Come, plant good plants : हर साल हरियाली का मंजर फिर भी धरती बंजर Aligarh news
पेड़-पौधे पर्यावरण की रक्षा ही नहीं करते स्वच्छ भी बनाते हैं। इसके लिए हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं। करोड़ों रुपया पौधरोपण पर खर्च होता है पर उनके अनुरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। नतीजतन पौधे लगते हैं पर वृक्ष नहीं बनते।
अलीगढ़, जेएनएन । पेड़-पौधे पर्यावरण की रक्षा ही नहीं करते, स्वच्छ भी बनाते हैं। इसके लिए हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं। करोड़ों रुपया पौधरोपण पर खर्च होता है, पर उनके अनुरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। नतीजतन, पौधे लगते हैं पर वृक्ष नहीं बनते। छाया और फल-फूल देने से पहले ही सूख या मु्रझा जाते हैं। कुछ को जानवर खा जाते हैं। वहीं, हरे पेड़ों पर भी वन माफिया व अन्य लोगों का खूब वज्रपात होता है। जुलाई में हर साल हरियाली का मंजर नजर आता है, मगर उसके धरती बंजर की बंजर ही दिखाई देती है। 50 फीसद भी पौधे जीवित नहीं बच पाते। यही वजह है कि सालों की कवायद के बाद भी वन क्षेत्र नहीं बढ़ रहा। इस साल भी 36 लाख से अधिक पौधे वन विभाग व अन्य सरकारी विभाग मिलकर लगाएंगे। यह कवायद फिर कितनी सफल होगी। जरूरी ये है कि हम ज्यादा से ज्यादा पौधे रोपे और अच्छे पौधे रोंपें। इसके लिए जागरण ने जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। आइए, पौधारोपण की स्थिति पर नजर डालते हैं...
विगत वर्षों में पौधारोपण (लाख में)
2005-06, 2.50
2006-07, 20.15
2007-08, 2.45
2008-09,12.49
2009-10, 3.86
2010-11, 4.00
2011-12, 5.00
2012-13, 4.00
2013-14, 4.15
2014-15, 1.86
2015-16, 5.10
2016-17, 3.55
2017-18, 1.67
2018-19, 18.55
2019-20, 35.81
2020-21, 29.28
इस साल का विभागवार लक्ष्य (लाख में)
वन , 7.23 लाख
कृषि, 3.17 लाख
ग्राम्य विकास,16.55 लाख
राजस्व, 1.87 लाख
पंचायतीराज, 1.87 लाख
नगर विकास, 26 हजार 400
लोक निर्माण, 12 हजार 720
आवास विकास, 8400
औद्योगिक विकास, 4440
सिंचाई,12 हजार 720
पशुपालन,7080
सहकारिता,7440
उद्योग, 9840
विद्युत,5760
श्रम विभाग, 3840
स्वास्थ्य विभाग,9500
शिक्षा, 39 हजार 696
परिवहन, 3846
रेलवे, 23 हजार 280
रक्षा, 8400
उद्यान,2.07 लाख
पुलिस, 8400
गोद लेकर करें पौधों की देखभाल
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाटनी डिपार्टमेंट के प्रो. फरीद अहमद खान ने बताया कि पौधों की देखरेख न होने से ही वे पेड़ नहीं बन पाते। आप कोई भी ड्राइव चलाकर 10 लाख पौधे तो लगा सकते हैं, लेकिन जब तक जन सामान्य में अवेयरनेस नहीं होगी, फायदा नहीं। यदि चार-चार पौधे भी आसपास के लोगों को गोद दे दिए जाएं या फिर लोग खुद ये पहल करें तो ये पौधे पेड़ जरूर बनेंगे। सूख जाएं या जानवर खा जाएं तो पुन: निश्शुल्क पौधे उपलब्ध करा दिए जाएं। विशेष स्थानों पर पौधारोपण के दौरान लोगों के नाम की तख्ती भी लगा सकते हैं, ताकि 10 साल बाद जब पौधा पेड़ बने तो यादगार रहे। रिकार्ड को कागज नहीं, लोगों के हृदय में उतारना होगा। उन्हें भावनात्मक रूप से पौधारोपण मुहिम से जोड़ना होगा। पौधों के मुरझाने की एक वजह भूमि के अनुसार पौधारोपण न होना। मसलन, सूखे एरिया में यदि आप जामुन के पेड़ लगाएंगे तो नहीं उगेगा। मिट्टी ऐसी होनी चाहिए, जो पौधों की जड़ पकड़ सके। सड़क किनारे नाले के पास यदि आप जामुन का पेड़ लगाइए, वह तेजी से वृद्धि करेगा।
इनका कहना है
इस बार वार्षिक पौधों की प्रजाति के हिसाब से भूमि का चयन किया गया है। जो पौधा, जैसी भूमि पर वृद्धि करता है, उसी के हिसाब से पौधारोपण किया जाएगा। वर्षाकाल में पौधारोपण करने के पीछे यही वजह है कि वे पानी के अभाव में सूखे नहीं। डेढ़-दो माह तक बारिश के पानी से पौधे की जड़ बढ़नी शुरू हो जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों से पौधे लगवाने के पीछे यही वजह रहती है कि वे उनकी देखभाल करें, मगर उनमें जागरूकता का अभाव है। जन सामान्य से अपील है कि अपने आसपास के पौधों की देखभाल करें, यह उनके आने वाले स्वस्थ कल के लिए हैं। इस दिशा में दैनिक जागरण की मुहिम भी सराहनीय है।
- दिवाकर कुमार वशिष्ठ, डीएफओ।