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Make Small Strong:लॉकडाउन में अमेरिका-इग्लैंड में चमकाया हार्डवेयर कारोबार Aligarh News

ऑनलाइन सैंपल मंगाए गए। सैंपल को पास कराने के लिए यूपीएल व डीएचएल कोरियर कंपनियों के जरिये अमेरिका व इग्लैंड भेजा गया। सैंपल पास होने के बाद एयरफ्रेट से माल भेजा गया। जुलाई से माल शिप से भेजा जा रहा है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 08:00 AM (IST)
Make Small Strong:लॉकडाउन में अमेरिका-इग्लैंड में चमकाया हार्डवेयर कारोबार Aligarh News
लॉकडाउन में घर पर रहने का महक एंटरप्राइजेज ने भरपूर लाभ लिया।
अलीगढ़ जेएनएन: लॉकडाउन में घर पर रहने का महक एंटरप्राइजेज ने भरपूर लाभ लिया। विदेशी कारोबारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग कीं। व्यापार को बरकरार रखने के लिए डील की। ऑनलाइन सैंपल मंगाए गए। सैंपल को पास कराने के लिए यूपीएल व  डीएचएल  कोरियर कंपनियों के जरिये अमेरिका व  इग्लैंड  भेजा गया। सैंपल पास होने के बाद  एयरफ्रेट  से माल भेजा गया। जुलाई से माल शिप से भेजा जा रहा है। 
 
लॉकडाउन में घर पर रहने का  भरपूर लाभ लिया
22 मार्च के जनता कफ्र्यू, फिर लॉकडाउन में वाणिज्यिक गतिविधियां  थम  गईं। नेशनल-इंटरनेशनल  उड़ान  रुक गईं। सभी पोर्ट पर व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लग गई। ताला-हार्डवेयर की सामान्य फैक्ट्रियों साथ एक्सपोर्ट यूनिटों में ताले  पड़  गए। महक एंटरप्राइजेज के पास नए वित्त वर्ष के लिए अमेरिका, इग्लैंड, फ्रांस, कनाडा सहित देशों से ऑर्डर थे, वे रोक न जाएं, इसलिए निदेशक महक सिं ने उद्यमियों का  डिजीटल  प्लेटफार्म तैयार किया, ताकि वर्चुअल मीट हो सके। इन देशों में कोरोना महामारी का प्रकोप था। लोगों का घरों पर समय नहीं कट रहा था। वे घर में फर्नीचर,  ङ्क्षवडों  नए मकानों को सजाने-संवारने में जुटे थे। महक सिंघल सुबह-शाम विदेश कारोबारियों के साथ नियमित बैठकें की। ऑनलाइन ऑर्डर मिलने के बाद शक्तिनगर स्थित फैक्ट्री में माल तैयार कराना शुरू किया। मध्य अप्रैल तक सरकार भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जोर दे रही थी। सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए माल को कार्टून में तैयार कर कोरियर कंपनी से  एयरफ्रेट  तक पहुंचाया। जून के पहले ही सप्ताह में तीन  बड़े  ऑर्डर  इग्लैंड  व अमेरिका भेज दिए। जुलाई में फ्रांस व कनाडा माल भेजा गया। महक एंटरप्राइजेज में 300 से अधिक उत्पाद एक्सपोर्ट किए जाते हैं। सबसे ज्यादा फर्नीचर हार्डवेयर ब्रास व आयरन में तैयार होते हैं।
 
लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद होने से कर्मचारी परेशान थे। हमने कोविड-19 की अनलॉक की शर्त व सावधानी का पालन करते हुए काम चालू कराया। मैंने उत्पादन की कमान संभाली। 
विनोद सिंघल, चेयरमैन, महक एंटरप्राइजेज 
 
 
लॉकडाउन में 50 से अधिक आर्डर के लिए  मैन्युफैक्चङ्क्षरग  की। तीन  बड़े   कंसाइनमेंट  भेजे। दो दिन पहले एक खेप  इग्लैंड  भेजी थी, वह पहुंच भी गई। 
महक सिंघल, निदेशक, महक एंटरप्राइजेज
 
