Move to Jagran APP

हाथरस मेंं भी है बैजनाथ धाम, झारखंड के मंदिर जैसा दिखता है शिवलिंग

वहां के जैसे ही शिवलिंग की झलक आपको हाथरस से 19 किलोमीटर दूर कस्बा सादाबाद के आगरा रोड पर स्थित बैजनाथ धाम मंदिर में भी मिल जाएगी।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 06:13 PM (IST)
हाथरस मेंं भी है बैजनाथ धाम,  झारखंड के मंदिर जैसा दिखता है शिवलिंग
हाथरस मेंं भी है बैजनाथ धाम, झारखंड के मंदिर जैसा दिखता है शिवलिंग

अलीगढ़ (किशोर वाष्र्णेय)। यूं तो झारखंड स्थित बैजनाथ धाम के प्रति देशभर के लोगों में अपार आस्था है। वहां शिवलिंग की एक झलक के लिए घंटों इंतजार करना भी किसी को अखरता नहीं, बल्कि खुद को धन्य माना जाता है। वहां के जैसे ही शिवलिंग की झलक आपको हाथरस से 19 किलोमीटर दूर कस्बा सादाबाद के आगरा रोड पर स्थित बैजनाथ धाम मंदिर में भी मिल जाएगी। दोनों ही शिवलिंगों में काफी समानता होने के चलते ही यहां के मंदिर का नाम भी बैजनाथ धाम रखा गया। लगभग 1,028 साल पुराने इस मंदिर का जुड़ाव भरतपुर के राजघराने से रहा है। मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार सन 991 में इसका निर्माण कराया गया था। तब भरतपुर के राजाओं का यहां आना-जाना काफी था। ठहराव के समय जमीन की खुदाई में शिवलिंग निकला, जिसे स्थापित कर पूजा शुरू की गई। बाद में राजा जवाहर सिंह ने मंदिर बनवाया। संत प्रेमानंद महाराज ने 1976 मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उन्होंने लंबे समय तक मंदिर की देखरेख की। मंदिर के निकट ही रहने वाले हरिओम गौतम, सुखदेव बिरला व राजकुमार अग्र्रवाल तो मंदिर के शिवलिंग खास मानते हैं। वे बताते हैं कि ज्यादातर शिव मंदिरों के शिवलिंग का रंग काला होता है, लेकिन इस मंदिर में शिवलिंग लाल रंग का है, जिसका व्यास नौ इंच है। इसी तरह का शिवलिंग झारखंड स्थित बैजनाथ धाम में है। इसी समानता के चलते आसपास के जिलों के अलावा अन्य प्रांतों के लोगों की भी आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है।

loksabha election banner

यहां के मेला की ब्रज में अलग पहचान

सेवादार बाबा रूपदास ने बताया कि लाल रंग का शिवलिंग बहुत कम ही मंदिरों में मिलेगा। महाशिवरात्रि और रक्षा बंधन के मौके पर यहां मेला लगता है, जो ब्रज में अपनी अलग पहचान बना चुका है। करीब दो वर्ष से यहां लगातार रामायण का पाठ चल रहा है। मंदिर परिसर में ही गोशाला भी है। 

धंसता गया शिवलिंग

श्रद्धालु प्रेमप्रकाश गौतम ने बताया कि इस मंदिर के इतिहास के बारे में बुजुर्ग बताते थे। पहले दो फिट ऊंचा शिवलिंग था, लेकिन वह नीचे धंसता जा रहा है। अब पौन फिट ही है। एक हजार साल पुराने इस मंदिर पर हर रोज सैकड़ों लोग दर्शन करने आते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.