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एक भी भवन गिरा तो होगी बड़ी क्षति, कब नींद से जागेगा नगर निगम Aligarh news

अलीगढ़ जेएनएन। मानसून के दस्तक देते ही जर्जर भवनों की याद आ ही जाती है। चाहे वे नगर निगम के अधिकारी हों या फिर इन भवनों के आसपास बसे लोग। इनकी चिंता भी जायज है। बारिश में ये भवन कब ढह जाएं कहा नहीं जा सकता।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 05:56 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 07:15 AM (IST)
एक भी भवन गिरा तो होगी बड़ी क्षति, कब नींद से जागेगा नगर निगम Aligarh news
मानसून के दस्तक देते ही जर्जर भवनों की याद आ ही जाती है।

अलीगढ़, जेएनएन।  मानसून के दस्तक देते ही जर्जर भवनों की याद आ ही जाती है। चाहे वे नगर निगम के अधिकारी हों, या फिर इन भवनों के आसपास बसे लोग। इनकी चिंता भी जायज है। बारिश में ये भवन कब ढह जाएं, कहा नहीं जा सकता। निगम अधिकारियों की कार्रवाई भवन स्वामियों को नोटिस देने तक सीमित है, इससे आगे कार्रवाई करने की वे हिम्मत नहीं जुटा पाए। कोर्ट में लंबित जर्जर भवनों के मामले भी कार्रवाई से हाथ रोक देते हैं। लेकिन, ऐसा सभी भवनों के मामलों में नहीं है। यह भी अधिकारियों को देखना चाहिए। किसी जर्जर भवन के गिरने से जनहानि हुई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

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2017 में 79 जर्जर भवन चिन्‍हित हुए थे

नगर निगम ने 2017 में 79 जर्जर भवन चिह्नित किए थे। अब ये संख्या बढ़कर 96 हो चुकी है। सभी भवन स्वामियों को नोटिस दिए जा चुके हैं, लेकिन कोई भवन गिराया नहीं गया। दरअसल, जर्जर घोषित होने के बाद ही इन भवनों को गिराए जाने की प्रक्रिया शुरू होती है। नगर निगम भवन स्वामियों को सात या 15 दिन में भवन गिराने या सुरक्षित करने के लिए नोटिस देता है। निर्धारित समय सीमा में इन्हें गिराया नहीं जाता तो नगर निगम स्वयं गिराने की प्रक्रिया शुरू करता है। इसका खर्च भवन स्वामी से लिया जाता है। ऐसे कई भवन तो बाजार के बीचोंबीच हैं और गिरासू स्थिति में है। दीवारें, दरवाजे-खिड़कियां टूट कर कब बिखर जाएं, कह नहीं सकते। ऐसे भवनों की संख्या भी कम नहीं है, जहां लोग मजबूरी में रह रहे हैं। क्योंकि, उनके पास अन्य कोई मकान नहीं है, न ही नया मकान बनाने की स्थिति में हैं। वहीं, कुछ भवनों के नीचे शोरूम चल रहे हैं। व्यापारियों ने गोदाम बना रखे हैं। यहां हर समय लोगों की आवाजाही बनी रहती है। अचल सरोवर से सटा हिंदू इंटर कालेज व आसपास के भवनों को भी जर्जर घोषित किया गया है।

इन क्षेत्रों में जर्जर भवन

ऊपरकोट, कनवरीगंज, रसलगंज, नई बस्ती, रेलवे रोड, मामूभांजा, मदारगेट, सराय सुल्तानी, दुबे का पड़ाव, मानिक चौक, महावीरगंज आदि क्षेत्रों में जर्जर भवन हैं। सबसे अधिक भवन ऊपर कोट स्थित टनटनपाड़ा में हैं। यहा लगभग 14 मकान ऐसे हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं। दूसरे नंबर पर चौक बुंदु खां है। यहां एक दर्जन मकान गिरासू भवनों की सूची में हैं। निगम की सूची में ज्यादातर गिरासू भवन घनी आबादी क्षेत्र और मुख्य बाजारों में हैं। इसमें मामूभांजा में एक, कनवरीगंज, महावीरगंज, चूहरपुर, पत्थर बाजार आदि ऐसे प्रमुख बाजार हैं, जहां तीन-तीन भवन गिरासू स्थिति में हैं। ऐसे में यहां बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है।

इनका कहना है

जर्जरों भवनों को चिह्नित कर नोटिस दिए जा चुके हैं। भवन स्वामी स्वयं भवन नहीं गिरवा सकता तो नगर निगम द्वारा अवर अभियंता की देखरेख में भवन गिरा दिया जाएगा। इसका खर्चा भवन स्वामी को वहन करना होगा।

अशोक कुमार भाटी अधिशासी अभियंता (निर्माण), नगर निगम


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