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जनतंत्र में मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका : प्रो तारिक मंसूर

एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जनतंत्र का अर्थ मात्र मतदान के अधिकार से नहीं है। बल्कि यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है|

By Parul RawatEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 09:43 PM (IST)
जनतंत्र में मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका : प्रो तारिक मंसूर
जनतंत्र में मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका : प्रो तारिक मंसूर

 अलीगढ़ [जेएनएन]। एएमयू लाॅ सोसाइटी विधि विभाग व एमबीसी मैंनेजमेंट कंसल्टेंट, स्विटजरलेंड, द्वारा संयुक्त रूप से सिविल सोसाइटी व समकालीन विधिक चुनौतियां विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जनतंत्र का अर्थ मात्र मतदान के अधिकार से नहीं है। बल्कि यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है व जनतंत्र में मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मीडिया, न्यायपालिका व स्वायन्त संस्थायें जैसे निर्वाचन आयोग आदि हमारे जनतंत्र का आधार है। हम भाग्यशाली हैं कि हमारे यहां एक जीवंत जनतंत्र है। हमारे पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।

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लचीला रुख अपनाना होगा

डाॅ. मारियो बोरिस क्यूराटोलो, सीईओ एमबीसी मैंनेजमेंट कंसलटेंट स्वीटजरलेंड नेे प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें आज एक लचीला रुख अपनाने की आवश्यकता है। विधि सामाजिक परिवर्तन का एक अत्यंत सुगम साधन है, जिसके सही प्रयोग की आवश्यकता है। लाॅ सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. शकील अहमद समदानी ने कहा कि विधि व समाज आपस में जुड़े हुए हैं। समाज विधि बनाता है और विधि समाज को नियंत्रित करती है। जब भी समाज में बदलाव होता है विधि में परिवर्तन अवश्यभावी है। यदि विधि कठोर है, तो समाज अनुशासित रहेगा।

साइबर अपराध में सोशल मीडिया का रोल

डाॅ. फर्डिनेंड इपोक, क्वालिटी अशोरेंस, सीओबी ब्रुऐमी यूनिवर्सिटी, ओमान ने कहा कि हेट स्पीच, असहिष्णुता व सायबर अपराध आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, जिसमें सोशल मीडिया की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें व्यक्तिगत अधिकार व सामाजिक हित में सामंजस्य स्थापित करना होगा। इरमल बिनो स्त्रूगा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय रिपल्लिक आॅल मैसेडोमिया ने कहा कि आज के समय में मुख्य चुनौती सामाजिक पुंजी की है। डाॅ. शाद अहमद खान स्टाॅक प्रोफेशनल डेवलेपमेंट, सीओबीए ब्रुमी विश्वविद्यालय, ओमान ने कहा कि सिविल सोसाइटी साझा मूल्यों से बनती है। विधि का समाज व राजनीति से अत्यंत गहरा संबंध है। कार्यक्रम में प्रोक्टर प्रो. वसीम अली, प्रो. जहीरउद्दीन, मो. नासिर, अब्दुल्ला समदानी, हबीबा शेख, डॉ. तबस्सुम चौधरी, तलब अन्जुम, शोएब अली, शैलजा सिंह, फौजिया, लाएबा फातिमा, चंदन गुप्ता, काशिफ सुल्तान, हबीबा शेख, यश अग्रवाल, सोम्या गोयल, आकाश रंजन गोस्वामी, हुनैन खालिद आदि का विशेष योगदान रहा। 


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