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Fake DIG:पांच साल से कर रहे थे ठगी, पांच मिनट भी न टिका फर्जी डीआइजी, लखनऊ से ली थी कार Aligarh News

उत्‍तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ मेें हत्थे चढ़े पिता-पुत्र (अनुज चावला व राजेंद्र चावला) पांच साल से फर्जीवाड़ा कर रहे थे। लखनऊ में ही धड़ल्ले से घूमते थे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 11:25 AM (IST)
Fake DIG:पांच साल से कर रहे थे ठगी, पांच  मिनट भी न टिका फर्जी डीआइजी, लखनऊ से ली थी कार Aligarh News
Fake DIG:पांच साल से कर रहे थे ठगी, पांच मिनट भी न टिका फर्जी डीआइजी, लखनऊ से ली थी कार Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]:  उत्‍तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़  मेें  हत्थे चढ़े पिता-पुत्र (अनुज चावला व राजेंद्र चावला) पांच साल से फर्जीवाड़ा कर रहे थे। लखनऊ में ही धड़ल्ले से घूमते थे। अलीगढ़ में असली पुलिस से सामना हुआ तो पांच मिनट भी नहीं टिक पाए। रौब जमाने की कोशिश तो की, पर पुलिस वाली चाल-ढाल नहीं ला पाए।  

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पिता के साथ की ठगी

अनुज चावला ने अपने पिता के साथ कई लोगों को ठगा है। इससे लखनऊ में आलीशान मकान बना रखा है। घर पर सुरक्षाकर्मी भी हैं। लखनऊ की ट्रैवल एजेंसी को दोनों पहले ही भरोसे में ले चुके थे। कार वीरेंद्र कुमार यादव निवासी ट्रांसपोर्ट नगर लखनऊ के नाम है। ड्राइवर को भी इसलिए भनक लगी थी कि वह पहले भी लखनऊ में दोनों को घुमा चुका था। इस बार एजेंसी को अलीगढ़ में कोविड-19 से जुड़ा सीक्रेट मिशन बताकर बुङ्क्षकग की गई थी। तीन दिन से कार घूम रही थी। 

पांच मिनट में ही फर्जीवाड़े का पता चल गया

 रविवार को सीओ पंकज कुमार श्रीवास्तव ने भी सारसौल पर कार को देखा। गतिविधियां संदिग्ध लगने पर मंगलवार को कार को पकड़ा गया। पकड़े जाने पर अनुज ने खाकी का रौब दिखाया। अंग्रेजी में बात की। पुलिस को हड़काने का प्रयास किया। सीओ  ने बताया कि पांच मिनट में ही फर्जीवाड़े का पता चल गया। पिता ने खुद को बीएचआइएल में अधिकारी पद से रिटायर्ड बताया। इसकी भी जांच की जा रही है। 

गूगल से देखा था डीआइजी बनना, मगर दाढ़ी नहीं कटवाई 

अनुज ने बताया कि फर्जी आइपीएस बनने का आइडिया गूगल सर्च के जरिये दिमाग में आया। गूगल से ही डीआइजी रैंक के अधिकारी की स्टार प्लेट, उत्तर प्रदेश सरकार का मोनोग्राम स्कैन कर गृह मंत्रालय दिल्ली के स्टीकर व पास तैयार किए थे।

नहीं दिखाता था आइकार्ड 

फर्जी आइपीएस खुद को गृह विभाग में सीक्रेट मिशन पर बताता था। शक होने पर कोई आइकार्ड मांगता था तो वह रौब दिखाकर चुप करा देता था। 

रूम नंबर 110 में ठहरे थे

पिता-पुत्र ने पर्सनल आइडी के जरिये जीटी रोड स्थित शहर के एक स्टार होटल में दो जुलाई की रात मैक माइ ट्रिप के जरिए ऑनलाइन बुङ्क्षकग कराई थी और रूम नंबर 110 में ठहरे थे। होटल स्टाफ की मानें तो दोनों को गाड़ी सिर्फ छोडऩे व लेने ही आती थी। चालक चला जाता था। पुलिस ने कमरे की भी तलाशी ली। 

 कई संस्थाओं से जुड़े तार

पिता-पुत्र हरदोई की प्राइवेट जॉब कंपनी से जुड़े रहे हैं। जहां से कई लोगों से फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी कर चुके हैं। अलीगढ़ की सावन कृपाल रूहानी शाखा के अलावा कई धार्मिक संस्थाओं की आड़ में नौकरी दिलाने, शादी के नाम पर झांसा देकर ठगी कर चुके हैं। 

 आसानी से झांसे में आ जाते थे लोग 

संस्था की आड़ में दोनों ठगते थे। दोनों खुद को संस्था का उच्च पदाधिकारी बताते थे तो कोई शक भी नहीं करता था। बेटा नौकरी का झांसा देता था, पिता बेटे को कुंवारा बताकर युवतियों को शादी के लिए झांसे ले लेता था

 नेटवर्क को खोज रही पुलिस 

फर्जी आइपीएस बनकर लोगों को नौकरी दिलाने, शादी के नाम पर लड़कियों व उनके स्वजनों से ठगी करने वाले शातिर पिता-पुत्र का नेटवर्क बड़ा है। एसपी क्राइम डॉ. अरङ्क्षवद कुमार ने बताया कि अलीगढ़ के एक धनाढ्य परिवार की युवती से शादी की बातें चलने की जानकारी मिली है, फिर भी जांच की जा रही है। आरोपितों के नेटवर्क को खोजा जा रहा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि अलीगढ़ में अब तक कितने लोगों से ठगी कर चुके हैं? हालांकि कोई शिकायतकर्ता सामने नहीं आया है। आरोपितों से रिमांड पर लाकर पूछताछ की जाएगी

कब बंद होगा नीली बत्ती व हूटर का रौब 

फर्जीवाड़ा करने वाले लंबे समय से नीली बत्ती लगी कार में घूम रहे थे। एक्सप्रेसवे पर टोल नाकों पर बिना टैक्स दिए निकलते थे। शहर में तमाम नीली बत्ती लगी प्राइवेट कार घूम रही हैं, जिन पर कोई ध्यान नहीं देता। धड़ल्ले से हूटर व नीली बत्ती वाले वाहन कानून व्यवस्था को चिढ़ाते निकल जाते हैं। इन पर लगाम कब कसी जाएगी? 


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