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अलीगढ़ में माटी की सुधार रहे सेहत, स्वास्थ्य भी होगा दुरुस्त

अनाज की पैदावार के लिए किसान खेतों में अंधाधुंध रासायनिक झोंक रहे हैं। ऐसे में माटी की सेहत गिर रही है मगर जिले में कुछ ऐसे भी किसान हैं जो जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। उन्हें माटी के साथ ही लोगों की सेहत की भी चिंता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 07:06 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 07:06 AM (IST)
अलीगढ़ में माटी की सुधार रहे सेहत, स्वास्थ्य भी होगा दुरुस्त
जिले में कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

अलीगढ़, राज नारायण सिंह। अनाज की पैदावार के लिए किसान खेतों में अंधाधुंध रासायनिक झोंक रहे हैं। ऐसे में माटी की सेहत गिर रही है, मगर जिले में कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। उन्हें माटी के साथ ही लोगों की सेहत की भी चिंता है। उन्हें पता है कि अनाज रासायनिक युक्त होगा तो लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए भले ही कम पैदावार हो, पर बिना रसायन अनाज पैदा हो। किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इसके बेहतर परिणाम होंगे।

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खेतों में रासायनिक खाद

जिले में शेखा, भदरोई, धौरी, टिकरी खुर्द आदि गांवों में जैविक खेती की जा रही है। यहां के किसान गेहूं, सरसों, अरहर आदि की फसलों की बुआई कर रहे हैं। इन फसलों में हरी खाद, कम्पोस्ट खाद का प्रयोग कर रहे हैं। रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं कर रहे हैैं। कई किसान जैविक खेती से बीजों का भी उत्पादन कर रहे हैं, जिससे बीज पूरी तरह से शुद्ध रहे। बीज के माध्यम से पैदावार को और बढ़ाया जा सके। ब्रज किसान उत्पादक संगठन के प्रमुख संतोष  सिंह के अनुसार जिले में इस बार 80 एकड़ के करीब गेहूं, सरसों, अरहर अन्य फसलों की बुआई की गई है। 14 एकड़ खेत में जैविक बीज का भी उत्पादन किया जा रहा है। जैविक खेती का क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास में संस्था लगी हुई है। वर्ष 2020 में संस्था का पंजीकरण कराया गया था। हमने निर्णय लिया था कि किसानों को गो आधारित जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसका परिणाम भी दिखाई देने लगा है। अब तो जिले के अनेक किसान स्वयं संपर्क करते हैं। उन्हें पता है कि जिस प्रकार से खेतों में अंधाधुंध रासायनिक खाद डाला जा रहा है, उससे आने वाले दिनों में पैदावार काफी कम हो जाएगी।

इसलिए बढ़ रही चिंता

ब्रज किसान उत्पादक संगठन के प्रमुख संतोष  सिंह का कहना है कि जिले में कार्बन प्रतिशत औसतन 0.2 प्रतिशत रह गया है, जो बहुत कम है। यदि किसानों ने जैविक खेती को नहीं अपनाया गया तो आने वाले दिनों में धरती की कोख रासायनिक खादों से भर जाएगी। लोगों की सेहत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए जो किसान जैविक खेती कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

सेहत के लिए हानिकारक

राठी हास्पिटल के संचालक वरिष्ठ फिजीशियन डा. जीएम राठी ने बताया कि रसायनों व कीटनाशकों के प्रयोग से मानव शरीर पर काफी हानिकारक असर होता है। रसायन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से किडनी व लिवर डैमेज हो सकती है। हड्डियां कमजोर हो जाती हंै। कैंसर का खतरा भी रहता है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि फल, सब्जी, दाल व अनाज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों का ह्रïास जाता है। यदि किसान जैविक खेती नहीं करेगा तो आने वाले दिनों में जमीन पैदावार देना बंद कर देगी। इसलिए मैंने जैविक खेती की शुरुआत कर दी है, भले ही एक-दो साल पैदावार कुछ कम हो, मगर उसकी चिंता नहीं है।

अशोक कुमार, भदरोई

इस बार एक एकड़ में मैंने जैविक खेती की शुरुआत की है। इसमें गेहूं और सरसों की बुआई की है, फसल अच्छी है। मुझे खुशी है कि इससे पैदा होने वाला अनाज पूरी तरह से रोगों से मुक्त होगा।

मनोज प्रताप, धौरी

जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैविक खेती से गुणवत्ता बनी रहती है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है।

डा. वीके सचान, उप कृषि निदेशक शोध


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