शहीद की चिता पर लगे हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे Aligarh News
मध्य कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर नेत्रपाल सिंह का बुधवार की देर शाम नगला जुझार के पास उनके पैतृक गांव पिसाया में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
अलीगढ़, देवेंद्र कुमार सिंह। मध्य कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर नेत्रपाल सिंह का बुधवार की देर शाम नगला जुझार के पास उनके पैतृक गांव पिसाया में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे यतिन ने मुखाग्नि दी। इस दौरान हजारों लोग मौजूद रहे। नेत्रपाल सिंह अमर रहे और हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे पूरे गांव में गूंजे। सीआरपीएफ, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और वित्त राज्यमंत्री संदीप सिंह सहित अनेक राजनेताओं ने श्रद्धांजलि दी।
आतंकवादियों ने किया था हमला
गांदरबल के दादरहामा स्थित तौवीद चौक के पास सीआरपीएफ के बंकर पर आतंकियों ने पिछले सप्ताह ग्रेनेड से हमला किया था। इसमें नेत्रपाल सिंह सहित तीन जवान घायल हो गए थे। नेत्रपाल का इलाज शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस सौरा श्रीनगर में चल चल रहा। वहां वे मंगलवार की सुबह शहीद हो गए। इसकी सूचना के बाद उनके पैतृक गांव पिसाया में मातम छा गया। लोगों की भीड़ बुधवार की सुबह से ही गांव में हो गई। स्वजनों को सांत्वना देने के लिए नेताओं व अधिकारियों का तांता लगा रहा। शाम छह बजे नेत्रपाल के पाॢथव शरीर को लेकर सीआरपीएफ के जवान गांव पहुंचे उनके इंतजार में खड़े लोगों ने नारे लगाना शुरू कर दिया। घर में कोहराम मच गया। रीति रिवाजों के पूरा होने के बाद शहीद के शव को तिरंगा उढ़ाकर शव यात्रा निकाली गई। सीआरपीएफ की 139 बटालियन दिल्ली व 104 बटालियन अलीगढ़ से आए आइजी राधा मोहन मीणा, कप्तान प्रशांत यादव, इंस्पेक्टर विजयपाल सिंह, कमांडेंट अजय कुमार शर्मा, डीसी अजीत कुमार ने पाॢथव शव को सलामी दी। जवानों ने पांच राउंड फायर के साथ सलामी देकर अंतिम विदाई दी।
बचपन से ही था देश सेवा का जज्बा
115 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में नेत्रपाल सिंह (48) वर्ष 1991 में बतौर सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। देश सेवा का जज्बा दिल में शुरू से ही था। वे अपने पीछे पत्नी सुमन देवी, दो बेटे यतिन व हर्ष, दो बेटी सपना व शिवानी को छोड़ गए हैैं। वे पांच भाइयों में चौथे नंबर के थे। माता बैकुंठी देवी, पिता सोरन सिंह तथा सबसे बड़े व तीसरे नंबर के भाई का पूर्व में निधन हो चुका है। दो भाई गांव में रहकर मजदूरी करते हैं।
देश भक्त बेटा खोया
ग्रामीणों का कहना है कि नेत्रपाल मिलनसार व हंसमुख छवि के व्यक्ति थे। जो लोगों के दु:ख-सुख में हमेशा बराबर के भागीदार रहते थे। गांव ने एक होनहार व देश भक्त बेटे को खो दिया है। उनके स्वजन ने कहा कि उन्हेंं नेत्रपाल पर गर्व है।
ये हुए शामिल
शव यात्रा में विधायक राजकुमार सहयोगी, पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक ठा. जयवीर सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह, एसडीएम कुलदेव सिंह, सीओ परशुराम सिंह, जिला मंत्री धर्मेंद्र सिंह, पूर्व चेयरमैन पंकज पंवार, जिला पंचायत सदस्य मेघराज सिंह आदि शामिल हुए।
नम आंखें, पर आक्रोश भी कम नहीं
इगलास, योगेश कौशिक। गांव पिसाया बुधवार को खास हो गया। देश के लिए नेत्रपाल के शहीद होने की खबर के बाद से ही शोक में डूबे इस इलाके में हर व्यक्ति की आंखें नम थी, लेकिन आक्रोश भी कम नहीं था। यह गुस्सा पाकिस्तान के प्रति था, जिस पर कड़ी कार्रवाई पूरा गांव चाहता है।
गांव सुबह से ही शोक में डूबा था। न कोई काम पर गया न कोई दुकान खुली और न किसी घर में चूल्हा जला। दिनभर खामोशी में डूबे गांव में नेत्रपाल का शव आते ही नारे लगाते लोग अधिकारियों से भी सरकार तक गांव की बात पहुंचाने की अपील करते दिखे। चिता के चारों ओर भीड़ और चीखें के साथ नारे हर तरफ सुने जा रहे थे। भीड़ में शामिल हर शख्स की आंखें भरी हुई थीं। बार -बार मुटिठयां भींच कर युवक पाकिस्तान को ललकार रहे थे। इस बीच एक कवि की लाइनें 'जमाने भर में मिलते हैं आशिक कई, वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता, नोटों में लिपट कर सोने में सिमटकर मरे है कई, मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफन नहीं होता सार्थक हो रही थी।