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एएमयू में सर सैयद दिवस 17 को, पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर होंगे मुख्य अतिथि Aligarh news

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर 17 अक्टूबर को एएमयू में आयोजित होने वाले सर सैयद दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। कोरोना के चलते इस बार भी सर सैयद दिवस समारोह वर्चुअल होगा।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 08:38 AM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 08:38 AM (IST)
एएमयू में सर सैयद दिवस 17 को, पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर होंगे मुख्य अतिथि Aligarh news
17 अक्टूबर को एएमयू में सर सैयद दिवस समारोह का आयोजन होगा।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर 17 अक्टूबर को एएमयू में आयोजित होने वाले सर सैयद दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। कोरोना के चलते इस बार भी सर सैयद दिवस समारोह वर्चुअल होगा।  

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एएमयू के संस्‍थापक सर सैयद अहमद खान

एएमयू अपने संस्थापक सर सैयद अहमद खान (1817-1898) के जन्मदिन पर सर सैयद दिवस समारोह का आयोजन करता है। उर्दू साहित्य के प्रशंसक न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने भारत के 43वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है। उन्होंने पूर्व में जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था और वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे हैं। बाद में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति से पहले वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद पर भी आसीन रहे। कार्यक्रम की शुरूआत यूनिवर्सिटी जामा मस्जिद में कुरान ख्वानी के साथ होगी। कुलपति प्रो तारिक मंसूर सर सैयद अहमद खान के मजार पर पुष्प श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। सर सैयद हाउस में सर सैयद से जुड़ी किताबों और तस्वीरों की वर्चुअल प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

कुलपति देंगे स्‍वागत भाषण

सर सैयद दिवस के आनलाइन समारोह में कुलपति प्रो तारिक मंसूर स्वागत भाषण देंगे। सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार 2021 राष्ट्रीय श्रेणी में प्रसिद्ध आलोचक गोपी चंद नारंग को दिया जाएगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में ब्रिटिश इतिहासकार प्रो. फ्रांसिस राबिन्सन को दिया जाएगा। अखिल भारतीय सर सैयद निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को भी समारोह के दौरान पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। 

फ्रांसिस राबिन्सन और गोपी चंद नारंग को सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा

अलीगढ़। नामचीन ब्रिटिश इतिहासकार और लंदन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई इतिहास के प्रो. फ्रांसिस क्रिस्टोफर रोलैंड राबिन्सन को अंतर्राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार-2021 और प्रख्यात भारतीय आलोचक और चिंतक, पद्म भूषण और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, प्रो. गोपी चंद नारंग को राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार-2021 को दिया जाएगा। उन्हें सर सैयद डे पर सम्मानित किया जाएगा। कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने प्रो. असगर अब्बास, प्रो. इश्तियाक अहमद ज़िल्ली, प्रो. एआर क़िदवई, प्रो. अली मुहम्मद नकवी, डा मुहम्मद शाहिद, तारिक हसन और प्रो. एम शाफे किदवई पर आधारित ज्यूरी की शिफारिश पर दोनों नामों का चयन किया। वार्षिक अंतर राष्ट्रीय के तहत 2 लाख और राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार में एक लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है। ये पुरस्कार ऐसे विद्वानों को प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने सर सैयद अध्ययन, साउथ एशियन स्टडीज़, मुस्लिम मुद्दों, साहित्य, दक्षिण ऐशिया के इस्लामी इतिहास, सामाजिक सुधार, सांप्रदायिक सौहार्द, पत्रिकारिता और अर्न्तधार्मिक संवाद के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए हों। इंटरनेशनल सर सैयद एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त करने वाले प्रो. फ्रांसिस क्रिस्टोफर रोलैंड राबिन्सन ने मुस्लिम दुनिया पर अपना शोध केंद्रित किया है। ‘द उलेमा आफ फरंगी महल एंड इस्लामिक कल्चर इन साउथ एशिया’ (नई दिल्लीः परमानेंट ब्लैक- 2001, लंदनः हर्स्ट-2002 लाहौरः फ़िरोज़संस-2002) और जमाल मियांः द लाइफ़ आफ़ जमालुद्दीन अब्दुल वहाब आफ़ फरंगी महल 1919-2012 (कराचीः आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2018, नई दिल्ली, प्राइमस 2020) सहित 14 महत्वपूर्ण रचनाएं लिखी हैं। इस्लामिक दुनिया पर उनकी रचनाओं में एटलस आफ़ द इस्लामिक वर्ल्ड सिन्स 1500 (1982), इस्लाम एंड मुस्लिम हिस्ट्री इन साउथ एशिया (2000), द मुगल एम्परर्स (2007), और इस्लाम, साउथ एशिया एंड द वेस्ट (2007) शामिल हैं। उन्होंने दक्षिण एशिया के इस्लामी इतिहास पर विशेष रूप से उलेमा और सूफियों की भूमिका पर व्यापक शोध किया है।