आढ़त से महक एंटरप्राइजेज तक
सिंघल परिवार  गभान  तहसील के  कौहरे  रुस्तमपुर के मूल निवासी थे। सेठ  बहोरी  लाल अग्रवाल गल्ला के कारोबारी थे। क्षेत्रीय गांवों से अनाज खरीदकर मंडी तक पहुंचाते थे। वर्ष 1968 में बडे़ बेटा मुकुट विहारी लाल सिंघल व विनोद सिंघल के साथ आकर अलीगढ़ में बस गए। उस समय  बारद्वारी  क्षेत्र रामगंज में गल्ला की आढ़त थी। यहां मुकुट विहारी व विनोद सिंघल के नाम से आढ़त की फर्म खोली। विनोद सिंघल पढ़ने में तेज थे।  इन्हाेंने  एएमयू से बीकॉम व प्रबंधन से  जुड़ा  कोर्स किया। वर्ष 1984 में ट्रांसपोर्ट के कारोबार में यह उतर आए। खुद ट्रक व टैक्सी की कार चलाने लगे। ट्रांसपोर्ट के काम में संघर्ष अधिक था। परिवार के अन्य लोगों की सुझाव पर 28000 रुपया की लागत से हार्डवेयर की  मैन्युफैक्चरिंग  शुरु की। इसमें परिवार के रमेश चंद्र सिंघल ने पूरा साथ दिया। शक्तिनगर में फैक्ट्री स्थापित कर रामा मेटल प्रोडक्ट के नाम से फर्म खोल दी। खुद के ब्रांड के हार्डवेयर उत्पादन देशी बाजार में छा गए। वर्ष 2002 में महक  एंटर   प्राइजेज  के नाम से एक्सपोर्ट यूनिट स्थापित कर दी। इसे बेटा महक सिंघल दे संभाल लिया। विदेशी बाजारों में मेटल व आयरन प्रोडक्ट की डिमांड अधिक होने के चलते घरेलू बाजार की सप्लाई बंद कर दी। एक्सपोर्ट क्वालिटी के प्रोडक्ट बनने लगे।  रामांचल  के नाम से सिंघल परिवार को ख्याति मिली हुई है। 
 
लॉकडाउन में मानव उपकार को परलोक वाहन किया दान  
विनोद सिंघल समाज सेवा में हमेशा अग्रणी रहते हैं। शहर की मानव उपकार संस्था के यह संरक्षक है। यह संस्था लावारिश शवों का अंतिम संस्कार उसी धर्म के आधार पर करती है। यह पिंडदान व अस्थियां विसर्जन भी करती है। सिंघल ने शव लाने के लिए सबसे पहले मानव उपकार को ऑटो भेंट किया था। पवित्र गंगा के घाट निकट होने के कारण  बड़ी   तादात  में लोग अंतिम संस्कार के लिए गंगा घाट अपने प्रियजनों को ले जाते हैं। वाहन न होना सबसे  बड़ी  समस्या थी। विनोद सिंघल ने तीन साल पहले 30 शीटर बस दान की। यह  अतिंम  यात्रा के हिसाब से ही तैयार की गई। यह सेवा फ्री रहती है। जो भी व्यक्ति पहले सेवा की सूचना देगा, तत्काल उसी को भेजी जाएगी। लॉकडाउन के समय ऐसी बस की कमी महक सिंघल को खली। इस बात को महक ने पिता से साझा किया। लॉक डाउन यानी मई माह के अंतिम सप्ताह में इस बस का चेस खरीदा गया। लॉक  डान  के चलते बॉडी बनाने वालों के कारखाने बंद थे। सिंघल परिवार ने मेरठ संपर्क कर संस्थापक अध्यक्ष विष्णु कुमार बंटी को तत्काल तैयार कराने को कहा। 20 लाख रुपया कीमत की ये बस जून के पहले सप्ताह में समर्पित कर दी। इस बस का 57 हजार रुपया  परिमिट  पर अलग से खर्च किया। ताकि जांच के दौरान टोका टाकी न हो। 
शिक्षा सेवा में हैं अग्रणी
विनोद सिंघल परिवार शिक्षा सेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी हैं। शहर को गुणवत्ता परक शिक्षा देने के लिए एक अच्छे स्कूल की  जरुरत  थी। खैर रोड पर शहर से आठ किलो मीटर दूर वर्ष 2006 में रेडिएंट स्टार्स  इग्लिस  स्कूल की स्थापना की। सीबीएसई बोर्ड के इस विद्यालय में  12वीं  तक की शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है। स्कूल के आसपास क्षेत्र के गरीब बच्चों को बेहद  रियाती  दर पर पढ़ाया जाता है। बोर्ड के परिणाम जब आते हैं, तो इस स्कूल के  बच्चें  टॉप  टैन  की सूची में  जरुर  आते हैं। 

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