ओएमआर बेस्ड परीक्षा के 'जिन्न' ने बढ़ा दी टेंशन, करा दी तकरार, जानिए मामला Aligarh news
पिछले कारोना काल में संक्रमण से राहत मिलने के बाद डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने विधि छात्रों बीएड प्रशिक्षुओं व स्नातक वर्ग की कुछ परीक्षाएं ओएमआर शीट पर कराई थीं। इसका नुकसान भी विद्यार्थियों को खासतौर से विधि के विद्यार्थियों को उठाना पड़ा था।
अलीगढ़, जेएनएन । पिछले कारोना काल में संक्रमण से राहत मिलने के बाद डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने विधि छात्रों, बीएड प्रशिक्षुओं व स्नातक वर्ग की कुछ परीक्षाएं ओएमआर शीट पर कराई थीं। इसका नुकसान भी विद्यार्थियों को खासतौर से विधि के विद्यार्थियों को उठाना पड़ा था। इस पर पूरे मंडलभर में छात्रनेताओं का विरोध भी चला था। कुलपति को हस्तक्षेप करने हुए कुछ विषयों की पुन:परीक्षा देने की व्यवस्था भी करनी पड़ी। तब जाकर मामला शांत हुआ था। अब दूसरे कोरोना काल से राहत मिलने पर विश्वविद्यालय की परीक्षाएं ओएमआर शीट पर कराने की चर्चा ने ही विश्वविद्यालय व आगरा यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (औटा) अध्यक्ष व परीक्षा नियंत्रक के बीच तकरार खड़ी कर दी है। साथ ही विद्यार्थियों के दिमाग में भी टेंशन पैदा कर दी है।
विश्वविद्यालय का वक्तव्य भ्रामक व अनुचित
औटा अध्यक्ष व जिले के एसवी डिग्री कालेज के शिक्षक डा. ओमवीर सिंह ने बताया कि डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के परीक्षा नियंत्रक की ओर से वार्षिक परीक्षा के संबंध में ओएमआर आधारित परीक्षा आयोजित किए जाने का वक्तव्य दिया गया है। उन्होंने इस वक्तव्य को भ्रामक व अनुचित करार दिया है। बताया कि परीक्षा का प्रारूप विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति की ओर से एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक में तय किया जा चुका है। ऐसे में परीक्षा नियंत्रक की ओर से मनमाने ढंग से परीक्षा समिति के निर्णय, जिसके वे सम्मानित सदस्य भी हैं, के विरुद्ध ओएमआर आधारित परीक्षा आयोजित किए जाने की बयानबाजी अनुचित है। बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से पहले ही पाठ्यक्रम को सीमित कर प्रश्नों की संख्या सिर्फ चार की गई, साथ ही परीक्षा का समय भी दो घंटे का किया जा चुका है। प्रश्नपत्र आदि तैयार करने की प्रक्रिया में पर्याप्त समय और संसाधन व्यय किया जा चुका है। पूरे सत्र में इसी व्यवस्था के अंतर्गत छात्रों ने तैयारी भी की। उसी के अनुसार छात्रों को पुस्तकें भी उपलब्ध हुईं तथा पूरे विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने पढ़ाया भी। कोविड की स्थितियां अगस्त तक यानि दो माह में कैसी होंगी? यह कहना मुश्किल है। फिर भी यदि प्रणाली में कोई भी बदलाव अपेक्षित है तो उसे विश्वविद्यालय की सक्षम एवं प्राधिकृत संस्थाओं के जरिए सम्यक विचार के बाद ही निर्णय लिया जाना चाहिए।