समाजसेवा की मिसाल, संकीर्तन करके गरीब बेटियों के हाथ कर रहे पीले Aligarh news
गरीब बेटियों की शादी के लिए तमाम संस्थाएं काम करती हैं सामाजसेवी भी अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं मगर अलीगढ़ में श्री राधे गोविंद संकीर्तन मंडल के सदस्यों ने नायाब काम किया है। वह भक्ति के साथ गरीब बेटियों की शादी कराकर पुण्य कार्य भी करते हैं।
राजनारायण सिंह, अलीगढ़ : गरीब बेटियों की शादी के लिए तमाम संस्थाएं काम करती हैं, समाजसेवी भी अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं, मगर अलीगढ़ में श्री राधे गोविंद संकीर्तन मंडल के सदस्यों ने नायाब काम किया है। वह भक्ति के साथ गरीब बेटियों की शादी कराकर पुण्य कार्य भी करते हैं। मंडल के सदस्य घर-घर कीर्तन करते हैं। कीर्तन के बाद आरती में आए हुए पैसों को एकत्र करके वह गरीब बेटियों की शादी करवाते हैं। खासबात है कि कीर्तन करने वाले सभी सदस्य कारोबारी हैं। अब तक दस गरीब बेटियों की शादी में टीम के सदस्य मदद कर चुके हैं।
बचपन से भजन कीर्तन का शौक रहा है
कास्मेटिक कारोबारी सुमित गोटेवाल को बचपन से ही भजन-कीर्तन का शौक था। उन्हें जहां कहीं भी मौका मिल जाता वह भजन गाने लगते थे। ढोलक और मजीरा के साथ उनका लोग सहयोग भी देते। सुमित की इससे धीरे-धीरे भजन-कीर्तन में रुचि बढ़ गई। उनके साथ नरेंद्र मृदु, ललित लाइको और गोपाल सासनी जुड़ गए। यह सभी हार्डवेयर कारोबारी हैं। इन्हें भी भजन गाने का शौक है। सुमित बताते हैं साथियों का साथ मिला तो हौसला और बढ़ गया। वर्ष 2015 में सभी ने मिलकर श्री राधे गोविंद संकीर्तन मंडल संस्था की स्थापना की। इसके बाद लोग अपने घरों में बुलाने लगे। चूंकि सभी कारोबारी हैं और उन्हें सिर्फ भजन गाने का शौक है, इसलिए लोगों के घरों में भजन गाने का कोई पैसा नहीं लेते हैं। स्थिति यह हो गई कि एक-एक महीने में 10 से 15 कार्यक्रम हो जाया करते हैं। बहरहाल, इस समय कोरोना के चलते कार्यक्रम कुछ कम हैं। बच्चों के जन्मदिन, सगाई, गृह प्रवेश आदि धार्मिक आयोजनों में लोग बुलाने लगे।
आरती के पैसे का सदुपयोग
सुमित बताते हैं कि भजन-कीर्तन के बाद आरती में लोग पैसे चढ़ाते हैं। कई बार तो बड़े कार्यक्रमों में चार से पांच हजार रुपये तक एकत्र हो जाया करते हैं। मंडली के सदस्य पैसे नहीं लेते हैं। ऐसे में पैसे का प्रयोग कहां किया जाए इसका सवाल खड़ा हो गया? सभी ने आरती के एकत्र पैसों को सासनीगेट स्थित श्री राधा रमण गोशाला में गोवंश के चारे-भूसे के लिए दे दिया करते हैं।
गरीब बेटियों की शादी में की शुरुआत
2016 की बात है। सुमित बताते हैं कि एक महिला अपनी बेटी की शादी के लिए उनके पास आई। उसने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वह बेटी की शादी नहीं कर सकती है। उस समय आरती से एक महीने में करीब 21 हजार रुपये एकत्र हुए थे। सुमित ने अपनी टीम के नरेंद्र मृदु, ललित लाइको और गोपाल सासनी से बेटी की शादी में मदद की बात रखी। सभी तैयार हो गए और बेटी की शादी में पैसे दे दिए। साथ ही शादी में जरूरत के अन्य सामान भी अपने पास से दिए। यह देख बेटी की मां की आंखों में आंसू झलक पड़े। सुमित के साथ पूरी टीम ने निर्णय लिया कि गरीब बेटियों की शादी में मदद करते रहेंगे।
बढ़ता चला गया कारवां
सुमित बताते हैं कि आरती के पैसों से बेटी के हाथ पीले होने लगे तो इससे अच्छी बात और क्या थी। सभी सदस्यों का उत्साह बढ़ गया। इसके बाद धीरे-धीरे बेटियों की शादी में टीम मदद करने लगी। कई बेटियों की शादी में तो टीम के सदस्यों ने एक लाख रुपये तक मदद की। आरती के पैसों के साथ समाजसेवियों से भी सहयोग लिया। कुछ सामान सदस्यों ने भी दिया, जिससे अच्छे से बेटी का विवाह किया जा सके। अभी तक दस बेटियों की शादी में मदद कर चुके हैं। सुमित बताते हैं कि इस कारवां को आगे और बढ़ाना है। अब तमाम लोग कीर्तन के समय बढ़चढ़ कर सहयोग करते हैं। उनका कहना है कि गरीब बेटी के हाथ पीले हो रहे हैं, इससे बड़ा और कौन सा पुण्य कार्य हो सकता है।