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कोरोना संकट से कारोबारियों को उबारने के लिए समिति का गठन Aligarh news

तीन माह पहले अधिकांश जिलों में प्रशासन को इन सदस्यों के जरिये व्यापारियों की मदद करने के निर्देश दिए गए। जिला व मंडल के मुखिया के पास नामित सदस्यों की सूची भेजी गई।

By Parul RawatEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 04:59 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 04:59 PM (IST)
कोरोना संकट से कारोबारियों को उबारने के लिए समिति का गठन Aligarh news
कोरोना संकट से कारोबारियों को उबारने के लिए समिति का गठन Aligarh news

अलीगढ़, जेएनएन। व्यापारियों का कल्याण करने वाले बोर्ड ने कोरोना संकट से कारोबारियों को उबारने के लिए समिति का गठन किया था। समिति के सदस्य अलीगढ़ में भी बने। तीन माह पहले अधिकांश जिलों में प्रशासन को इन सदस्यों के जरिये व्यापारियों की मदद करने के निर्देश दिए गए। जिला व मंडल के मुखिया के पास नामित सदस्यों की सूची भेजी गई। नियुक्ति पत्र मिलते ही इन सदस्यों ने मीडिया व सोशल मीडिया पर खुद को व्यापारी कल्याण बोर्ड के सदस्य के तौर पर पेश किया। बहुत सी जगह मीडिया में व्यापारी कल्याण बोर्ड का सदस्य छप भी गया, जबकि बोर्ड का सदस्य संवैधानिक पद होता है। बोर्ड के मुखिया के पास इसकी सूचना पहुंचने लगी तो 31 जुलाई को उपाध्यक्ष ने व्यापारियों के सहयोग के लिए गठित की गईं समितियों के सदस्यों की नियुक्तियां को बर्खास्त कर दिया। अब खुद की शेखी बघारने वाले  पछतावे  की आग में सुलग रहे हैं।

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कर भला, हुआ बुरा

कोरोना वायरस संक्रमण का दौर चल रहा है। संक्रमित मरीजों की संख्या रोज नए-नए रिकार्ड बना रही है। एक-एक घर में आधा दर्जन व क्षेत्र में डेढ़ दर्जन तक मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मामला  सासनीगेट  क्षेत्र के  हॉटस्पॉट  का है। इस क्षेत्र की एक गली में एक दर्जन पॉजिटिव निकल आए। पहले सहानुभूति का दौर चला, फिर संक्रमण से बचने के लिए सजगता।  आएदिन  मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले एक सामाजिक संस्था के संचालक ने गलियों को बंद करने के लिए नगर निगम को सूचना दी, ताकि उसी दिन  बैरिकेङ्क्षडग  की जा सके। गलियों में बल्लियां लगवा दीं। आवागमन बंद हो गया तो अगले दिन क्षेत्र के महिला-पुरुषों ने सामाजिक कार्यकर्ता के घर पर धावा बोल दिया। गलियों को खुलवाने की कहने लगे। विवाद को समझदार लोगों ने शांत कराया। इसकी आंच घर में विवाद तक पहुंच गई। अब वे कह रहे हैं, कर भला, हुआ बुरा।

चौधराहट में कॉरिडोर का अटका विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रीज कॉरिडोर को  बाबाजी  मूर्त रूप देने में जुटे हैं। इसमें अलीगढ़ की अहम भूमिका है। प्रदेश में आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर, लखनऊ व अलीगढ़ जिले कॉरिडोर के लिए चुने गए। सबसे पहले अलीगढ़ प्रशासन ने कॉरिडोर के लिए भूमि का चयन पलवल मार्ग पर गांव  अंडला  में किया। पहले फेस में 46  हेक्टेअर  जमीन का अधिग्रहण किया, फिर 10  हेक्टेअर  ली गई।  यूपीडा  के मुखिया यहां आए व लोकेशन के हिसाब से इतने प्रभावित हुए कि आसपास ही 250  हेक्टेअर  जमीन और अधिग्रहण करने की इच्छा  जता  दी। तीन दिन में 80  हेक्टेअर  भूमि  चिह्नत  की। सियासी दलों को मौका मिल गया। किसानों को चार गुना मुआवजे की मांग को हवा दे दी। चौधरियों की चौधराहट चरम पर पहुंची तो प्रशासन ने दूसरे स्थान पर जमीन खोज ली। इस क्षेत्र के युवाओं के अरमान धो डाले। कॉरिडोर का विस्तार ही अटक गया।

लिखिया  मुंशी की शरण में अफसर

कोरोना संकट से उबारने व गरीबों की मदद के लिए सरकारी खजाना खुला हुआ है। पांच माह से चरमराई वाणिज्यिक गतिविधियां रफ्तार ही नहीं  पकड़  पा रही हैैं। सर्विस सेक्टर से लेकर इंडस्ट्रीज तक का थमा चक्र चल नहीं पा रहा है। राजस्व वसूली को टीम दबाव नहीं बना सकतीं। चेतावनी स्वरूप भेजे जाने वाले नोटिस भी बंद हैं। अफसरों ने बिना दबाव बनाए उद्यमियों से टैक्स वसूलने की युक्ति खोजी है।  कराहट  कर विभाग के अफसर अब  लिखिया  मुंशी की शरण में हैं। उनसे एडवांस टैक्स से लेकर अन्य केसों के निपटारे व टैक्स जमा करने में सहयोग मांग रहे हैैं। जो अफसर हेलो हाय के बाद अपने कंप्यूटर  स्क्रीन  की ओर देखने लगते थे, वे अब  लिखिया   मुंशियों  के साथ चाय पीते देखे जा रहे हैं। उद्यमियों की असल काउंसलिंग की चाबी तो इन्हीं के पास होती है। अफसरों के बदले रवैये से  लिखिया  मुंशी सकते में हैं।


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