ओएमआर शीट पर होंगी डॉ. बीआर आंबेडकर विवि की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं Hathras News
कोरोना संक्रमण की वजह से अब डॉ. बी आर आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक व परास्नातक के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाओं का पैटर्न बदला हुआ नजर आएगा।
हाथरस जेएनएन: कोरोना संक्रमण की वजह से अब डॉ. बी आर आंबेडकर विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक व परास्नातक के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाओं का पैटर्न बदला हुआ नजर आएगा। इसके प्रश्नों के तरीकों में बदलाव किया गया है। इनता ही नहीं समय में भी संशाेधन किया गया है। अब परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को कम माथा पच्ची नहीं करनी होगी। परीक्षा कार्यक्रम जारी हो जाने के बाद परीक्षार्थी एक बार फिर से तैयारियों में जुट गए हैं।
कोरोना काल में परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव
कोरोना संक्रमण से पहले परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र का अलग पैटर्न था। पहले दस बहुविकल्पीय, पांच शार्ट और दो विस्तृत प्रश्न पूछे जाते थे। विद्यार्थी लिखते-लिखते कई कॉपियां भर देते थे। कई बार परीक्षा का समय भी कम पड़ जाता था। लेकिन अब कोरोना काल में परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव किया गया है। अब बहुविकल्पीय और वस्तुनिष्ठ प्रश्न ही परीक्षा के दौरान पूछे जाएंगे। पहले परीक्षा के दौरान तीन घंटे का समय दिया जाता था। लेकिन अब दो घंटे की परीक्षा होगी। खास बात यह है कि अब परीक्षार्थी कॉपियों पर नहीं बल्कि ओएमआर शीट पर परीक्षा देंगे। इससे स्नातक और परास्नातक के अंतिम वर्ष के परीक्षार्थी राहत महसूस कर रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ओएमआर शीट का मूल्यांकन मशीन के जरिए हो जाएगा जिससे कोरोना का खतरा कम है।
पहले समय एक घंटा अधिक दिया जा रहा था। लेकिन अब दो घंटे में ही पेपर को पूरा करना पड़ेगा। ओएमआर सीट की व्यवस्था की गई है। पहले जो व्यवस्था थी वो ठीक थी।
कृष्णा कुमार,बीए तृतीय वर्ष।
यदि परीक्षा नहीं होती तो अधिक दिक्कतें होती, क्योंकि अंतिम वर्ष है। बहुविकल्पीय व वस्तुनिष्ठ प्रणाली के जरिए परीक्षा संपन्न कराई जाएगी। यह व्यवस्था पहले जो थी उससे बेहतर है।
दिव्यांग भाटिया,बीकाम,तृतीय वर्ष
बीएससी वाले विद्यार्थियों के यह जो नई व्यवस्था विश्वविद्यालय द्वारा की गई है। वाे काफी बेहतर है,काफी समय प्रश्नों को हल करने के लिए मिलेगा। आगे भी यही व्यवस्था रहनी चाहिए।
सनी गौतम,बीएससी,तृतीय वर्ष
बागला महाविद्यालय के प्राचार्य मेजर राजकमल दीक्षित का कहना है कि विश्वविद्यालय ने ओएमआर की व्यवस्था की है। बहुविकल्पीय व वस्तुनिष्ठ प्रणाली के तहत प्रश्न पूछे जाएंगे। यदि पुराना पैटर्न होता तो कापियों को जांचने में शिक्षकों को कोरोना होने का खतरा था। अब इस नई व्यवस्था के तहत ऐसा नहीं होगा। मशीन के जरिए ही ओएमआर सीट जांची जाएगी।