Move to Jagran APP

अलीगढ़ में आबकारी विभाग की करतूत, नलकूप पर दे दिया ठेका, दूर तक नहीं थी आबादी Aligarh news

जिले में मिलावटी शराब से मौतें होने के बाद से आबकारी विभाग की लापरवाही परत-दर-परत खुल रही है। अंडला क्षेत्र के ककोला में नलकूप पर ही ठेका उठा दिया गया। यह खेत में जंगल के पास है जहां चारों ओर घने पेड़-पौधे हैं। यहां ट्यूबवेल की कोठरी है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 06:19 AM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 06:19 AM (IST)
अलीगढ़ में आबकारी विभाग की करतूत, नलकूप पर दे दिया ठेका, दूर तक नहीं थी आबादी Aligarh news
अंडला क्षेत्र के ककोला में नलकूप पर ही ठेका उठा दिया गया।

अलीगढ़, जेएनएन ।  जिले में मिलावटी शराब से मौतें होने के बाद से आबकारी विभाग की लापरवाही परत-दर-परत खुल रही है। अंडला क्षेत्र के ककोला में नलकूप पर ही ठेका उठा दिया गया। यह खेत में जंगल के पास है, जहां चारों ओर घने पेड़-पौधे हैं। यहां ट्यूबवेल की कोठरी है। बाहर एक छप्पर और तख्त पड़ा हुआ है। यहां रात में भी शराब बिकती थी। आबादी दूर-दूर तक नहीं है। ऐसे में सहज ही कोई अंदाजा लगा लेगा कि यहां पर नकली शराब का भी कारोबार खूब धधक रहा था। गांव के लोगों ने इस ठेके का कई बार विरोध भी किया, मगर ठेके को वहां से हटाया नहीं गया।

loksabha election banner

देसी शराब के ठेका उठने में मुश्‍किल 

जिले में अक्सर देसी शराब के ठेका उठने पर मुश्किल आती है। क्योंकि इसमें प्रति महीने के हिसाब से कोटा तय होता है। लीटर के हिसाब से ठेकों पर शराब दी जाती है। ठेका उठते समय जितने लीटर शराब तय हो जाती है, पूरे सालभर उतने लीटर ही शराब ठेकदार को लेनी पड़ती है। कई बार शराब की बिक्री कम होती है मगर ठेकेदार उसे मना नहीं कर सकता है। आबकारी विभाग की ओर से भेजी गई शराब उसे लेनी ही पड़ती है। ऐसे में हर ठेकेदार ठेका ऐसी जगह लेना चाहता है जहां आबादी हो या फिर रास्ता चलता हुआ हो, जिससे शराब की बिक्री हो सके। मगर, अंडला क्षेत्र के ककोला में जो ठेका था वो आबादी से बिल्कुल दूर था। गांव के बाहर एक ट्यूबवेल पर ठेका दे दिया गया है। वहीं से देसी शराब बेची जाती है। अब सवाल उठता है कि जब आसपास आबादी ही नहीं है तो शराब किसे बेची जाती थी। लोग तो बताते हैैं कि यहां नकली शराब बनाई जाती थी। यहीं से तमाम जगहों पर नकली शराब की सप्लाई की जाती थी। चूंकि सरकारी ठेके का लाइसेंस था, इसलिए कोई विरोध नहीं कर पाता था। हालांकि कई लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों का आरोप है कि पुलिस के संरक्षण में यह कारोबार चल रहा था। इसलिए रात के एक बजे भी यहां से शराब मिल जाती थी।

संचालक की भी तबीयत बिगड़ी

ककोला स्थित शराब के ठेके की देखरेख करने वाले संचालक पप्पू श्रीगोपाल की भी शराब पीने से तबीयत बिगड़ गई है। उसे भी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि पप्पू श्री गोपाल का ही ट्यूबवेल है, जहां पर ठेका चलता था। ठेके के अनुज्ञापी राजेंद्र सिंह हैं। इसलिए ठेका पूरी तरह से पप्पू श्रीगोपाल संभाले हुए थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.