अतीत के आइने से : रागिनी कार्यक्रम से प्रचार कर सभा के लिए जुटाते थे भीड़, बाद में पहुंचतेे थे नेता
UP Assembly Elections 2022 1957 के विधानसभा चुनाव की यादें ताजा करते हुये पं किशन शर्मा ने बताया कि उस जमाने में पहले भीड़ जुटा ली जाती थी तब नेता मंच पर भाषण देने आते थे। दरअसल उस समय संसाधन की कमी थी।
धर्मपाल शर्मा, जट्टारी /अलीगढ़ । UP Assembly Elections 2022 समय के साथ राजनीति में बड़ा ही बदलाव आया है। इस बार चुनाव डिजिटल पर आ गया है। पहले चुनाव बिना रैलियों के पूरा नहीं होता था। झंडा, बैनर, बिल्ला सब होते थे।
1957 विधानसभा चुनाव की यादें ताजा की
विधानसभा चुनाव की बातें करते हुए टप्पल कस्बा क्षेत्र के गांव पीपरी निवासी 87 वर्षीय पं. किशन शर्मा ने देश की आजादी के बाद हुए दूसरे यानी 1957 के विधानसभा चुनाव की यादें ताजा कीं। बोले, नेताओं को चुनाव लड़ाने व समर्थन करने का पहले एक अलग ही अंदाज था। सभाओं में प्रत्याशी समय पर पहुंचे थे। प्रचार के लिए अधिक साधन न थे। अब भीड़ पहले पहुंचती है नेता बाद में पहुंचते हैं। देश की आजादी के बाद से पहला चुनाव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहनलाल गौतम ने लड़ा था। जिसमें टप्पल खैर चंडौस जवा क्षेत्र आता था। इसके बाद सन 1957 में टप्पल सीट को अलग कर दिया गया था। जिसमें चौधरी देवदत्त सिंह चुनाव लड़े थे। तब टप्पल क्षेत्र में बाढ़ का प्रकोप था। यमुना में बाढ़ आने से टप्पल क्षेत्र के गांव में पानी भर जाता था। जिसकी वजह से आवागमन में परेशानी का सामना उठाना पड़ता था। उस समय विधायक चौधरी देवदत्त लोगों के लिए नाव द्वारा भोजन सामग्री व पशुओं के लिए चारा भेजते थे। उस समय बैठक करने से पहले गांव में सूचना भेज दी जाती थी। बैठक गांव की चौपाल पर होती थी। जनता को एकत्र करने के लिए रागिनी का प्रोग्राम किया जाता था। इसमें भक्ति गीत, जिकड़ी, चौपाई होती थीं। लोग बैठकों में बैलगाड़ी से व पैदल जाते थे। नेताजी समाज का बहुत सम्मान करते थे। अब वह बात नहीं रहीं। गांव-गांव पार्टीबंदी हो गई है।
प्रशिक्षण न लेने वालों पर कार्रवाई को बढ़े कदम
अलीगढ़ । विधानसभा चुनाव के लिए कृष्णा इंटरनेशनल स्कूल व विवेकानंद कालेज में पीठासीन व मतदान अधिकारियों का प्रशिक्षण शनिवार को पूरा हुआ। माइक्रो आब्जर्वर समेत पीठासीन व मतदान अधिकारियों को वीवीपैट संचालन की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण से अनुपस्थित रहने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी प्रस्तावित कर दी गई है। जिला कृषि अधिकारी रामप्रवेश ने बताया कि प्रशिक्षण में अंतिम दिन विवेकानंद कालेज में 20 पीठासीन अधिकारी व 16 मतदान अधिकारी प्रथम गैरहाजिर रहे। कृष्णा इंटरनेशनल स्कूल में 35 पीठासीन अधिकारी व 36 मतदान अधिकारी प्रथम गैरहाजिर रहे। विवेकानंद कालेज में माइक्रो आब्जर्वर को भी निर्वाचन संबंधी प्रशिक्षण दिया गया। 802 माइक्रो आब्जर्वर के प्रशिक्षण में 43 अनुपस्थित रहे। सभी अनुपस्थित कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित कर दी गई है।