जिगर के टुकड़े की सुरक्षा के लिए अभिभावकों ने खींचे हाथ, जानिए मामला Aligarh News
पहले 26 से 31 मार्च तक स्कूल-कालेजों में अवकाश कर दिया गया यह कहकर अवकाश किया गया कि होली पर्व के चलते अवकाश किया जा रहा है। इससे तमाम निजी विद्यालय संचालकों में रोष भी उत्पन्न हुआ लेकिन 31 मार्च तक अवकाश की बात मान ली।
अलीगढ़, जेएनएन। बच्चे अगर स्कूल-कालेज में पढ़ने जाते हैं तो अभिभावकों के लिए उनके बच्चों की सुरक्षा से बढ़कर कोई बिंदु नहीं होता है। सुरक्षा भी अगर महामारी से करनी हो तो अभिभावकों को त्वरित निर्णय लेने ही पड़ते हैं। एक ओर जहां बच्चों को छूटी पढ़ाई पूरी कराने के लिए बच्चों को स्कूल भेजना शुरू ही हुआ था कि कोरोना संक्रमण के एक बार फिर से बढ़ने के चलते स्थितियां फिर डांवाडोल हो गई हैं। अभिभावकों ने भी इस मुद्दे पर सतर्कता बरतते हुए अपने फैसले से हाथ वापस खींच लिए हैं।
यह है मामला
पहले 26 से 31 मार्च तक स्कूल-कालेजों में अवकाश कर दिया गया, यह कहकर अवकाश किया गया कि होली पर्व के चलते अवकाश किया जा रहा है। इससे तमाम निजी विद्यालय संचालकों में रोष भी उत्पन्न हुआ लेकिन 31 मार्च तक अवकाश की बात मान ली। एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होना था लेकिन एक से चार अप्रैल तक फिर कक्षा एक से आठ तक के सरकारी व निजी स्कूलों को बंद रखने का ऐलान कर दिया गया। अभी बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार शासन की ओर से आदेश आ रहे हैं कि स्कूल-कालेजों को 12 अप्रैल तक बंद किए जाने का फैसला किया गया है। इस तरह कोरोना से बचाव के चलते संस्थानों को बंद करने के फैसलों के बीच अभिभावकों ने भी बच्चों को स्कूल भेजने की अनुमति देना बंद कर दिया है। बिना अभिभावक की लिखित अनुमति के कोई विद्यार्थी स्कूल-कालेज नहीं जा सकता। नौवीं से 12वीं तक के कालेज के विद्यार्थियों के अवकाश की बात नहीं की गई है। मगर विद्यालयों में विद्यार्थी काफी कम संख्या में आ रहे हैं। नौरंगीलाल राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य शीलेंद्र यादव ने बताया कि शुरु में संक्रमण कम होने पर जब विद्यालय खुले थे तो 35 फीसद तक विद्यार्थी आने शुरू हो गए थे। मगर अब दोबारा संक्रमण बढ़ने की स्थिति में 15 से 20 फीसद बच्चे ही विद्यालय की ओर रुख कर रहे हैं।