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आपदा को अवसर बनाने में हो गई पकड़, अब लग रही फटकार, जानिए मामला Aligarh news

कोरोना संक्रमण काल में देश व दुनिया में हर इंसान व हर क्षेत्र से जुड़े लोग परेशान हैं। इस वायरस के प्रकोप के चलते तमाम व्यवस्थाओं से लेकर आम जनमानस की दिनचर्या व जीवन शैली तक बदल गई।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 09:45 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 09:45 AM (IST)
आपदा को अवसर बनाने में हो गई पकड़, अब लग रही फटकार, जानिए मामला Aligarh news
अपने विद्यालय का परिणाम बेहतर करने की फिराक में रहने वालों ने मौके का फायदा उठाया।

अलीगढ़, जेएनएन।  कोरोना संक्रमण काल में देश व दुनिया में हर इंसान व हर क्षेत्र से जुड़े लोग परेशान हैं। इस वायरस के प्रकोप के चलते तमाम व्यवस्थाओं से लेकर आम जनमानस की दिनचर्या व जीवन शैली तक बदल गई। शिक्षा क्षेत्र की बात हो तो आनलाइन पढ़ाई से लेकर वो कदम तक उठाने पड़े जो इतिहास बन गए। यूपी बोर्ड ने अपने 100 साल के इतिहास में पहली बार हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की वार्षिक परीक्षाएं निरस्त कीं। इसी तरह सीबीएसई ने भी विद्यार्थियों को प्रमोट कर विद्यालयों को परिणाम जारी करने की जिम्मेदारी दी। मगर यहां गुरुजी आपदा को अवसर बनाने में फंस गए।

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छमाही परीक्षाओं के अंकों के आधार पर परिणाम जारी

सीबीएसई स्कूलों के जिम्मेदार व्यक्तियों ने बताया कि तमाम विद्यालय हैं जिनका परीक्षा परिणाम सीबीएसई की वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद उसको वापस किया गया है। दरअसल प्रधानाचार्यों ने आंतरिक मूल्यांकन, नौवीं व 11वीं के अंक और छमाही परीक्षाओं के अंकों के आधार पर परिणाम जारी किया है। 11वीं व नौवीं कक्षाओं के परिणाम तो तैयार हुए लेकिन विद्यार्थियों को रिपोर्ट कार्ड नहीं दिए गए। ऐसे में कोरोना काल में अपने हाथों में कमान आने के बाद मनचाहे अंक देकर अपने विद्यालय का परिणाम बेहतर करने की फिराक में रहने वालों ने मौके का फायदा उठाया। मगर जब सीबीएसई के पास अंक निर्धारित कर परिणाम भेजा गया तो सीबीएसई के आलाधिकारियों ने परिणाम को वापस करते हुए उसे संशोधित करते हुए दोबारा देने की बात कही। 15 से 20 विद्यालयों के परिणाम वापस भेजे गए हैं। इसी के चलते 15 जून तक आ जाने वाला परीक्षा परिणाम 20 जुलाई तक जारी नहीं किया जा सका है। बहरहाल परिणाम जो भी हो लेकिन इस साल जिला टापर की होड़ लगना या जिला टापर की गद्दी पर कब्जा करने के कोई खास मायने नहीं होंगे। इससे मेधावियों में भी मायूसी है। उनका कहना था कि परीक्षाएं देर से ही सही लेकिन कराई जानी चाहिए थीं।


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