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हरदुआगंज को मिलेगा 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाइ का तोहफा

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। 1945 के दशक में अलीगढ़ जिले से 15 किलोमीटर दूर बिजली उत्पादन के लिए कासिमुपर पावर हाउस को काफी मुफीद माना गया था क्योंकि यह गंग नहर के सहारे बसा हुआ है। जिसमें 24 घंटे पानी भरपूर मात्रा में बहता रहता है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 03:16 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 03:16 PM (IST)
1945 में अलीगढ़ से 15 किलोमीटर दूर बिजली उत्पादन के लिए कासिमुपर पावर हाउस को काफी मुफीद माना गया था।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। 1945 के दशक में अलीगढ़ जिले से 15 किलोमीटर दूर बिजली उत्पादन के लिए कासिमुपर पावर हाउस को काफी मुफीद माना गया था क्योंकि यह गंग नहर के सहारे बसा हुआ है। जिसमें 24 घंटे पानी भरपूर मात्रा में बहता रहता है।

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यह रहा है कासिमपुर पावर हाउस की यूनिटों का इतिहास

पश्चिम उत्तर प्रदेश बिजली उत्पादन में सबसे कमजोर हुआ करता था, लेकिन 1945 में यहां पर 10 मेगावाट की तीन इकाईयों की स्थापना की गई। इसके पश्चात 30 मेगावाट की तीन इकाईयों का निर्माण 1962 से 1964 के मध्य में पूरा किया गया। इन इकाईयों का निर्माण क्रमशः इग्लैड, जर्मनी एवं जापानी कंपनी के द्वारा तैयार की गई, लेकिन अधिक कोयला की लागत एवं वायु एवं ध्वनि प्रदूषण के चलते इन तीनों इकाईयों को 1992 में बंद कर दिया गया।

31 साल बाद बंद की गयी 50 मेगावाट की इकाई

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बी गोपाला रेडडी के द्वारा 1968 में राष्ट्र को चार इकाईयां जिसमें दो 50 -50 मेगावाट की रशियन तथा दो 55 -55 मेगावाट की बीएचई एल के द्वारा बनवाकर समर्पित की गई, जिसमें 50 मेगावाट की इकाई को जिसे रशियन कंपनी के द्वारा तैयार किया गया था। इस इकाई ने 1,31,198 घंटे चलकर 4,365 मिलियन यूनिट उत्पादन किया। इस इकाई को वर्ष 1999 में 31 वर्ष उत्पादन लेने के बाद बंद कर दिया गया।

34 साल बाद बंद हुई 55 मेगावाट की इकाई

50 मेगावाट की दूसरी इकाई जिसे रशियन कंपनी द्वारा तैयार की गई थी । इस इकाई को 91,914 घंटे चलाकर 3134 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर 1989 में बंद कर दिया गया। 55 मेगावाट की इकाई को बीएचईएल द्वारा 1972 में तैयार किया गया। इस इकाई को 1,60,106 घंटे चलाकर 6,289 मिलियन उत्पादन 34 वर्ष लेकर 2008 में बंद कर दिया गया। इसके बाद 1974 में इकाई नंबर 5,6 और सात की आधार शिला रखी गई जिसको बीएचईएल के द्वारा तैयार किया गया। इन यूनिटों से 4700,703 मेगावाट का उत्पादन लिया गया। प्रति यूनिट उत्पादन लागत अधिक होने के कारण इन यूनिटों को 2015 में बंद कर दिया गया।जिसमें सात नबंर यूनिट को अपड़ेट कर 120 मेगावाट कर दिया गया ।इसके अपडेट होने में 400 करोड की लागत आई । इन यूनिटों से बिजली उत्पादन करने में खर्चा और पर्यावरण प्रदूषण अधिक फैलने के कारण सात नंबर यूनिट को छोड़ छह यूनिटों को बंद कर दिया गया।

सीएम योगी आदित्‍यनाथ करेंगे 660 मेगावाट इकाई का लोकार्पण

ऊर्जा क्षेत्र में विकास के उदेश्य से 2012 में कासिमपुर पावर हाउस में 250 -250 मेगावाट की दो यूनिटों की स्थापना 35 हेक्टयर क्षेत्रफल में किया गया। वहीं 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाई को 60 हेक्टेयर क्षेत्र फल में स्थापित किया गया, जिसकी लागत 6000 करोड़ रूपये आई है। इस यूनिट की आधार शिला 15 दिसबंर 2015 को अखिलेश यादव द्वारा रखी गई है, जिसका आज लोकार्पण सूबे के मुखिया योगी आदित्य नाथ के हाथों से किया जाएगा।


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