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Ayodhya movement : अलीगढ़ से कारसेवकों को पहुंचाई थी खाद्य सामग्री, रोलर फ्लोर मिल के खोल दिया था गेट

अयोध्या आंदोलन में यहां के हजारों कारसेवकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया था। कुछ रास्ते में गिरफ्तार हुए। कुछ सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए अयोध्या तक पहुंच गए।

By Parul RawatEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 12:00 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 12:00 PM (IST)
Ayodhya movement : अलीगढ़ से कारसेवकों को पहुंचाई थी खाद्य सामग्री, रोलर फ्लोर मिल के खोल दिया था गेट
Ayodhya movement : अलीगढ़ से कारसेवकों को पहुंचाई थी खाद्य सामग्री, रोलर फ्लोर मिल के खोल दिया था गेट

अलीगढ़ [जेएनएन]। अयोध्या आंदोलन में यहां के हजारों कारसेवकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया था। कुछ रास्ते में गिरफ्तार हुए। कुछ सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए अयोध्या तक पहुंच गए। कारसेवकों के खाने के लिए यहां से ट्रकों में राशन भर कर गया। वर्ष 1990 में संघर्ष के समय शिला लेख के साथ आटा, दाल, चावल, चीनी, रिफाइंड व तेल भी गए। वर्ष नवंबर व दिसंबर 1992 में तो प्रमुख समाज सेवी प्रदीप सिंघल ने अपने रोलर फ्लोर मिल के दरवाजे ही खोल दिए। जब रास्ते में खाद्यान वस्तुओं से लोड ट्रक पकड़े जाने लगे तो उन्होंने फैजाबाद निवासी अपने रिश्तेदार टेक चंद जिंदल को फोन किया। यहां के विश्व हिंदू परिषद के नेता माधव स्वरूप मित्तल को पत्र लिख कर दिया। जिंदल का फैजाबाद में रोलर फ्लोर मिल है। जिंदल ने अपने रिश्तेदार के आव्हान पर उस दौरान 500 कुंतल से अधिक आटा अयोध्या भेजा।

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अयोध्या आंदोलन को धार देने के लिए उस समय अचल कोठी बार रूम की तरह काम कर रही थीं। यहां व्यापारी नेता ज्ञानचंद वाष्र्णेय, माधव स्वरूप मित्तल, ओपी राठी, वाईके झा, बजरंग दल के नेता अभिराम गोयल, आरएसएस नेता ललित, देव सुमन गोयल जैसे दिग्गज नेता कारसेवकों के लिए संसाधन जुटाते थे।

ललित ने कहते हैं कि बाबरी मस्जिद ढहाने में दो बार विकट का संघर्ष हुआ था। वर्ष 1990 में मुलायम सिंह सीएम थे। मंदिर निर्माण के लिए कारसेवकों के मन में जोश हिलोरे मार रही थीं। अलीगढ़ से कारसेवकों की रवानगी व गिरफ्तारी का सिलसिला जारी था। शिला लोख के साथ खाद्य वस्तुओं को भी भेजा गया। वर्ष 1992 में विवादित ढांचा गिराने के लिए यहां से कई जत्थे रवाना हुए थे। तब भी यहां के कारोबारी व समाजसेवियों ने राशन की व्यवस्था कराई थीं। 30 साल पुरानी याद में ललित ने इक्का दुक्का नाम ही बताए।

अयोध्या जाने का मौका मिला

समाजसेवी प्रदीप सिंघल ने बताया कि वर्ष 1988 में अयोध्या जाने का मौका मिला था। तब रामलाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था। वहां की स्थिति देख मन द्रवित हुआ। हमारे भगवान पुरुषोत्तम राम के दिव्य व भव्य मंदिर बनने की प्रबल इच्छा जाग्रत हुई। संघर्ष में अर्थ के रूप में सहयोग किया था। आटा की व्यवस्था कराई। एक रिश्तेदार को फोन कर निशुल्क आटा उपलब्ध कराया।


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