आधुनिकता के विभिन्‍न रूपों पर किया शोध

उन्होंने अठारहवीं शताब्दी के बाद से मुस्लिम दुनिया के सुधार आंदोलनों, पश्चिमी वर्चस्व पर मुस्लिम प्रतिक्रिया और अनुकूलन की प्रवृत्ति और आधुनिकता के विभिन्न रूपों पर व्यापक शोध किया है। प्रो. फ्रांसिस ने उच्च शिक्षा और इस्लामी इतिहास में अनुसंधान के लिए 2006 में सीबीई प्राप्त किया। उन्होंने 1997-2000 और 2003-2006 में रायल एशियाटिक सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 1997-2004 में लंदन विश्वविद्यालय के रायल होलोवे कालेज के उप-प्राचार्य रहे। उन्होंने 1990-96 में कालेज में इतिहास विभाग के प्रमुख के रूप में भी काम किया। प्रो. फ्रांसिस आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और वाशिंगटन विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर हैं।

राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए चयनित प्रोफेसर गोपी चंद नारंग एक सम्मानित साहित्यिक आलोचक और विद्वान हैं जो उर्दू और अंग्रेजी में लिखते हैं। उनकी हाल की पुस्तकों गालिब (आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस), उर्दू ग़ज़ल (आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) और मीर तकी मीर (पेंगुइन) ने दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने भाषा, साहित्य, कविता और सांस्कृतिक अध्ययन पर 60 से अधिक विद्वतापूर्ण और आलोचनात्मक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से अनेक पुस्तकों का अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है। प्रो. नारंग की शुरुआती पुस्तकों में हिंदुस्तानी किस्सों से माखूज़ उर्दू मसनवियां (1961), उर्दू ग़ज़ल और हिन्दुस्तानी जहनों तहजीब (2002) और हिन्दुस्तान की तहरीके आजादी और उर्दू शायरी (2003) शामिल हैं। उन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अध्ययनों पर प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी हैं, जैसे अमीर खुसरो का हिन्दवी कलाम (1987), सानिहाऐ कर्बला बतौर शैरी इस्तियारा (1986) और उर्दू जुबान और लिसानियात (2006) शामिल हैं। प्रोफेसर नारंग दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर ऐमेरेटस भी हैं। उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (2009), मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (2008) और सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी हैदराबाद (2007) द्वारा डाक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है। वे दिल्ली उर्दू अकादमी (1996-1999) तथा नेशनल कौन्सिल फार प्रमोशन आफ उर्दू लैंग्वेज (1998-2004) के उपाध्यक्ष और सहित्या अकादमी के (1998-2002) उपाध्यक्ष तथा (2003-2007) अध्यक्ष रहे हैं। उन्हें पद्म भूषण (2004), पद्म श्री (1990), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1995), गालिब पुरस्कार (1985), उर्दू अकादमी बहादुर शाह जफर पुरस्कार (2010), भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार (2010), मध्य प्रदेश इकबाल सम्मान (2011) और भारतीय ज्ञानपीठ मूर्ति देवी पुरस्कार (2012) से सम्मानित किया गया। सहित्या अकादमी ने डा. नारंग को 2009 में अपने सबसे सर्वाेच्च सम्मान फैलोशिप से भी सम्मानित किया।


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