राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के हाथों कराया फर्जी सम्मान, फंसी साहब की जान Aligarh News
एक विभाग के साहब की जान इसमें फंस गई है। दरअसल मामला सम्मान समाराेह से जुड़ा है। राज्यपाल ने अपने हाथों से सर्किट हाउस में जिले के प्रमुख प्रगतिशील किसान महिला समूहसमाज सेवी व एनजीओ संचालकों को प्रमाण पत्र दिए गए थे
अलीगढ़, सुरजीत पुंढीर। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का दो दिवसीय दौरा भले ही शांति पूर्ण निपट गया हो, लेकिन अब एक विभाग के साहब की जान इसमें फंस गई है। दरअसल, मामला सम्मान समाराेह से जुड़ा है। राज्यपाल ने अपने हाथों से सर्किट हाउस में जिले के प्रमुख प्रगतिशील किसान, महिला समूह,समाज सेवी व एनजीओ संचालकों को प्रमाण पत्र दिए गए थे, लेकिन इसमें एक व्यक्ति ऐसी भी थे, जिन्होंने उस काम की शुरुआत ही कुछ दिन पहले ही की है। ऐसे में अब दो दिन पहले इनके फर्जी सम्मान की शिकायत जिले के बड़े साहब के पास पहुंची तो उनका पारा गर्म हो गया। उन्होंने विभाग के मुखिया को खूब फटकार लगाई। वहीं, जांच के आदेश भी कर दिए। मजिस्ट्रेट को जांच अधिकारी बनाया गया है, लेकिन इस आदेश के बाद अब इस सूची को तैयार करने वाले साहब की धड़कने बढ़ने लगी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बिना जांच पड़ताल उन्होंने कैसे नाम का चयन कर लिया।
प्रधानी का दावा, समझा न आवे अ-आ
सरकार ने भले ही अभी पंचायत चुनाव की घोषणा नहीं की हो, लेकिन गांव देहात में इन दिनों सियासी शोर चरम पर है। अधिकतर दावेदारों ने ताल ठोंकनी शुरू कर दी है। कोई बैनर पोस्टर लगवा रहा है तो कोई कंबल बांट रहा है। हालांकि, अभी अधिकतर दावेदारों को आरक्षण प्रक्रिया में अपने गांव की सीट बदलने का डर सता रहा है। सामान्य वर्ग के दावेदारों में एससी-बीसी में पंचायत रिजर्व होने की परवाह है तो एससी-बीसी वालों में सामान्य वर्ग की। इसीलिए, इन दावेदारों में आरक्षण को लेकर सबसे अधिक उतावला पन है। अब कुछ दिन पहले सरकार ने पंचायतों का आंशिक परिसीमन कराया था। इसमें जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत के वार्ड तय किए गए, लेकिन कुछ दावेदार तो परिसीमन को ही आरक्षण समझ बैठे और अपने गांव सीट जानने के लिए विकास भवन पहुंचकर विभाग की मुखिया से ही भिड़ गए, लेकिन भला इन्हें कौन समझाए कि यह दोनों अलग-अलग प्रक्रिया हैं। आरक्षण के लिए अभी कोई आदेश नहीं आया है।
जमीन से भर दी जिले की झोली
योगी सरकार के पिछले साढ़े तीन साल अलीगढ़ जिले के लिए खासे महत्वपूर्ण रहे हैं। इन सालों में जिले को इतनी सौगात मिली हैं कि अगर सही मायने में यह पूर्ण रूप से जमीं पर आ जाएं तो पूरे जिले का नक्शा बदल जाएगा। अगर प्रमुख सौगातों की बात करें तो इसमें डिफेंस कोरिडोर, राजकीय युनिवर्सिटी, टीपी नगर, अटल विद्यालय, फूड क्राफ्ट संस्थान, आइटी पार्क समेत अन्य कई प्रोजेक्ट शामिल हैं। यह सब कुछ संभव हो पाया है, अलीगढ़ में सरकारी जमीन की पर्याप्त व्यवस्था से। सरकार ने उधर जमीन मांगी, प्रशासन ने इधर तत्काल व्यवस्था कर दी। प्रदेश के इकालौते फूड क्राफ्ट संस्थान को जिले के बड़े साहब ने मथुरा जाते-जाते रोका। अगर यहां जमीन नहीं मिलती तो इसकी स्थापना मथुरा में ही होती। हालांकि, प्रशासन पर अभी कई प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने की पर्याप्त व्यवस्था है। वहीं, तहसीलों में भी भूमाफिया से सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराने की प्रक्रिया भी जारी है।
वायरल आडियो से कठघरे में सिस्टम
पूर्ति विभाग के निरीक्षक व व्यापारी के बीच बातचीत का वायरल आडियो इन दिनों खूब चर्चाओं में है। इस आडियो में दोनों लोग किसी बड़े अफसर के बारे में बात कर रहे हैं। व्यापारी तो पूर्ति निरीक्षक से यह भी कह रहा है कि वह साहब से मिल आया है, लेकिन वह टाल रहे हैं। 50 हजार में कैसे भी मामला निपटवा दीजिए, हालांकि पूर्ति निरीक्षक अस्वस्थ होने की बात कहकर फोन काट देते हैं, लेकिन वह इशारे ही इशारे में यह भी कह देते हैं कि वह इतने में नहीं मानेंगे, लेकिन इस एक मिनट की बातचीत ने पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कहीं न कहीं उच्च अफसरों के नाम पर ही अधीनस्थ लेन-देन का खेल कर रहे हैं। इतनी पारदर्शिता के बाद भी अभी डीलरों से महीनेदारी की उगाही चल रही है। कोई सत्यापन के नाम पर मलाई मार रहा है तो शिकायत पर जांच के नाम पर। हालांकि, पुरानी सरकार के मुकाबले जरूर कुछ अंकुश लगा है।