अलीगढ़ में ये कैसी व्यवस्था, अस्पतालों से लौटाए जा रहे मरीज, जानिए विस्तार से
शहर स्थित जन औषधि केंद्र के संचालक भी संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। सेहत बहुत खराब है। आक्सीजन लेवल निरंतर पहुंच रहा है। तुरंत ही उन्हें भर्ती किए जाने की जरूरत है।ऐसी हालत में उन्हेें दीनदयाल कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना संक्रमित मरीजों की जिंदगी की डोर बिना इलाज के ही टूटे जा रही है। उन्हें एक-एक सांस के लिए लड़ना पड़़ रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। तमाम दावों के बावजूद मरीजों को अस्पताल में बेड, आक्सीजन व वेंटीलेटर नहीं मिल रहे। इलाज की उम्मीद में अस्पताल आए मरीजों को लौटाया जा रहा है। हालात ये है कि इमरजेंसी में कोई मरीज भर्ती नहीं किया जा सकता। तमाम मरीजों की जान केवल इसीलिए निकल रही है कि उन्हें हमारा सिस्टम इलाज नहीं दे पा रहा।
एंबुलेंस छोड़ गई कोविड अस्पताल, स्टाफ ने लौटाया
शहर स्थित जन औषधि केंद्र के संचालक भी संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। सेहत बहुत खराब है। आक्सीजन लेवल निरंतर पहुंच रहा है। तुरंत ही उन्हें भर्ती किए जाने की जरूरत है। हैरानी की बात ये है कि ऐसी हालत में उन्हेें दीनदयाल कोविड अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। कई दिनों से स्वजन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंच रहे है, मगर डाक्टर उन्हें भर्ती नहीं कर रहे। जबकि, मरीज की सेहत में बिल्कुल सुधार नहीं हो रहा। मजबूरन, स्वजनों ने संचालक को गंभीर हालत में घर पर ही रखा है। थाना विजयगढ़ में मंगलवार सुबह कोरोना टेस्ट किए। इनमें 35 वर्षीय एक महिला और उसके आठ व 12 वर्षीय दो बेटों की रिपोर्ट पाजिटिव आई। स्वजन के अनुसार शाम करीब पांच बजे कोविड एंबुलेंस छेरत कोविड सेंटर लेकर पहुंची। जहां से तीनों को दीनदयाल अस्पताल छोड़कर चल गई। हैरानी की बात ये है कि अस्पताल के स्टाफ ने रेफर मरीजों को भर्ती करने से मना करते हुए बाहर निकाल दिया। तीनों घंटों तक भूखे प्यासे गेट पर बैठे रहे। सूचना मिलने पर महिला का पति एक अन्य ग्रामीण के साथ अस्पताल पहुंचा। देररात तक अस्पताल स्टाफ, कोरोना कंट्रोल रूम व अन्य अधिकारियों के नंबर पर संपर्क किया जाता रहा, लेकिन कहीं से कोई आश्वासन या कार्रवाई की पहल नहीं हुई। पति परेशान हो उठा कि संक्रमित पत्नी व बच्चों को लेकर कहां जाए और कैसे? तब 108 पर काल मिलाया तो तीनों को घर ले जाने की सलाह मिली। देररात किसी वाहन के माध्यम से घर पहुंचे।
एक भी मरीज नहीं भेजा प्राइवेट अस्पताल
मुख्यमंत्री के स्पष्ट आदेश हैं कि सरकारी अस्पताल में जगह न होने पर मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया जाए। ऐसे मरीज के इलाज पर होना वाला खर्च सरकार वहन करेगी। आयुष्मान भारत के अंतर्गत मरीज का इलाज होगा। अफसोस, अभी तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने एक भी मरीज प्राइवेट अस्पताल रेफर नहीं किया है।
हमें पता है कि काफी जरूरतमंद मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा, लेकिन हम क्या करें? दीनदयाल अस्पताल में मरीजों को रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। निजी अस्पतालों में मरीज रेफर करने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं मिली है। निजी हास्पिटल अभी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