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पूर्व सीएमओ को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, ये है मामला Aligarh News

नौ करोड़ के टेंडर घोटाले में मुख्य आरोपित पूर्व सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। एटा ट्रांसफर किए जाने के विरुद्ध पूर्व सीएमओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 08:28 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:29 PM (IST)
पूर्व सीएमओ को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, ये है मामला Aligarh News
पूर्व सीएमओ को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, ये है मामला Aligarh News

अलीगढ़ [विनोद भारती]: नौ करोड़ के टेंडर घोटाले में मुख्य आरोपित पूर्व सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। एटा ट्रांसफर किए जाने के विरुद्ध पूर्व सीएमओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। शासन के जवाब दाखिल करने पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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ये है मामला

वित्त वर्ष 2018-19 में दीनदयाल अस्पताल को उच्चीकृत करने को 5.40 करोड़ व अतरौली के 100 शैय्या अस्पताल के लिए 4.70 करोड़ का बजट मिला था। 21 फरवरी-19 को दीनदयाल अस्पताल की सीएमएस रहीं डॉ. याचना शर्मा ने दोनों अस्पतालों का संयुक्त टेंडर निकाला, जो नियमों के खिलाफ  था। न्यू पैंथर सिक्योरिटीज सर्विसेज व अन्य फर्म को नौ करोड़ का टेंडर दे दिया।

दैनिक जागरण ने किया था पर्दाफाश

दैनिक जागरण ने 28 अगस्त-19 के अंक में 'नौ करोड़ का टेंडर, सामान की आपूर्ति एक ही दिन मेंÓ व 29 अगस्त के अंक में 'सांसद-विधायक भी शिकायत करेंगे तो लगेंगे एक लाख रुपयेÓ खबरें प्रकाशित कर घोटाले का पर्दाफाश किया। कार्रवाई न होने पर सिस्टम को कठघरे में खड़ा किया। इसके बाद डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. याचना शर्मा, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर, डॉ. पी. कुमार को आरोप-पत्र जारी किए गए।

किए गए ट्रांसफर

दिसंबर 2019 में शासन ने डॉ. अग्रवाल को सीएमओ पद से हटाते हुए एटा जिला अस्पताल में बतौर वरिष्ठ परामर्शदाता ट्रांसफर किया। डॉ. याचना शर्मा को मैनपुरी भेज दिया।

हाईकोर्ट गए डॉ. अग्र्रवाल

आदेश के खिलाफ डॉ. अग्र्रवाल हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ चले गए। उनकी पत्नी की ओर से भी अर्जी दाखिल की गई। कोर्ट ने शासन से जवाब मांगा। प्रमुख सचिव ने ट्रांसफर के निर्णय को सही मानते हुए कोर्ट में जवाब दाखिल किया। कोर्ट ने डॉ. अग्र्रवाल व उनकी पत्नी के प्रत्यावेदनों को खारिज कर दिया। प्रमुख सचिव ने कोर्ट में दैनिक जागरण के मामले को उजागर करने पर डीएम के जांच कराने का भी उल्लेख किया, जिसमें वे दोषी पाए गए।

निदेशक कर रहे जांच

शासन ने टेंडर प्रक्रिया में सभी चिकित्साधिकारियों को कदाचार का दोषी माना। जांच निदेशक (चिकित्सा व स्वास्थ्य) को दी गई। निदेशक ने अभी रिपोर्ट शासन को नहीं सौंपी है।


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