बाहरी छात्रों के प्रवेश पर कहां-कहां से आएंगी रिपोर्ट? गुरुजी भी नहीं जान पाएंगे Aligarh news
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश (यूपी बोर्ड) ने कालेजों में बाहरी छात्र-छात्राओं को प्रवेश देने से पहले अफसरों की अनुमति का डंडा तो चलाया ही है। साथ में उनके सभी दस्तावेज भी कालेज में सुरक्षित रखने का फैसला सुनाया जा चुका है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तरप्रदेश (यूपी बोर्ड) ने कालेजों में बाहरी छात्र-छात्राओं को प्रवेश देने से पहले अफसरों की अनुमति का डंडा तो चलाया ही है। साथ में उनके सभी दस्तावेज भी कालेज में सुरक्षित रखने का फैसला सुनाया जा चुका है। अफसरों की ओर से मांगने पर ये दस्तावेज उपलब्ध कराने पड़ेंगे। मगर अब प्रधानाचार्यों के सामने नई चुनौती भी खड़ी होगी। बाहरी छात्रों के प्रवेश के बारे में कहां-कहां से रिपोर्ट आएंगी ये उनको भी नहीं पता चल पाएगा। क्योंकि इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी कि छात्रों के प्रवेश के बारे में किसने सूचना दी है?
गुप्तचरों से फर्जीवाड़े पर कसेगी नकेल
गुप्तचर फिर से एक बार अपनी भूमिका में सक्रिय होंगे, इसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा हो। मगर यह सच है की गुप्तचरों के जरिए फर्जीवाड़े पर नकेल लगाने का कदम उठाया जा रहा है। मगर इन गुप्तचरों की चुनौतियां कम नहीं होंगी। क्योंकि अब आधुनिकता का दौर भी 21वीं सदी में जारी है। अब यह गुप्तचर कितने सफल होते हैं और कितने असफल रहते हैं? इसका फैसला तो वक्त ही करेगा। मगर अफसरों ने इस दिशा में काम करने के लिए कदम बढ़ा दिया है। दरअसल, ये कलयुग के गुप्तचर शिक्षा विभाग में लगाए जाएंगे। यूपी बोर्ड ने पहले ही सख्ती बरतते हुए बाहरी छात्रों के प्रवेश पर अफसरों की अनुमति लेने को अनिवार्य कर दिया है। अगर किसी विद्यालय में बाहरी छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को नकल कराने के उद्देश्य से अपनाया जाएगा तो शिक्षा विभाग से ही लगाए गए गुप्तचर इसकी सूचना अधिकारियों को देंगे। गुप्तचरों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
जनपद के बाहर के विद्यार्थियों का भेजना होगा ब्योरा
माध्यमिक विद्यालयों में 10वीं व 12वीं में प्रवेश पाने वाले जनपद से बाहर के विद्यार्थियों का ब्योरा अफसरों के पास भेजना है। ये ब्योरा यूपी बोर्ड के पास भेजा जाएगा। मगर जिले के तमाम प्रधानाचार्य अपने यहां प्रवेशित बाहरी छात्रों का ब्याेरा उपलब्ध नहीं कराते हैं। पूर्व के वर्षों में भी बाेर्ड के पास ऐसे विद्यार्थियों की सूचना न पहुंचने से करीब 15 हजार परीक्षार्थियों का परिणाम बोर्ड ने रोक दिया था। मगर इस बार ऐसे छात्रों को परीक्षा में शामिल ही नहीं किए जाने की व्यवस्था भी की गई है। सूचना न देने वाले कालेजों पर मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई भी की जाएगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार राजकीय व एडेड विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को ही इस नई भूमिका में लगाया जाएगा। हालांकि अफसरों ने अभी इस संबंध में कुछ भी खुलकर तो नहीं कहा है लेकिन ये जरुर स्पष्ट किया है कि विभाग अपने स्तर से भी बाहरी छात्रों पर नजर रखेगा।
इनका कहना है
डीआइओएस डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि जिले या राज्य के बाहर के किसी भी छात्र को प्रवेश देने से पहले उनसे अनुमति लेना अनिवार्य है। साथ ही ऐसे जितने छात्रों को प्रवेश दिया गया है उनका डेटा भी उपलब्ध कराना है। नाम, पता, फोटो, आधार नंबर आदि डेटा सभी विद्यालयों से लिया जाएगा। जिन विद्यालयों के डेटा नहीं मिलेंगे उनके बाहरी छात्रों के आवेदन निरस्त कराकर उनके खिलाफ मान्यता प्रत्याहरण की संस्तुति कर दी जाएगी।