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हरिकथा भलाई के रास्‍ते पर चलने को करती है प्रेरित : पं. मुकेश शास्त्री Aligarh news

मनुष्य को परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सतकर्म करते रहने चाहिए। सतकर्म करने के लिए सत्संग कथा सुनाना आवश्यक है। क्योंकि सत्संग व हरि कथा हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। भगवान की भक्ति करने के लिए कोई उम्र का बंधन नहीं है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 02:14 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 02:14 PM (IST)
हरिकथा भलाई के रास्‍ते पर चलने को करती है प्रेरित : पं. मुकेश शास्त्री Aligarh news
गांव नगला बलराम में श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन देते पं. मुकेश शास्त्री महाराज ।

अलीगढ़, जेएनएन : मनुष्य को परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सत्‍कर्म करते रहने चाहिए। सत्‍कर्म करने के लिए सत्संग कथा सुनाना आवश्यक है। क्योंकि सत्संग व हरि कथा हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। भगवान की भक्ति करने के लिए कोई उम्र का बंधन नहीं है। बच्चों को छोटी उम्र से ही भक्ति करने की प्रेरणा देनी चाहिए। बचपन चॉक पर रखी मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे पात्र बनाया जा सकता है। उक्त प्रवचन इगलास क्षेत्र के गांव नगला बलराम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में पं. मुकेश शास्त्री महाराज ने व्यक्त किए।

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भजनों पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूमे

उन्होंने आगे सती चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को बिना निमंत्रण के किसी कार्यक्रम में जाने से पहले यह विचार अवश्य करना चाहिए कि वहां उसके इष्ट का अपमान तो नहीं होगा। ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जान का विचार त्याग देना चाहिए फिर चाहे वह पिता को घर ही क्यों न हो। भगवान शिव की बात न मानकर सती पिता के घर चली गई और उन्हें अग्नि में समाहित होना पड़ा था। कथा के बीच में सुनाए गए भजनों पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूमने पर मजबूर हो गए।


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