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अलीगढ़ में कहीं विकास-योग्यता, कहीं जाति के नाम पर पड़े वोट

गांव की सरकार बनाने के लिए गुरुवार को मतदाताओं ने वोट की चोट से अपनी जिम्मेदारी निभाई। कहीं विकास व दावेदारों की योग्यता पर वोट पड़े तो कहीं जाति के नाम पर। प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के लिए मतदाताओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 08:45 AM (IST)
अलीगढ़ में कहीं विकास-योग्यता, कहीं जाति के नाम पर पड़े वोट
प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के लिए मतदाताओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखी।

अलीगढ़, जेएनएन। गांव की सरकार बनाने के लिए गुरुवार को मतदाताओं ने वोट की चोट से अपनी जिम्मेदारी निभाई। कहीं विकास व दावेदारों की योग्यता पर वोट पड़े तो कहीं जाति के नाम पर। प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के लिए मतदाताओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखी।

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युवाओं ने ऐसे मांगा वोट

पंचायत चुनाव में वोट की उपयोगिता और बढ़ जाती है। कारण ये है कि इस चुनाव में अधिकतर प्रत्याशी मतदाताओं के गांव के व परिचित होते हैं। ऐसे में एक का चयन करना चुनौती होता है। जिले में 15858 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें प्रधान के 6001, जिला पंचायत सदस्य के 474, बीडीसी के 5188 व ग्राम पंचायत सदस्य के 4195 थे। चुनाव में इस बार भी जाति व परिवारवाद के नाम पर वोट पड़े। मतदाताओं ने अपने चहेतों को ही प्राथमिकता दी। कुछ लोगों ने दावेदार की योग्यता व चेहरे को देखकर मतदान किया। सबसे अधिक युवा मतदाताओं ने विकास की चाह के साथ मतपत्र पर मुहर लगाई। जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में भाजपा, सपा, बसपा के नाम से भी कुछ वोट पड़े।

गोपनीयता नहीं होने दी भंग

 चुनाव में सबसे खास बात यह दिखी कि मतदाताओं ने वोट की गोपनीयता भंग नहीं होनी दी। हर दावेदार को आश्वासन दिया गया, लेकिन अंदर मुहर कहां लगी, यह कोई नहीं जान सका। वोट पडऩे के बाद भी तमाम दावेदार व उनके समर्थक मतदाताओं से टोह लेने में लगे रहे, लेकिन अधिकतर ने साझा नहीं किया।

पांच साल तक न आने की कसक

पंचायत चुनाव के मतदान में इस बार एक बात जरूर सामने आई। अधिकतर मतदाताओं के मन में जीतने के बाद पांच साल तक नजर नहीं आने वाले प्रत्याशियों के प्रति गुस्सा था। लोगों ने ऐसे दावेदारों को वोट तो दिया ही नहीं, इनके खिलाफ बूथ पर पहुंचकर गुस्सा भी निकाला। धनीपुर क्षेत्र में कई बूथों पर ऐसा नजारा दिखा।

पांच साल बाद चुनाव आते हैं। जांच परख के बाद ही दावेदार का चयन करना चाहिए। मैंने ऐसे प्रत्याशी का चयन किया है, जो गांव में विकास कराए। ऐसे प्रत्याशी को नहीं चुनना चाहिए, जिसके पीछे भागते ही रहें।

दीपू, धनीपुर

पंचायत चुनाव में सभी दावेदार आपके गांव के होते हैं। उनमें से एक का चयन करना चुनौतीपूर्ण होता है। मैंने गांव के विकास के लिए मतदान किया है। जिला पंचायत सदस्य से भी इस बार काफी उम्मीदें हैं।

तनु  सिंह, अलहदादपुर


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