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रक्‍तदान से कमजोरी नहीं आएगी बल्कि आप किसी की जान बचा सकते हैं Aligarh news

कोरोना संकट ने रक्तदान की राह रोक दी है जिस कारण मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल ही नहीं निजी ब्लड बैंकों में रक्त की काफी कमी है। खासतौर से निगेटिव ग्रुप के रक्त की। सर्वाधिक जरूरत सीजेरियन आपरेशन व दुर्घटना में घायल लोगों के लिए है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 05:47 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 06:44 AM (IST)
रक्‍तदान से कमजोरी नहीं आएगी बल्कि आप किसी की जान बचा सकते हैं Aligarh news
कोरोना संकट ने रक्तदान की राह रोक दी है, निजी ब्लड बैंकों में भी रक्त की काफी कमी है।

अलीगढ़, जेएनएन ।  कोरोना संकट ने रक्तदान की राह रोक दी है, जिस कारण मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल ही नहीं, निजी ब्लड बैंकों में रक्त की काफी कमी है। खासतौर से निगेटिव ग्रुप के रक्त की। सर्वाधिक जरूरत सीजेरियन आपरेशन व दुर्घटना में घायल लोगों के लिए है। मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए तीमारदारों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। दरअसल, संक्रमण, कोविड टीकाकरण व अन्य कारणों से काफी लोग रक्तदान को आगे नहीं आ रहे। वहीं, विशेषज्ञों के अनुसार इस समय भी सुरक्षित रहकर रक्तदान किया जा सकता है। कोविड टीकाकरण के पहले या दोनों डोज लेने के 14 दिनों बाद रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान किसी भी जरूरतमंद को एक नई जिंदगी दे सकता है।

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जिंदगी बचाने के लिए चाहिए ग्रुप खून

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बीपीएस कल्याणी ने बताया कि रक्तविकार की समस्या- जैसे थैलीसीमिया, हीमोफीलिया व ब्लड कैंसर से प्रभावित लोगों को रक्त की हमेशा जरूरत होती है। एनीमिया से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के प्रसव संबंधी जोखिम को कम करने के लिए भी रक्त की जरूरत होती है। अत्यधिक रक्तस्त्राव से प्रसूता की जान भी जा सकती है। अन्य प्रकार की सर्जरी, सड़क व अन्य हादसों में घायलों को रक्त की जरूरत होती है। अधिकतर लोग ब्लड बैंक पर ही निर्भर होते हैं। लेकिन, जरूरत पर रक्त की आवश्यकता की पूर्ति तभी संभव है, जब ब्लड बैंक में पर्याप्त रक्त का भंडारण हो। रक्तदान एक सतत प्रक्रिया है, जो निरंतर जारी रहनी चाहिए।

ये है सूरतेहाल

जिले में 10 सरकारी व निजी ब्लड बैंक हैं। सर्वाधिक रक्त का भंडारण जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में रहता है। यहां रक्त को सुरक्षित रखने के लिए 300-300 यूनिट की क्षमता वाले तीन डीप फ्रीजर हैं। ब्लड बैंक के सुपरवाइजर यतेंद्र सेंगर ने बताया कि सामान्य दिनों में 225-250 यूनिट की उपलब्ध रहती है। लेकिन, कोरोना काल में शिविर आदि के जरिए 60-70 यूनिट तक बामुश्किल रक्त का भंडारण हो पाया। हां, संक्रमण कुछ कम होने पर अब 110-120 यूनिट तक रक्त की व्यवस्था है। निगेटिव ग्रुप के रक्त की अभी भी कमी है। रविवार को ए निगेटिव व बी निगेटिव की तीन-तीन यूनिट, ओ निगेटिव की दो यूनिट व एबी नेगिटव की मात्र एक यूनिट उपलब्ध थी। जबकि, ए पाजिटिव की 34, बी पाजिटिव की 29, एबी पाजिटिव की 12 व ओ पाजिटिव की 30 यूनिट मौजूद हैं। उधर, अन्य ब्लड बैंकों की स्थिति इससे भी ज्यादा खराब है।

रक्तदान करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

देहदान कर्त्तव्य संस्था से जुड़े वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डा. डीके वर्मा व डा. एसके गौड़ ने कहा कि रक्तदान महादान है। कोरोना संक्रमण काल में भी तमाम सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए रक्तदान कर सकते हैं। इसके कई फायदे भी हैं। यह शरीर में नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। सेहतमंद रखता है। रक्तदान से ह्रदयाघात की आशंका भी कम होती है। डेंगू, मलेरिया, पीलिया के मरीज ठीक होने के छह माह बाद रक्तदान कर सकते हैं। दान किए गए रक्त की पैथोलाजी में जांच होती है, यदि किसी के रक्त में कमी होती है तो उसे सूचित किया जाता है। रक्तदान से कमजोरी के साथ चक्कर आएंगे, यह बात गलत है। इसलिए रक्तदान के लिए आगे आएं, ताकि किसी मरीज की जान रक्त की कमी से न हो। डा. गौड़ ने बताया कि मैं खुद भी 50 बार रक्तदान कर चुका हूं। अब आयु अधिक होने के कारण रक्तदान न कर पाने का मलाल रहता है।

