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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: आजादी के बाद आधी आबादी को टिकट देने पर भारी पुरुष प्रधान सोच

महिला सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसे नारे के बल पर नारी सशक्तीकरण की बात जोर शोर से की जा रही हैं मगर आजादी के बाद से लेकर अब तक के हुए चुनाव में जिस कदर पुरुष प्रधान सोच हावी रही है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 11:47 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 11:47 AM (IST)
यूपी विधानसभा चुनाव 2022: आजादी के बाद आधी आबादी को टिकट देने पर भारी पुरुष प्रधान सोच
, लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसे नारे के बल पर नारी सशक्तीकरण की बात की जा रही हैं

हाथरस, केसी दरगड़। विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। बसपा छोड़ अन्य राजनीतिक दल जीत की चाल चलने के लिए मोहरे तलाश रहे हैं। इस बीच महिला वोटरों को लुभाने के लिए महिला सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति, लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसे नारे के बल पर नारी सशक्तीकरण की बात जोर शोर से की जा रही हैं मगर आजादी के बाद से लेकर अब तक के हुए चुनाव में जनपद में टिकट बंटवारे में जिस कदर पुरुष प्रधान सोच हावी रही, उससे ये बातें बेमानी लगती हैं। 1952 से लेकर अब तक हुए चुनाव में सिर्फ एक बार ही महिला प्रत्याशी को जनपद से लखनऊ सदन में भेजकर आवाज उठाने का मौका मिला।

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चुनाव में महिलाओं का वर्चस्‍व

विधानसभा चुनावों की बात करें तो आजादी के बाद पहली बार 1952 में चुनाव हुए। उस समय अलीगढ़ और हाथरस एक ही जिला हुआ करता था। 1997 में हाथरस ने नए जिले के रूप में जन्म लिया। उस समय हाथरस सदर के अलावा सिकंदराराऊ, सासनी और सादाबाद विधानसभा हुआ करती थीं। 2012 में सासनी को हाथरस में विलय कर दिया गया। अब हाथरस और सासनी को मिलाकर हाथ्रस सदर के नाम से सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र है। इस दरमियान 1980 में विधानसभा चुनाव में पुष्पा चौहान एक ऐसी महिला थीं, जो उस समय इंडियन नेशनल कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ीं। उन्होंने लोकदल से सुरेश प्रताप सिंह को हराया था। तीसरे नंबर पर भाजपा से निवास पाली रहे थे। उस समय जनता पार्टी से भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ।

उस समय से लेकर अब तक यहीं ऐसा समय था, जब किसी प्रमुख दल ने महिला को प्रत्याशी बनाया। 1997 में हाथरस नया जिला बना, उसके बाद भी टिकट वितरण होता रहा। सभी दलों की प्रत्याशियों की सूची में महिलाओं को टिकट देने में परहेज किया गया। 20 साल बाद 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तब प्रीति चौधरी ऐसी महिला प्रत्याशी रहीं, जिन्हें सादाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने टिकट दिया। हालांकि वह तीसरे नंबर पर रहीं।

बूलगढ़ी कांड पीडि़ता के परिवार की महिला को लेकर उठी थीं बात

कांग्रेस की ओर से महिलाओं को 40 फीसट टिकट बंटवारे के तहत दुष्कर्म पीडि़ता के स्वजन को टिकट देने की बात कही गई थी। कांग्रेस की ओर से उन्नाव में पीडि़ता की मां को टिकट की घोषणा की जा चुकी है। उससे महिला प्रत्याशी को खड़े करने के कयासों को बल मिल रहा है। हाथरस जनपद में तीसरे चरण में मतदान होना हैं। अभी सपा, कांग्रेस व भाजपा से प्रत्याशी रह गए हैं। देखना कि किस दल की सूची में महिला प्रत्याशी का नाम जारी होता है।


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