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अलीगढ़ में पोषाहार बनाने के लिए साढ़े चार करोड़ में खुलेंगे पांच कारखाने

आंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरित किए जाने वाला पोषाहार अब जिले में ही तैयार होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला समूहों ने इसके लिए पांच कारखाने खोलने का निर्णय लिया है। साढ़े चार करोड़ की धनरााशि इन कारखानों पर खर्च होगी।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 06:22 AM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 06:45 AM (IST)
अलीगढ़ में पोषाहार बनाने के लिए साढ़े चार करोड़ में खुलेंगे पांच कारखाने
आंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरित किए जाने वाला पोषाहार अब जिले में ही तैयार होगा।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । आंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरित किए जाने वाला पोषाहार अब जिले में ही तैयार होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला समूहों ने इसके लिए पांच कारखाने खोलने का निर्णय लिया है। साढ़े चार करोड़ की धनरााशि इन कारखानों पर खर्च होगी। इसके लिए स्थानों का चयन हो चुका है। एक कारखाने पर 90 लाख की लागत आएगी। 1500 महिला समूहों ने संयुक्त रूप इनके संचालन की जिम्मेदारी संभाली है। 30 हजार प्रति समूह के हिसाब से धनराशि एकत्रित हुई है। इन सभी समूहों का कारखानों में शेयर होगा। आय भी आपस में बंटेगी। जिले में कुल 3039 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। फिलहाल इन केंद्रों पर करीब साढ़े पांच लाख नौनिहाल व गर्भवती महिलाएं पंजीकृत हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तरफ से इन नौनिहाल व गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ्य रखने के लिए हर महीने पोषाहार बांटा जाता है। अब तक निजी कंपनियों से इस पोषाहार की आपूर्ति होती थी।

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समूहों को मिली जिम्मेदारी

अब पिछले दिनों प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला समूहों के माध्यम से पोषाहार वितरण कराने का फैसला लिया गया था। निजी कंपनियां जिले में इसकी आपूर्ति कर देती थी। वहीं, महिला समूह इन्हें केंद्रों तक पहुंचाते हैं। इसी कड़ी में अब शासन स्तर से पोषाहार तैयार करने की जिम्मेदारी भी महिला समूहों को दी जा रही है। हर जिले में इसके तहत कारखाने खोले जा रहे हैं। जिले में इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है।

1500 समूहों ने संभाला जिम्मा : पोषाहार तैयार करने के लिए जिले में कुल पांच कारखाने खोले जा रहे हैं। इनके लिए स्थानों का चयन हो चुका है। प्लांट के आसपास के 1500 समूहों ने इन कारखानों के संचालन का जिम्मा उठाया है। हर समूह ने 30 हजार रुपये का योगदान दिया है। ऐसे में करीब साढ़े चार करोड़ की धनराशि एकत्रित की गई है। 90 लाख रुपये एक कारखाने पर खर्च होंगे। इस धनराशि से भवन के किराएके अलावा मशीनरी व अन्य काम पूरे होंगे। 

बराबर होगा हिस्सा

कारखानों का संचालन करने वाले सभी समूहों को बराबर हिस्सा दिया जाएगा। एक समूह में औसतन 12 महिला होती हैं। एक प्लांट पर करीब 300 समूह जुड़ेंगे। इस तरह से एक प्लांट से 3600 महिलाएं लाभान्वित होंगी। सभी पांच कारखानों से 18000 महिलाएं होंगी। प्रत्येक प्लांट में करीब 20 महिलाएं काम करेंगी। इस तरह से पांच प्लांटों में कुल मिलाकर 100 महिलाएं काम करेंगी।

इस तरह चिह्नित हुए हैं स्थान

जिले में कुल 12 ब्लाक हैं। पांच ब्लाकों में कारखाने प्लांट खोले जा रहे हैं। इन पांच केंद्रों से ही जिले के सभी ब्लाकों में आपूर्ति होगी। एनआरएलएम के जिला मिशन प्रबंधक मो. असलम ने बताया कि बिजौली कस्बे से से बिजौली, गंगीरी व अतरौली ब्लाक के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार की आपूर्ति होगी। इसी तरह धनीपुर से धनीपुर, अकराबाद व लोधा के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आपूर्ति होगी। चंडौस के कारखाने से चंडौस व जवां, इगलास कस्बे के इगलास व गौंड़ा, खैर से खैर व टप्पल ब्लाक के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आपूर्ति होगी।

इनका कहना है

एनआरएलएम के समूह ही अब पोषाहार तैयार करेंगे। जिले में इसके लिए पांच कारखाने खोले जा रहे हैं। 1500 समूह इनका संचालन करेंगे। कारखानों के लिए भवनों का चयन हो चुका है।

-भाल चंद्र त्रिपाठी, प्रभारी उपायुक्त, एनआरएलएम


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