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एससी के लिए आवंटित जमीन का ओबीसी के नाम कर दिया दाखिल खारिज, तथ्‍य छिपाकर किया फर्जीवाड़ा

अलीगढ़ में डिफेंस कारिडोर राज्‍य विश्‍वविद्यालय व टीपी नगर की स्‍थापना के बाद जमीनों की खरीद फरोख्‍त में बड़े स्‍तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ताजा मामले में डिफेंस कारिडोर परिसर से सटे गांवों में बड़े स्‍तर पर फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:47 AM (IST)
एससी के लिए आवंटित जमीन का ओबीसी के नाम कर दिया दाखिल खारिज, तथ्‍य छिपाकर किया फर्जीवाड़ा
अनुसूचित के लिए आवंटित सरकारी जमीन का बैनामा नियमों के खिलाफ पिछड़ा वर्ग के लोगों के नाम कर दिया गया।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़। खैर रोड पर डिफेंस कारिडोर, राज्य विश्वविद्यालय व टीपी नगर की स्थापना के बाद से जमीनों में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। अब डिफेंस कारिडोर परिसर से सटे गांव कीरतपुर निमाना में बड़ी गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है।

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तथ्‍य छिपाकर कराया दाखिल खारिज

यहां पर अनुसूचित के लिए आवंटित सरकारी जमीन का बैनामा नियमों के खिलाफ पिछड़ा वर्ग के लोगों के नाम कर दिया गया। खरीददारों ने राजस्व विभाग की मिलीभगत व न्यायालय से तथ्य छिपा कर दाखिल खारिज भी बीते दिनों अपने नाम करा ली। अब मामला खुलने पर कोल तहसीलदार ने अपने ही आदेश की दाखिल खारिज को निरस्त करते हुए जमीन राज्य सरकार में दर्ज करने के लिए प्रस्ताव एसडीएम न्यायालय में भेज दिया है। प्रशासन ने कीरतपुर निमाना में गाटा संख्या 19 /4 के रकवा 0.7390 हेकटेयर जमीन का आवंटन अनुसूचित जाति के खेम सिंह के नाम किया था। 2004 में खेम सिंह ने इस जमीन का बैनामा गांव की रामवती पत्नी पन्नालाल के नाम कर दिया। यह पिछड़ी जाति से थी। नियमानुसार इसके लिए डीएम की अनुमति लेनी चाहिए थी। कुछ दिनों बाद खरीददार रामवती की मृत्यु हो गई। ऐसे में इनके वारिस संजय कुमार, मुकेश व चंद्रपाल ने 2007 में दाखिल खारिज के लिए तहसीलदार न्यायालय में आवेदन किया। 2008 में इसकी सुनवाई की। इसमें नियमों के खिलाफ आवंटन को खारिज करते हुए जमीन राज्य सरकार में दर्ज करने के आदेश कर दिए, लेकिन इसके बाद भी यह जमीन सरकारी खाते में दर्ज नहीं हुई।

जमीनों की बढ़ी मांग

अब कीतरपुर निमाना के निकट अंडला में डिफेंस कारिडोर बन रहा है। प्रशासन इस गांव से भी कुछ जमीन अधिग्रहण कर रहा है। ऐसे में आसपास के क्षेत्रों में जमीनों के दाम बढ़ गए हैं। दिल्ली-एनसीआर के लोग खरीदारी के लिए आ रहे हैं। बीते दिनों दिल्ली के एक खरीददार ने संजय कुमार, मुकेश कुमार से संपर्क किया। ऐसे में इन्होंने फिर से कोल तहसील में दाखिल करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। राजस्व कर्मियों से भी मिलीभगत की। ऐसे में 12 अप्रैल को कोल तहसीलदार न्यायालय से खरीदारों के नाम दाखिल खारिज कर दिया गया।

पकड़ में आने पर नया आदेश

अब बीते दिनों यह मामला तहसील में चर्चाओं में आ गया। ऐसे में तहसीलदार ने क्षेत्रीय लेखपाल से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इसमें पूरी गड़बड़ी की पोल खुल गई। सामने आया कि पिछड़ा वर्ग के खरीददारों ने गलत तरीके से डीएम की बिना अनुमति के एससी से बैनामा कराया गया, लेकिन न्यायालय में इनके द्वारा भ्रमित दस्तावेज पेश किए हैं। अब तहसीदार ने 12 अप्रैल को किए दाखिल खारिज के आदेश को निरस्त कर दिया है।

दर्जनों मामलों में गड़बड़ी

खैर रोड पर जमीनों की कीमत बढऩे से सबसे अधिक भूमाफिया इसी क्षेत्र में सक्रिय हैं। दशकों पुराने आवंटनों को असंक्रमणीय से संक्रमणीय कराया जा रहा है। इसके अलावा पुराने मामलों में दाखिल खारिज करने का भी खेल चल रहा है। अब तहसीलदार ने ऐसे सभी प्रकरणों की जांच शुरू कर दी है।

इनका कहना है

मामला मेरे संज्ञान में आया था। जांच कराई गई तो सामने आया कि खरीददार पिछड़ा वर्ग जाति का है। न्यायालय को भ्रमित कर दाखिल खारिज का आदेश कराया है अब जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करने के लिए एसडीएम न्यायालय में प्रस्ताव भेज दिया है।

डा. गजेंद्र पाल सिंह, तहसीलदार कोल


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