भविष्य में क्रांति हैं फ्यूचर फार्मिंगः प्लास्टिक के पाइप से वर्टिकल फार्मिंग से सब्जी उगाई
गांव से लेकर शहर तक आबादी लगातार बढ़ रही है। इससे रिहायशी व व्यावसायिक इलाका लगातार बढ़ता जा रही है।
अलीगढ़ (केसी दरगड़)। गांव से लेकर शहर तक आबादी लगातार बढ़ रही है। इससे रिहायशी व व्यावसायिक इलाका लगातार बढ़ता जा रही है। इसका असर जल, जंगल और जमीन पर भी पड़ा है। ऐसे में बढ़ती खपत को देखते हुए कम धरती व कम पानी में उत्पादन बढ़ाना एक चुनौती है। क्वार्सी अंबेडकर कॉलोनी निवासी अमर सिंह ने इस चुनौती को स्वीकार कर ऐसा कर दिखाया है कि आप कम जगह में सब्जी कर दूसरे लोगों की भी जरूरत पूरी पर सकते हैं। उन्होंने वर्टिकल फार्मिंग से टमाटर, पालक, सलाद पत्ता, फूल गोभी व बंदगोभी उगाया है।
कैसे हो रही खेती
प्लास्टिक के चार से पांच इंच चौड़े पाइप में गीली फिर पाइप में छेद कर दिए जाते हैं। उसमें प्लास्टिक के गिलास में मिïट्टी डालकर फंसा दिए जाते हैं। जो सब्जी आपको उगानी हो या उसमें उसकी पौध या बीज लगा दिया जाता है। फिर पाइप को खड़ा कर देते है। खाली जगह बचने पर मिïट्टी भर देते हैं। पानी के लिए पतले पाइप से बूंद-बूंद पानी टपकाया जाता है। धीरे-धीरे पौधा बढ़ता रहता है।
क्या हैं फायदे
जगह की बचत के साथ पानी की बचत होती है। इसमें क्यारी व खेत की तरह अधिक खरपतवार नहीं होते हैं और नराई करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। तीन फुट जगह में 24 पौधे लगाए जा सकते है। यानी की 24 गोभी के फूल या पत्ता गोभी प्राप्त कर सकते हैं। एक का वजन एक किलो तक हो सकता है। खरपतवार नाशक का प्रयोग करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। पानी की बचत के लिए ड्रिप व खाद के रूप में किचिन वेस्ट से तैयार जैविक खाद इस्तेमाल होता हैं। अमर सिंह ने बताया कि यदि आपके पास एक बीघा जमीन है तो एक एकड़ के बराबर उत्पादन ले सकते हैं। नहीं तो घर की छत पर अपनी जरूरत के हिसाब से सब्जी उगा सकते हैं।
प्रयोग अच्छा है
जिला उद्यान अधिकारी एनके साहनिया का कहना है कि भविष्य के लिए अच्छा प्रयोग है। कम जगह में अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इसमें पुराने प्लास्टिक के पाइप का प्रयोग कर सकते है। घर में जगह न हो तो छत पर भी उगा सकते हैं।