ये हैं रक्तदान के फायदे

- एक यूनिट रक्त से चार लोगों की जिंदगी बचेगी

- शरीर में नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है

- 24 घंटे में नया रक्त बनने लगता है

- हृदयघात की आशंका कम होती है

- उच्च रक्तचाप की खतरा कम होता है

- शरीर की अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है

- कालस्ट्राल कंट्रोल होता है

रक्तदान के लिए जरूरी बातें

- 18 से 65 साल की आयु हो

- रक्तदान में न्यूनतम तीन माह का अंतराल

- भोजन के बाद ही करें रक्तदान

- हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से कम न हो

- रक्तदाता का वजन 45 वर्ष से कम न हो

कौन नहीं कर सकता रक्तदान

- गर्भवती स्त्री, एचआइवी संक्रमित, शुगर व कैंसर के मरीज

- 24 घंटे पहले शराब का सेवन करने वाला व्यक्ति

- उच्च रक्तचाप के मरीज

- डेंगू, मलेरिया, पीलिया व कोरोना के मरीज

ये हैं रक्तवीर

100 से ज्यादा बार रक्तदान

गभाना-रामपुर के मदन सारस्वत मेडिकल स्टोर संचालक हैं। हरेक तीन माह पर रक्तदान जरूर करते हैं। अब तक 100 से भी अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। बताते हैं कि मुझे रक्तदान करने की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब मैं अपने एक बीमार रिश्तेदार के साथ अस्पताल में था। एक मरीज की हालत बेहद दयनीय थी और उसे खून की जरूरत थी। उसके मासूम बच्चों व अन्य स्वजन को बदहवास देखकर पहली बार रक्तदान किया। उसकी जान बच गई। तब से मैं नियमित रक्तदान कर रहे हैं। ऐसा करने से कमजोरी नहीं आती है। मन को सुकून मिलता है। एक बार के रक्तदान से चार लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

शादी हो या सालगिरह, जरूर करते हैं रक्तदान

ब्रेड सप्लाई के साथ ही खेतीबाड़ी संभालने वाले गभाना के भुवनेश गोयल रक्तदान के प्रति इतने संजीदा हैं कि कभी भी रक्तदान को तैयार रहते हैं। करीब 35 से अधिक बार खुद तो रक्तदान कर ही चुके हैं। हर तीन महीने पर भी एक बार जरुर ब्लड डोनेट करते हैं। मौका चाहें शादी की सालगिरह का हो या फिर घर में किसी के जन्मदिन का हो। रक्तदान शिविर का आयोजन कर दूसरे लोगों को भी रक्तदान करने को प्रेरित करते हैं। भुवनेश कहते हैं हमारा दिया खून किसी की जान बचा सकता है। इसलिए इससे डरने की जरुरत नहीं है। किसी का जीवन बचाना भी एक सेवा है।

दोस्तों के साथ बनाया ग्रुप

गांव श्यामपुर- गभाना की पेशे से फिजियोथैरेपिस्ट डा. आकांक्षा सिंह की उम्र भले ही अभी 25 वर्ष है, लेकिन रक्तदान के प्रति उनकी दीवानगी देखते ही बनती है। अब तक 30 से अधिक बार रक्तदान कर चुकी हैं। आकांक्षा ने अपने करीब 50 से अधिक दोस्तों का एक ब्लड ग्रुप भी बना रखा है। इसमें शामिल सदस्य जरूरत पड़ने पर रक्तदान करने को एक फोन काल पर ही तैयार रहते हैं। सभी नियमित भी रक्तदान करते हैं। रक्तदान के लिए पिछले सात साल से जुड़ी हैं इससे उन्हें दूसरों की मदद करने का अवसर मिल जाता है। इसकी प्रेरणा मुझे अपने पिता से मिली।

प्लाज्मा से बची कोरोना संक्रमित की जान

द अलीग फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. मोहम्मद वसी बेग का कहना है कि कोरोना महामारी के बावजूद, भारत समेत कई देशों में लोगों ने जरूरतमंदों को रक्त और प्लाज्मा दान करना जारी रखा है। ऐसे रक्तदाताअों की बदौलत ही, काफी मरीजों की जान बच पाई। रक्तदान के लिए सभी को आगे आना चाहिए। इस वर्ष के विश्व रक्तदाता दिवस का नारा ‘रक्त दो और दुनिया को धड़कने दो’ है। यह संदेश जीवन बचाने के लिए रक्तदाताओं के योगदान का संदेश देता है।

2000 की जगह 500 ही

जेएन मेडिकल कालेज में सामान्यत 2000 से अधिक यूनिट रक्त रहता है, लेकिन कोरोना के चलते यहां भी कमी आई है। वर्तमान में मेडिकल कालेज में 500-600 यूनिट ही रक्त होगा। ब्लड बैंक के परामर्शदाता डा. सुहेल अब्बास ने लोगों से अपील की है कि सोमवार को रक्तदान अवश्य करें। इससे किसी की जान ही बचाई जा सकती है।


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