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बेहतर हो कचरा प्रबंधन तो स्वच्छता का सिरमौर बने अलीगढ़

कचरा प्रबंधन बेहतर हो जाए तो अलीगढ़ भी इंदौर की तरह स्वच्छता का सिरमौर बन सकता है। इसी प्रबंधन ने इंदौर को स्वच्छ सर्वेक्षण में फिर पहला स्थान दिलाया और अलीगढ़ प्रदेश में तीसरे पायदान से ऊपर न उठ सका।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 03:27 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 03:45 PM (IST)
बेहतर हो कचरा प्रबंधन तो स्वच्छता का सिरमौर बने अलीगढ़
कचरा प्रबंधन बेहतर हो जाए तो अलीगढ़ भी इंदौर की तरह स्वच्छता का सिरमौर बन सकता है।

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । कचरा प्रबंधन बेहतर हो जाए तो अलीगढ़ भी इंदौर की तरह स्वच्छता का सिरमौर बन सकता है। इसी प्रबंधन ने इंदौर को स्वच्छ सर्वेक्षण में फिर पहला स्थान दिलाया और अलीगढ़ प्रदेश में तीसरे पायदान से ऊपर न उठ सका। देश में तो चार पायदान नीचे लुढ़क कर 34वें स्थान पर पहुंच गया। कचरा प्रबंधन में यहां नगर निगम हमेशा ही पिछड़ा। ऐसा नहीं कि योजनाओं का अभाव है या फिर संसाधनाें की कमी है। कमी तो सिर्फ इच्छा शक्ति की है, जिसके चलते विभागीय अफसर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे। कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) से डस्टबिन (कूड़ेदान) हटाने के गलत फैसले से जगह-जगह खुले में कूड़े के ढेर नजर आने लगे। सुबह 10:30 बजे से पहले कूड़ा उठाने के निर्देश कागजी साबित हुए। यही नहीं, बेहिसाब कूड़े का 50 फीसद हिस्सा ही निस्तारण हो पा रहा है। बाकी हिस्सा कूड़े के पहाड़ में तब्दील हो चुका है, जो हर रोज बढ़ रहा है। इसके निस्तारण के लिए वेस्ट एनर्जी प्लांट का इंतजार लंबा होता जा रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी निर्माणाधीन है। ये भी तैयार हो जाए तो अगले स्वच्छ सर्वेक्षण में अलीगढ़ प्रदेश ही देश में भी अव्वल आए।

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हर रोज उठता है 450 मीट्रिक टन कूड़ा

शहर से हर राेज 450 मीट्रिक टन कूड़ा उठता है। ये कूड़ा एटूजेड कंपनी द्वारा डलावघर और घरों से उठाकर मथुरा रोड स्थित प्लांट में लाया जाता है। यहां 200 मीट्रिक टन कूड़े से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाई जाती है। प्लांट की क्षमता ही इतनी है। बाकी कूड़ा प्लांट में एक जगह डंप कर दिया जाता है। 2010 से यही प्रक्रिया चल रहा है। प्लांट में कूड़े के पहाड़ बन गए हैं। करीब 10 लाख मीट्रिक टन कूड़ा यहां खुले में पड़ा है। बीच में कूड़े से ब्रिक्स (ईंट) बनाने का काम भी कंपनी ने शुरू किया था, लेकिन कीमत अधिक होने से ईंट के खरीदार नहीं मिले और प्लांट बंद कर दिया गया। नगर निगम द्वारा समय-समय पर योजनाएं बनाई गईं। बेहिसाब कूड़े को दायरे में लाने के भी प्रयास हुए। कूड़े को कांपैक्ट कर कंटेनर के जरिए प्लांट में लाने के लिए वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन स्थापित किए गए। ये भी फिलहाल काम नहीं कर रहे। खुले में कूड़ा न डाला जाए, इसके लिए 11 कलेक्शन प्वाइंट पर मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर बनाए जा रहे हैं। कुछ बन चुके हैं। फिर भी कूड़ा सेंटर के बाहर डाला जा रहा है। जमालपुर में फीकल स्लज प्लांट तैयार नहीं हो सका। यहां सेफ्टी टैंक से निकला मल शोधित किया जाना है।

बेपटरी हुई घरों से कूड़ा उठाने की व्यवस्था

इंदौर में घरों से कूड़ा उठाने की व्यवस्था बेहतर है। वहां गीला, सूखा कूड़ा, सैनिटरी पैड, ई-वेस्ट, प्लास्टिक का कचरा अलग-अलग लिया जाता है। ये व्यवस्था यहां भी है, लेकिन प्रभावी नहीं। कई इलाकों में कूड़ा उठाने के लिए वाहन जाते ही नहीं। एटूजेड कंपनी पर 30 वार्डों की जिम्मेदारी है। बाकी 50 वार्डों में नगर निगम के वाहन जाते हैं। घरों से कूड़ा न उठने पर लोग यूजर चार्ज नहीं देते। प्लास्टिक डिस्पोजल और पालीथिन पर प्रतिबंध होने के बाद भी यहां धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। प्लास्टिक के कचरे का निस्तारण भी नहीं हो पा रहा। एटूजेड प्लांट में इस कचरे का भी ढेर लगा हुआ है।

शहरवासियों में जागरुकता की कमी

शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए शहरवासियों की सहभागिता जरूरी है। इसी सहभागिता के चलते स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर पहले स्थान पर आया है। शहर में 100 से अधिक कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट हैं। सुबह एक बार कूड़ा उठने के बाद कलेक्शन प्वाइंट पर लोग फिर कूड़ा डाल जाते हैं। अधिकांश कूड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का होता है। दोपहर तक ढेर लग जाते हैं। इसे कर्मचारी दूसरी शिफ्ट में उठाते हैं। इसके चलते सड़कों पर जाम की समस्या बनी रहती है। सुबह ही कूड़ा डाल दिया जाए तो समस्या न हो।

नगर आयुक्त गौरांग राठी से सवाल-जवाब

सवाल : घरों से कूड़ा एकत्र करने की व्यवस्था प्रभावी नहीं हो पा रही है, क्या वजह है?

- 30 वार्डाें में एटूजेड कंपनी द्वारा घरों से कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। बाकी 50 वार्डों में नगर निगम कर रहा है। अब स्मार्ट सिटी के सहयोग और बजट से नगर निगम बेहतर व्यवस्था करेगा। संसाधन बढ़ाए जाएंगे। इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

सवाल : डलावघरों पर खुले में कूड़ा जाता है, इससे राहगीरों को परेशानी होती है। इसको लेकर क्या योजना हैं?

- डलावघरों पर बड़े डस्टबिन रखने की योजना बना रहे हैं। इससे खुले में कूड़ा नजर नहीं आएगा। मिनी एमआरएफ सेंटर इसी उद्देश्य से बनवाए गए हैं। मुख्य बाजारों में व्यापारी नेताओं से बात कर कूड़ा उठाने का समय तय किया जाएगा।

सवाल : सीवरेज के निस्तारण की क्या योजना है, प्लांट भी अब तक शुरू न हो सका?

- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट दिसंबर तक शुरू होने की संभावना है। इसके जरिए सीवरेज का निस्तारण हो सकेगा। मिनी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी तैयार करा रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों में इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

स्वच्छता की शपथ

शहर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है। मैं शपथ लेता हूं कि शहर को स्वच्छ रखने में पूरी निष्ठा के साथ सहयोग करुंगा। दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। अभियान भी चलाया जाएगा।

मोहम्मद फुरकान, महापौर


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