किसान चिंतित: धान पर पूरे न हुए अरमान, चीनी मिल ने किया मायूस
पेराई के इंतजार में किसान गेहूं की समय से बोआई न सके। मक्का की सरकारी खरीद भी तब शुरू हुई जब अधिकतर किसान मंडी में माल बेच चुके थे। किसान सम्मान निधि योजना में डेटा दुरुस्त न होने से कई किसान योजना का लाभ नहीं उठा सके।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। किसानों को साल 2021 खास उपलब्धि न दे सका। बेमौसम बारिश में बर्बाद हुई धान की फसल से बेहाल किसानों को गेहूं की बोआई के लिए भी जूझना पड़ा। साथा चीनी मिल न चलने से खेतों में गन्ना खड़ा रहा। पेराई के इंतजार में किसान गेहूं की समय से बोआई न सके। मक्का की सरकारी खरीद भी तब शुरू हुई, जब अधिकतर किसान मंडी में माल बेच चुके थे। किसान सम्मान निधि योजना में डेटा दुरुस्त न होने से कई किसान योजना का लाभ नहीं उठा सके।
प्रशासन ने सर्वे कराकर बनाई रिपोर्ट
अक्टूबर में दो दिन हुई बारिश से जनपद में 9125.99 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई थी। इससे 29,142 किसान प्रभावित हुए। सबसे ज्यादा नुकसान इगलास और खैर तहसील क्षेत्र में हुआ था। प्रशासन ने सर्वे कराकर किसानों को हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करा ली। इसके मुताबिक इगलास में 2410 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई और 7590 किसान प्रभावित हुए। खैर तहसील क्षेत्र में 7358 किसानों की 2337 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई। अतरौली तहसील क्षेत्र में 1036.8 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई थी। प्रशासन द्वारा कुल 12 करोड़, 36 लाख, नौ हजार 307 रुपये मुआवजा प्रस्तावित किया गया था। मुआवजे के लिए भी किसानों को लंबा इंतजार करना पड़ा। मक्का को लेकर किसान मंडियों के चक्कर काटते नजर आए। मक्का खरीद केंद्र एक अक्टूबर से खुलने थे, खोले गए 15 अक्टूबर से। इस बीच अधिकतर किसान मंडियों में मक्का बेच चुके थे। जिन किसानों पर मक्का बची थी, उसमें खामियां निकाल कर खरीद केंद्रों से वापस कर दिया गया। यही वजह रही कि 2250 मीट्रिक टन लक्ष्य के सापेक्ष खरीद केंद्रों पर 260 मीट्रिक टन ही मक्का खरीदी जा सकी है। डीएपी की किल्लत पूरे साल बनी रही। सरकारी रेट में यूरिया इस बार भी किसानों को न मिल सका। 266.50 रुपये प्रति बैग यूरिया का रेट निर्धारित है। जबकि, किसानों को 280 से 300 रुपये प्रति बैग यूरिया बेचा गया। विभागीय अधिकारियों ने दुकानों पर छापामारी तो की, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर सके।
न चली साथा चीनी मिल
साथा चीनी मिल साल के अंत तक सुचारू रूप से न चल सकी। करीब 85 लाख रुपये खर्च करने के बाद भी मिल की मरम्मत अधूरी ही रही। जिला प्रशासन ने पहले 15 दिसंबर को मिल चालू करने का भरोसा दिलाया, फिर कहा कि 20 दिसंबर को मिल चलने लगेगी। 24 दिसंबर को पेराई शुरू करने का दावा मिल प्रबंधन ने किया था। उद्घाटन इसी दिन कराया गया, लेकिन पेराई तब भी शुरू न हो सकी। कुछ किसानों का 150 कुंतल गन्ना मिल में पड़ा रहा। बाकी किसानों ने कम कीमत पर दूसरी मिलों में गन्ना बेच दिया। इसको लेकर धरना-प्रदर्शन भी खूब हुए थे।