सीसीटीवी कैमरे होते तो शराब खरीदने वालो की हो जाती पुष्टि Aligarh news
जहरीली शराब कांड में शामिल शराब माफिया ने जमकर नियमों को दरकिनार कर रखा था। नकली शराब बेचने वाले किसी भी ठेका संचालक ने अपने यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए थे। ऐसे में दुकान का कोई रिकार्ड नहीं हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । जहरीली शराब कांड में शामिल शराब माफिया ने जमकर नियमों को दरकिनार कर रखा था। नकली शराब बेचने वाले किसी भी ठेका संचालक ने अपने यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए थे। ऐसे में दुकान का कोई रिकार्ड नहीं हैं। अगर सीसीटीवी कैमरे लगे होते तो शायद अब तक दुकानों से शराब खरीदने वालों की भी पुष्टि हो चुकी होती। आबकारी व पुलिस विभाग भी इन ठेकों पर सीसीटीवी कैमरे न होने के बाद भी चुप्पी साधे रहा।
जिले में कुल 511 सरकारी ठेके
जिले में कुल 511 सरकारी शराब के ठेके हैं। इनमें देसी,विेदेशी व बीयर की दुकानें शामिल हैं। तीन साल पहले जिला स्तर पर एसएसपी की ओर से एक आदेश जारी किया गया गया था। इसमें सभी ठेका संचालकों को अपने यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश। इन सीसीटीवी कैमरे के पुलिस ने कई फायदे गिनाए थे। कहा था कि अगर कैमरे होंगे तो वाद विवाद को पूरा रिकार्ड होगा। इसके साथ ही मिलावट का धंधा भी इसमें कैद हो जाएगा। वहीं, चोरी की घटनाएं भी इसमें कैद हो जाएंगी। इस आदेश के बाद कुछ लोगों ने तो दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए, लेकिन शराब तस्करी से जुड़े माफिया के सिंडिकेट वाली अधिकार दुकानों पर कैमरे नहीं लगे। कई बार इन्हें नोटिस भी दिए गए, लेकिन ऊपर तक धाक होने के चलते किसी भी संचालक ने इनका पालन नहीं किया।
तीन दिन पहले शुरु हुआ मौत का तांडव
तीन दिन पहले जहरीली शराब पीने वालों की मौत होनी शुरू हुई तो अफसर जागे। तत्काल अंडला, करसुआ, छेरत व पचपेड़ा के ठेकों की जांच की गई, लेकिन किसी भी दुकान में सीसीटीवी कैमरे नहीं मिले। अगर यहां कैमरे लगे होते तो पुलिस को मामला खोलने में काफी आसानी होती है। इसके साथ ही लोगों ने ठेके से शराब खरीदी है या नहीं। इसके भी पूरी पड़ताल हो जाती है। अब आबकारी विभाग से ऐसे सभी लोगों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
इसलिए नहीं लगाते हैं कैमरे
शराब कारोबार से जुड़े एक शख्श ने बताया कि ठेका संचालक जानबूझ कर कैमरे नहीं लगाते हैं। अगर वह ठेकों में कैमरे लगा लेंगे तो फिर मिलावटी शराब की बिक्री नहीं कर पाएंगे। दुकान के अंदर भी कोई खेल नहीं हो पाएगा। वहीं, कुछ दुकानदार जिले में ऐसे भी हैं, जिन्होंने दिखाने के लिए तो कैमरे लगा दिए हैं, लेकिन वह मिलावट के दौरान इन्हें बंद कर लेते हैं। जिले में चंद संचालक ही ऐसे होंगे, जिनकी दुकानों के सीसीटीवी कैमरों का पूरा रिकार्ड होगा।