झोलाछापों पर सरकारी अफसरों की बरस रही कृपा, सिस्टम हुआ बौना, जानिए क्या है मामला Aligarh news
अफसर भी झोलाछापों पर खूब मेहरबान है। कुछ माह पूर्व जवां ब्लाक के गांव सुनमई में एक झोलाछाप के खिलाफ सीएमओं से लेकर शासन तक शिकायत हुईं जांच बैठी नोटिस जारी हुए पुलिस ने पड़ताल की। अंत में सभी ने अपनी-अपनी आंखें बंद कर मामला रफा-दफा कर दिया।
अलीगढ़, जेएनएन : एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता लाने पर जोर दे रही है, वहीं जनपद में झोलाछापों की सक्रियता फिर बढ़ गई है। हैरानी की बात ये है कि अफसर भी झोलाछापों पर खूब मेहरबान है। कुछ माह पूर्व जवां ब्लाक के गांव सुनमई में एक झोलाछाप के खिलाफ सीएमओं से लेकर शासन तक शिकायत हुईं जांच बैठी, नोटिस जारी हुए, पुलिस ने पड़ताल की। अंत में सभी ने अपनी-अपनी आंखें बंद कर मामला रफा-दफा कर दिया। झोलाछाप का कोई बाल बांका नहीं कर पाया। इससे पता चलता कि यह झोलाछाप सिस्टम से भी बड़ा हो गया। हैरानी की बात ये है कि जिस झोलाछाप को क्लीन चिट दी, उसे रोज ग्रामीण क्लीनिक पर मरीजों की नब्ज पकड़ते, इंजेक्शन देते व ड्रिप लगाते हुए देखते हैं। मेडिकल स्टोर भी चलाता है, मगर जांच करने वाली टीमों को यह सब दिखाई नहीं दिया। फिर से मामले की शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर की गई है।
ये है मामला
सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीन कुमार ने जनसुनवाई पोर्टल पर झोलाछाप की शिकायत की थी। 15 नवंबर 2020 को एसीएमओ डा. दुर्गेश कुमार ने जवां स्थित सुनामई में अवैध रूप से प्रैक्टिस करने वाले डा. चंद्रभान के क्लीनिक का दौरा किया। वह महिला मरीज को ड्रिप लगाकर इलाज करते पाए गए। सात बेड इंडोर के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे। एलोपैथी दवाओ से प्रैक्टिस के बावजूद वे कोई भी वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए। विभाग ने 17 नवंबर को नोटिस जारी कर डा.चंद्रभान को दस्तावेजों का सत्यापन करने बुलाया। चेतावनी दी गई कि अवैध प्रैक्टिस पर भारतीय दंड सहिता के तहत कार्रवाई होगी। हैरानी की बात ये है कि चंद्रभान ने दस्तावेज तो पेश नहीं किए, मगर प्रधान आदि के शपत-पत्र पेश किए, जिसमें क्लीनिक न चलने का दावा था। हालांकि, बाद में प्रधान ने ऐसा कोई पत्र देने से इन्कार कर दिया।
झोलाछाप का संरक्षण
प्रवीन कुमार पुनः जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इस पर सीएमओं ने एसीएमअो से कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी। हैरानी की बात ये है कि एसीएमअो ने खुद तो जांच नहीं की, पुलिस को चिट्ठी लिख दी कि यदि क्लीनिक व मेडिकल स्टोर चल रहा हो तो उसे बंद करा दें और रिपोर्ट दर्ज कर लें। पुलिस ने गांव में ऐसा कोई क्लीनिक-मेडिकल स्टोर संचालित न होने की पुष्टि करते हुए पलड़ा झाड़ लिया। ऐसे में सीएमअो ने 19 फरवरी को जांच रिपोर्ट के आधार पर उक्त शिकायत फर्जी बताते हुए झोलाछाप को क्लीन चिट दे दी। डीएम को ऐसी ही रिपोर्ट भेजी की यह मामला द्वेष भावना से प्रतीत होता है।
पुनः मुख्यमंत्री से शिकायत
प्रवीन कुमार ने पुनः जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की है। इसमें स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाचाप पर कार्रवाई की बजाय पुलिस को ऐसी तहरीर दी, जिससे झोलाछाप बच जाए। अवैध शपथ-पत्र लेकर औपचारिकता पूरी कर दीं। झोलाछाप को रंगेहाथ पकड़े जाने व वैध दस्तावेज न देने पर भी झोड़ दिया गया। अपने ही नोटिस पर कोई कार्यवाही नहीं की। झोलाछाप ने मेडिकल स्टोर का लाइसेंस लेने के नाम पर ग्रामीणों से कोरे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए।
इनका कहना है
अधीनस्थों व पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर झोलाछाप के खिलाफ क्लीनिक संचालित पाए जाने का कोई सुबूत नहीं मिला है। यदि क्लीनिक व मेडिकल स्टोर चल रहा है तो पुनः जांच कराकर कार्रवाई करूंगा।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ।