अलीगढ़ में दावेदार ठाेक रहे हैं ताल, देखते हैं किसकी भारी पड़ेगी चाल
भाजपा ने चुनाव की तैयारी को लेकर प्रभारियों को मैदान में भी उतार दिया है । वह चुनाव की तैयारी में मंडलों में बैठकें शुरू कर दी है। सत्ता की हनक और एमएलसी चुनाव की जीत की चमक ने नेताओं की बांछे खिला दी हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। कभी जिला पंचायत के चुनाव से दूरी बनाए रखने वाली भाजपा इस बार पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर रही है। पार्टी जिला पंचायत सदस्य के प्रत्याशियों को मैदान में उतारेगी। इसकी बकायदा घोषणा भी कर दी गई है। हालांकि, पार्टी ब्लाक प्रमुख के पद पर भी दांव खेलेगी। भाजपा ने चुनाव की तैयारी को लेकर प्रभारियों को मैदान में भी उतार दिया है । वह चुनाव की तैयारी में मंडलों में बैठकें शुरू कर दी है। सत्ता की हनक और एमएलसी चुनाव की जीत की चमक ने भाजपा में वर्षों से काम कर रहे नेताओं की बांछे खिला दी हैं। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदारों की फेहरिस्त इस बार बढ़ गई है। जबकि, खरीद-फरोख्त और सदस्यों की मान-मनौव्वल के चलते पहले भाजपा इस चुनाव में इतनी रुचि नहीं लिया करती थी। भाजपा नेता भी बहुत अधिक जोर आजमाइश नहीं करते थे। पर, इस बार ताल ठोकने के लिए आधे दर्जन से करीब दावेदार तैयारी कर रहे हैं। इससे चुनाव दिलचस्प होने वाला है।
टिकट के लिए कड़ी टक्कर
निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष व उपेंद्र सिंह नीटू बसपा से जिला पंचायत अध्यक्ष थे। मगर, अपने चाचा और पूर्व मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह के साथ करीब दो साल पहले वो भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, विरोधियों ने उनकी कुर्सी हिलाने की काफी कोशिश की। कई बार जिला पंचायत सदस्य एकजुट हुए, मगर सफलता हासिल नहीं हुई। भाजपा में आने के बाद उनकी कुर्सी पूरी तरह से सुरक्षित रही, जिला पंचायत सदस्य एकजुटता नहीं दिखा सके। इस बार भी वह चुनाव में मजबूत दावेदार हैं और तैयारियों में जुटे हुए हैं। अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर इस बार भाजपा में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। इसलिए जिला पंचायत सदस्य के दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। इसके चलते गुटबाजी शुरू हो गई है। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष तो मैदान में हैं ही भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी ताल ठोकने की तैयारी कर दी है। जिला कार्यकारिणी के दो दमदार पदाधिकारी हैं, जिन्होंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। स्थिति यह है कि ब्रज क्षेत्र में पदाधिकारी हैं, वह भी मैदान में आ रहे हैं। इससे धीरे-धीरे दावेदारों की फेहरिस्त बढ़ रही है।
बढ़ेगी जिम्मेदारी
दावेदारों की संख्या बढ़ने से भाजपा की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। क्योंकि अध्यक्ष की कुर्सी के लिए संघर्ष तेज हो जाएगा। सभी की जिला पंचायत अध्यक्षी की कुर्सी पर बैठना चाहेंगे। ऐसे में यदि पार्टी मना करती है तो नाराजगी बढ़ेगी। आगामी चुनाव में भी इसका असर दिखाई देगा। इसलिए भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह दावेदारों को किसी तरह से मना सके जिससे अध्यक्ष की कुर्सी के लिए खींचतान अधिक ना हो।
साफ-सुथरा होगा चुनाव
जिस प्रकार से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए खींचतान मचती थी। सदस्यों के खरीद-फरोख्त के भी आरोप लगते थे, इस बार उसकी उम्मीद कम है। क्योंकि भाजपा ने साफ कह दिया है कि पूरा चुनाव संगठन के निर्देशन में होगा। कहीं भी कोई शिकायत होगी तो कार्रवाई होगी। इसलिए पहले से साफ कर दिया गया है कि चुनाव में जनप्रतिनिधि दूर रहेंगे। यहां तक वह टिकट के लिए किसी की पैरवी भी नहीं करेंगे। संगठन ही सारा काम करेगा।