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बदनाम न करे सरकार, किसान सबसे बड़े देशभक्त, अलीगढ़ म ेंबोले कांग्रेस नेता श्योराज जीवन

कृषि कानूनों के खिलाफ सोनिया गांधी सेना का गांधी पार्क पर धरना सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी एसीएम द्वितीय को सौंपा ज्ञापन।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 08:08 PM (IST)
बदनाम न करे सरकार, किसान  सबसे बड़े देशभक्त, अलीगढ़ म ेंबोले कांग्रेस नेता श्योराज जीवन
बदनाम न करे सरकार, किसान सबसे बड़े देशभक्त, अलीगढ़ म ेंबोले कांग्रेस नेता श्योराज जीवन

जासं, अलीगढ़ : पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत सोनिया गांधी सेना के तत्वावधान में शुक्रवार को गांधी पार्क के गेट पर धरना-प्रदर्शन किया गया। इसमें कांग्रेसियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कृषि कानूनों के खिलाफ हुंकार भरी। बेरोजगारी, महंगाई, बिगड़ती कानून व्यवस्था व शहर की समस्याओं पर शासन-प्रशासन को घेरा। एसीएम द्वितीय रंजीत सिंह को ज्ञापन भी सौंपा गया।

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धरने को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्योराज जीवन ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार देशद्रोही साबित कर बदनाम करने में लगी है। उन्हें आतंकवादी बता रही है, जबकि किसान सबसे बड़ा देशभक्त है, जो कड़ी मेहनत करके अन्न उगाता है और पूरे देश का पेट भरता है। किसानों की मांग जायज है, तीनों नए बिल वापस होने चाहिए।

पूर्व प्रदेश महासचिव राजेश राज जीवन ने कहा कि यदि सरकार की नीयत साफ है तो कृषि कानूनों को तत्काल खत्म करे। आंदोलन में जान गंवाने वालों को शहीद का दर्जा प्रदान करे। इस मौके पर युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जियाउर्रहमान, चौ. रंजन सिंह, रितेश यादव, पुत्तन खां, राजेंद्र राजे, रूप किशोर, निर्मल चौहान, अरविद कुमार, ठा. राकेश सिंह, जितेश वर्मा, योगेश चौधरी, अंशुल गुप्ता, अलाउद्दीन खां, दिनेश तिवारी, गीता सिंह, अर्चना सिंह मौजूद रहे।

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पूर्व विधायक ने कृषि कानून का

समर्थन करने पर जताई नाराजगी

जासं, अलीगढ़ : पूर्व विधायक चौधरी विमलेश सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार को किसानों की बात माननी पड़ेगी। सरकार को अपनी जिद छोड़नी चाहिए। कृषि कानून को सरकार वापस ले। पूर्व विधायक ने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिलनी चाहिए। जाट महासभा के कृषि कानून के समर्थन में दिए गए ज्ञापन पर पूर्व विधायक ने कहा कि जिस समय समाज को किसानों के साथ रहना चाहिए था, उस समय जाट महासभा कृषि कानून का समर्थन कर रही है। महासभा के पदाधिकारियों को सोचना चाहिए कि वे सामाजिक संगठन के पदाधिकारी हैं।


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