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ये मास्टर शेफ तो नहीं, लेकिन एप्रिन, ग्लब्स व हैट पहन बनाएंगे खाना Aligarh news

सिर पर हैट लगी हो गले से लेकर घुटने तक एप्रिन पहनी हो और हाथों में ग्लब्स हों और खाना पकाने का काम किया जा रहा हो। ये सुनकर या देखकर किसी आलीशान होटल या रेस्टोरेंट के मास्टर शेफ की कल्पना या छवि दिमाग में बन जाती है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 02:09 PM (IST)Updated: Sun, 11 Jul 2021 04:36 PM (IST)
ये मास्टर शेफ तो नहीं, लेकिन एप्रिन, ग्लब्स व हैट पहन बनाएंगे खाना Aligarh news
रसोइये सिर पर हैट, हाथों में ग्लब्स और गले से लटकाकर एप्रिन पहनकर ही भोजन को पकाएंगे।

अलीगढ़, जेएनएन ।  सिर पर हैट लगी हो, गले से लेकर घुटने तक एप्रिन पहनी हो और हाथों में ग्लब्स हों और खाना पकाने का काम किया जा रहा हो। ये सुनकर या देखकर किसी आलीशान होटल या रेस्टोरेंट के मास्टर शेफ की कल्पना या छवि दिमाग में बन जाती है। मगर जिले में अब जिन लोगों के लिए इन उपकरणों का प्रयोग अनिवार्य किया जा रहा है वो मास्टर शेफ तो नहीं होंगे लेकिन खाना बनाते वक्त इन उपकरणों का इस्तेमाल जरूर करेंगे। कोरोना संक्रमण काल भले ही अभी थमा हो लेकिन भविष्य में अगर ये फिर से किसी नए वैरिएंट के तौर पर सामने आए तो सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे, इसलिए ये कदम उठाया गया है।

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कोरोना संक्रमण से मिली राहत

कोरोना संक्रमण से फिलहाल राहत मिली है। मगर पहली लहर के बाद दूसरी लहर की तरह भविष्य में कोरोना का प्रकोप हावी न हो इसलिए अभी से पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। अगर कोरोना संक्रमण पैर पसारे तो बच्चों को खासतौर पर सुरक्षित रखने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों को खोला ताे गया लेकिन विद्यार्थियों को नहीं बुलाया जा रहा है। ऐसे में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल जब खुलेंगे तो विद्यार्थियों को मिलने वाला मिड-डे-मील कोरोना मुक्त रखने की व्यवस्था बनाई गई है। अभी विद्यार्थियों को सूखे राशन के तौर पर राशन कोटेदारों के यहां से राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। मगर जब विद्यालयों में छात्र-छात्राओं का आना शुरू होगा तो उनके लिए एमडीएम बनाया जाना भी शुरू होगा। मगर अब एमडीएम बनाने वाले रसोइयों को पाबंदियों के साथ स्वच्छता से भोजन पकाना होगा। इसके लिए शासनस्तर से व्यवस्था भी की गई है और बजट भी जारी किया गया है। नई व्यवस्था के तहत रसोइये सिर पर हैट, हाथों में ग्लब्स और गले से लटकाकर एप्रिन पहनकर ही भोजन को पकाएंगे। जिले के 2500 सरकारी स्कूलों में करीब 5500 रसोइये भोजन पकाने का काम करते हैं। इन सभी को उक्त उपकरण मुहैया कराने के लिए 400 रुपया प्रति रसोइये के हिसाब से राशि भी उनके खाते में हस्तांतरित की जाएगी।

इनका कहना है

बीएसए डा. लक्ष्मीकांत पांडेय ने बताया कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को देखते हुए शासनस्तर से ये व्यवस्था की जा रही है। अभी इस संबंध में बजट प्राप्त नहीं हुआ है। बजट आने पर और विद्यालयों में भोजन बनने पर इस व्यवस्था को हर हाल में लागू कराया जाएगा। सभी खंड शिक्षाधिकारियों को इस संबंध में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएंगे।


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