तीन लेडी डॉक्टर ही हैं।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 11:53 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 11:53 AM (IST)
अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में सिर्फ तीन डॉक्टर, ओपीडी चलाएं या डिलीवरी-सर्जरी?
अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में सिर्फ तीन डॉक्टर, ओपीडी चलाएं या डिलीवरी-सर्जरी?

अलीगढ़ (जेएनएन)। एक तरफ तो सरकार मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए संस्थागत प्रसव पर जोर दे रही है, वहीं जिला स्तरीय महिला अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं। इस समय सीएमओ के अलावा मात्र तीन लेडी डॉक्टर ही हैं। समस्या ये है कि वे ओपीडी चलाएं या डिलीवरी। नसबंदी शिविर में ड्यूटी अलग से। बावजूद, करीब 35 डिलीवरी कराई जा रही हैं।

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ये है सूरतेहाल

 मोहन लाल गौतम महिला चिकित्सालय में महिला अस्पताल में 15 डॉक्टरों की जरूरत है। नियुक्ति केवल पांच की है। इसमें सीएमएस व बाल रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इस तरह मात्र तीन लेडी डॉक्टर ही ओपीडी, इमरजेंसी, ऑपरेशन थियेटर आदि कार्य देख रही हैं। इसमें भी इन दिनों एक डॉक्टर की ड्यूटी नसबंदी शिविर में लगा दी गई है। एनेस्थीसिया व रेडियोलॉजिस्ट के पद भी रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे हालात में कई बार गंभीर केसों को डॉक्टर हाथ में भी नहीं लेती।

ओपीडी में भीड़

ओपीडी में सुबह से ही गर्भवतियों व अन्य महिला मरीजों की भीड़ जुट जाती है। अफसोस, डॉक्टरों के पद रिक्त होने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। इसी तरह कई बार डिलीवरी कराने आईं गर्भवतियों को कुछ न कुछ कारण बताकर रेफर कर दिया जाता है। फिर भी, रोजाना 35-40 तक डिलीवरी (सर्जरी से भी) हो जाती हैं। सीएचसी स्तर पर डिलीवरी के लिए आज भी संसाधनों का अभाव है।

आधे भी नहीं हैं डॉक्टर

सीएमएस डॉ.गीता प्रधान का कहना है कि स्वीकृत पदों के सापेक्ष आधे भी डॉक्टर नहीं हैं। ऐसे में किसी तरह ओपीडी, इमरजेंसी, ओटी सुचारू रखे हुए हैं।

दीनदयाल में एमआरआइ  जांच अगले महीने से

पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में अगले माह से मरीजों को एमआरआइ जांच की सुविधा मिलने लगेगी। हादसों व गंभीर बीमारियों से होने वाली परेशानी की जड़ों तक पहुंचने के लिए डॉक्टर मरीजों की एमआरआइ मशीन से जांच की सलाह देते हैं। अफसोस, किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा नहीं। बेहद महंगी (पांच हजार से भी ज्यादा) होने के कारण गरीब मरीज के लिए प्राइवेट जांच कराने की सोच भी नहीं सकता। दीनदयाल चिकित्सालय में यूपी हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोग्र्राम के अन्तर्गत निरंतर सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। अब पीपीपी मॉडल पर एमआरआइ जांच की सुविधा भी मिलेगी। बता दें कि यहां सिटी स्कैन की सुविधा पहले से ही है।

जान बचाने में मिलेगी सहूलियत

सीेएमओ डॉ. एमएल अग्र्रवाल ने बताया कि एमआरआइ जांच की सुविधा से गरीब मरीजों की जान बचाने में सहूलियत होगी। चिकित्सालय में 10 बेड काबुजुर्ग क्लीनिक भी पखवाड़े भर के भीतर शुरू हो जाएगा।


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